उत्तर प्रदेश: मछली पालन का व्यवसाय शुरु करने वालों के लिए बढ़िया मौका, 31 दिसम्बर से पहले करें आवेदन

मछली पालन के लिए यूपी को सबसे सर्वेश्रेष्ठ राज्य का भी पुरस्कार मिल चुका है, ऐसे में मछली पालन से आमदनी बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का लाभ ले सकते हैं।

Divendra SinghDivendra Singh   16 Dec 2020 7:10 AM GMT

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उत्तर प्रदेश: मछली पालन का व्यवसाय शुरु करने वालों के लिए बढ़िया   मौका, 31 दिसम्बर से पहले करें आवेदन

लखनऊ। अगर आप भी मछली पालन से जुड़ा कोई व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, तो ये आपके लिए बढ़िया मौका है। प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं।

मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) की शुरुआत की है। इसे आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत साल 2020-21 से साल 2024-25 तक सभी प्रदेशों और संघ शासित राज्यों में लागू करना है।

उत्तर प्रदेश में इस योजना की शुरूआत हो गई है और मछली पालन विभाग ने 31 दिसम्बर तक ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं। उत्तर प्रदेश, मत्स्य विभाग के उप निदेशक डॉ. हरेंद्र प्रसाद बताते हैं, "मछली पालन से लोगों की आमदनी बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की शुरूआत की गई है। यूपी में सबसे पहले इस योजना के लिए आवेदन मांगे गए हैं, मैदानी क्षेत्रों के लिए मछली पालन की जितनी भी योजनाएं हैं, इस पर आवेदन कर सकते हैं।"

प्रधानमंत्री मत्स्य योजना का लाभ लेने के लिए उत्तर प्रदेश मछली विभाग की वेबसाइट (http://fymis.upsdc.gov.in/) पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस योजना का संचालन जिले में ऐसे विकासखंडों को चुना जाएगा, जहां पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था हो। चयनित विकासखंडों में कुल लक्ष्य का 70 प्रतिशत और बाकी 30 प्रतिशत बाकी बचे विकासखंडों में परियोजनाओं का संचालन किया जाएगा।

योजना का लाभ लेने के लिए मछुआ, मत्स्य पालक, मछली बेचने वाले, स्वयं सहायता समूह, मत्स्य उद्यमी, निजी फर्म, फिश फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन/कंपनीज, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाएं इन परियोजनाओं के लिए आवेदन कर सकती हैं।

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योजना के तहत सामान्य वर्ग के लोगों की कुल इकाई लागत का अधिकतम 40 प्रतिशत और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला लाभार्थियों को अधिकतक 60 प्रतिशत अनुदान राशि डीबीटी के माध्यम से दी जाएगी। इसमें सामान्य वर्ग के 60 प्रतिशत अंश और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला लाभार्थियों को 40 प्रतिशत अंश खुद से या फिर किसी बैंक से लोन लेकर देना होगा। लाभार्थियों को देय अनुदान की धनराशि दो या तीन किश्तों दी जाएगी।

योजना में व्यक्तिगत लाभार्थी के लिए तालाब निर्माण के लिए दो हेक्टेयर तक की जमीन निर्धारित की जाएगी, लेकिन अगर समूह में हैं तो 20 हेक्टेयर तक की जमीन निर्धारित की जाएगी। योजना का लाभ लेने के लिए खुद की जमीन की उपलब्धता के अभिलेख वेबसाइट पर उपलब्ध कराना अनिवार्य है। योजनाओं के लिए लाभार्थी रजिस्टर्ड पट्टे पर भी जमीन ले सकते हैं, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए न्यूनतम 10 साल की पट्टा अवधि और शेष परियोजनाओं के लिए सात वर्ष से कम कम की पट्टा अवधि अनुमन्य नहीं है। जमीन खरीदने, पट्टे पर लेने के लिए परियोजनाओं में धनराशि नहीं दी जाएगी। लाभार्थी को प्रमाणपत्र के माध्यम से यह बताया होगा कि परियोजनाओं के लिए प्रस्तावित जमीन विवादित नहीं है।

पट्टे की जमीन लाभार्थी द्वारा कोई भी योजना का लाभ लेने के बाद अगर पट्टा निरस्त होता है तो लाभार्थी को 12 प्रतिशत ब्याज दर या फिर बैंक ब्याज दर से, इनमें जो भी दर ज्यादा होगी, सहित योजना के उपलब्ध करायी गई अनुदान धनराशि ब्याज सहित मत्स्य विभाग को वापस करना अनिवार्य है।

आवेदन करने के लिए पूर्ण प्रस्तावना प्रस्ताव सहित ऑनलाइन आवेदन करना होगा, जिसके लिए वेबसाइट पर उपलब्ध मत्स्य समृद्धि फार्म ऑनलाइन भरने के साथ अपना फोटो, आधार कार्ड, निर्धारित प्रारूप पर 100 रुपए के स्टाम्प पर नोटरी प्रमाणपत्र बैंक से अगर बैंक से लोन लेना चाहते हैं तो बैंक का अग्रिम स्वीकृति पत्र व भूमि संबंधी अभिलेख अपलोड करना होगा। इसके बाद लाभार्थियों का चयन पहले आओ पहले पाओ के अनुसार किया जाएगा।



     

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