वाह : बंद होने के कगार पर थी बेडशीट फैक्ट्री, एक युवती ने करोड़ों में पहुंचाया उसका टर्नओवर 

Neetu SinghNeetu Singh   8 Jan 2018 6:19 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
वाह : बंद होने के कगार पर थी बेडशीट फैक्ट्री, एक युवती ने करोड़ों में पहुंचाया उसका टर्नओवर रागिनी निरंजन।

एक बेडशीट फैक्ट्री जो बंद होने के कगार पर थी, रागिनी निरंजन ने उसे संभाला। खुद वहां प्रेस करने से लेकर सिलाई तक काम किया और आज वो मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। 2 करोड़ सालाना का टर्नओवर है, पढ़िए प्रेरणा दायक ख़बर

पत्रकार रवीश कुमार के एक विचार से रागिनी निरंजन इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने जिन्दगी में नौकरी न करने का फैसला लेकर लोगों को रोजगार देने का फैसला किया। आज रागिनी की कम्पनी में 40 लोग काम कर रहे हैं, छह वर्षों में रागिन की कंपनी का सालाना दो करोड़ का हो गया है।

“रवीश कुमार ने एक साक्षात्कार में कहा था कि अगर कुछ करना ही चाहते हो तो रोजगार पैदा करो, अगर कुछ नहीं करना चाहते हो तो मेरा सबसे निवेदन है कम से कम बच्चे तो पैदा न करिए। उनकी इस बात को सुनकर मैंने उसी दिन ये ठान लिया था कि कभी नौकरी नहीं करूंगी, बल्कि कोई ऐसा काम करूं कि लोगों को अपने साथ जोड़कर रोजगार दे सकूं।” रागिनी निरंजन (33 वर्ष) ने ये बात बड़े आत्मविश्वास के साथ कही।

बेडशीट प्रेस करने से लेकर सिलाई तक काम किया और आज मैनेजिंग डायरेक्टर हूं, 40 लोगों का रोजगार मिला है, फिलहाल करीब 2 करोड़ सालाना का टर्नओवर है
रानिगी निरंजन, फैक्ट्री मालिक

आज सालाना दो करोड़ का टर्नओवर

रागिनी निरंजन अपनी कम्पनी में काम करते हुए

रागिनी आगे कहती हैं, “छह साल पहले बेडशीट कम्पनी में कदम रखा था, कम्पनी में प्रेस करने से लेकर प्रिंटिंग और सिलाई का सारा काम किया। आज कम्पनी की मैनेजिंग डायरेक्टर हूं, इसमें 40 लोग काम करते हैं और सालाना दो करोड़ का टर्नओवर है।”

रागिनी निरंजन उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के मूल रूप से गड़हर गाँव की रहने वाली हैं। इन्होंने एमएससी मैथ से पढ़ाई की है, बिजनेस में इनका कोई अनुभव नहीं था, लेकिन रवीश कुमार के इंटरव्यू को सुनकर इन्होंने कोई बिजनेस करने की ठान ली थी। शालिनी बिजनेस के शुरुआती दौर का अनुभव साझा करते हुए बताती हैं, “मुझे हमेशा से घर को सजाने का शौक रहा। तरह-तरह की बेडशीट और चादरें हमेशा बदलती रहती थी। जब बिजनेस करने की सूझी तो मुझे लगा कोई ऐसा काम ही शुरू करूं जिसमें मेरी अपनी खुद की रुचि हो, इसलिए बेडशीट का बिजनेस शुरू करने के लिए रिसर्च करना शुरू कर दिया।”

एक बिजनेस, जो बंद होने के आख़िरी पड़ाव पर था

कम्पनी में काम करते लोग

शादी के बाद ये अपने पति के साथ हापुड़ शहर में रहने लगी। कुछ समय बाद रागिनी के पति का ट्रांसफर मेरठ शहर हो गया। इसलिए इन्होंने मेरठ में अपने काम को विस्तार दिया। कितने पैसे बिजनेस में लगाकर शुरुआत की, इस बारे में इनका कहना है, “हमारे पास बिजनेस में लगाने के लिए बहुत ज्यादा पैसे नहीं थे। शुरुआत में इस काम में कुछ अनुभव भी चाहिए था, एक उद्यमी कृष्ण कुमार का बेडशीट का बिजनेस था, जो बंद होने के आख़िरी पड़ाव पर था, उनके साथ मिलकर काम की शुरुआत की।”

वो खुश होकर बताती हैं, “मुझे खुद भी अंदाजा नहीं था इतने कम समय में बंद होने वाला बिजनेस करोड़ों का टर्नओवर देना शुरू कर देगा। शुरुआती दौर में यहां 5 लोग काम करते थे, पिछले छह वर्षों में करोड़ों का टर्नओवर के साथ आज 40 लोग काम कर रहे हैं।”

तब रागिनी ने अपनाए ये तरीके

रागिनी ने ये समझने की कोशिश की कि आखिर क्या वजह है जिससे मार्केट में इसकी डिमांड खत्म हो रही है। इन्होंने पाया कि बेडशीट की डिजाइनिंग से लेकर उसके दाम तक में उपभोक्ताओं के राय की कमी थी। रागिनी बताती हैं, “लोगों को क्या पसंद है, दाम उनके हिसाब से क्या होना चाहिए? इसके हिसाब से मैंने कई तरह की डिजाइनिंग, कलर, फैब्रिक को बढ़ाने का काम किया। दाम उनके हिसाब से निर्धारित किए, होल सेल माल सप्लाई करना शुरू किया।”

किसी भी बिजनेस का सीधा सम्बन्ध किसान से

मेरठ में केमिकल का बहुत प्रयोग होता है, बढ़ती मंहगाई की वजह से किसानों को लागत ज्यादा लगानी पड़ती है और मुनाफा कम होता है। रागिनी अपने बिजनेस के साथ ही जैविक खेती पर भी कई जगह प्रशिक्षण लेकर किसानों को जैविक खेती की तरफ जोड़ रही हैं, जिससे उनकी लागत घटे और मुनाफा बढ़ सके। रागिनी बताती हैं, “किसान की बेटी हूँ, खेतों में मटर की फलियां खूब तोड़कर खाईं हैं। अब ये सब कम हो रहा है इसलिए इसे दोबारा वापस लाने के लिए मैं अपने बिजनेस के साथ खेती भी करना चाहती हूँ, ज्यादा संख्या में किसान अपनी लागत घटाएं और जैविक तौर-तरीके अपनाएं ये हमारी कोशिश है।”

यह भी पढ़ें: अनकही कहानियां : 35 साल भीख मांगने के बाद इस तरह बदली ज़िंदगी

अमेरिका से लौटी युवती ने सरपंच बन बदल दी मध्य प्रदेश के इस गांव की तस्वीर

कोई आया शिकागो से तो किसी ने छोड़ी नेवी की नौकरी, अब सीख रहे ज़ीरो बजट खेती

        

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.