ओडिशा का ‘दशरथ मांझी’ : बच्चों को पढ़ाने के लिए पहाड़ काटकर 8 किमी बनाई सड़क
Karan Pal Singh | Jan 14, 2018, 16:02 IST
बिहार के दशरथ मांझी याद होंगे आपको, केवल एक हथौड़ा और छेनी लेकर इन्होंने अकेले ही 360 फुट लंबी 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊंचे पहाड़ को काट के एक सड़क बना डाली थी। अब ओडिशा में एक शख्स ने अपनी हिम्मत और मेहनत से नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया है। कंधमाल जिले के गुमसाही गांव के रहने वाले 45 वर्षीय जालंधर नायक ने पहाड़ काटकर 8 किलोमीटर लंबा रास्ता बनाया है। नायक ने 2 साल तक अकेले लगातार काम कर पहाड़ को काटकर सड़क बना डाला।
जालंधर नायक ने केवल हथौड़ा और छेनी से कंधमाल पहाड़ को काटकर 8 किलोमीटर लंबी सड़क बना डाली है। सब्जी बेचकर गुजारा करने वाले नायक खुद तो कभी स्कूल नहीं गए, लेकिन वो चाहते थे कि उनके तीन बच्चे फूलबानी के स्कूल में जाकर पढ़ें-लिखें। मगर स्कूल तक जाने के लिए पहाड़ की मुश्किल चढ़ाई करनी पड़ती थी। इसी ने उन्हें सड़क बनाने के लिए प्रेरित किया।
45 वर्ष के जालंधर नायक कहते हैं, "मैंने यह बीड़ा इसलिए उठाया ताकि मेरे तीनों बेटों के लिए ज़िन्दगी आसान हो। उनके बेटों को स्कूल तक पहुंचने के लिए हर रोज़ इन पांच पहाड़ों से गुज़रना पड़ता था।"
घटना के बारे में इस इलाके के खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) एसके जेना का कहना है, "जालंधर नायक को हर तरह की सरकारी मदद दी जाएगी। वो जहां रहते हैं वो आबादी से काफी दूर है। हमने उन्हें शहर आकर रहने को कहा था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया है।"
पहाड़ काटकर रास्ता बनाते नायक कंधमाल की कलेक्टर वृंदा डी ने जलंधर ने की मुलाक़ातकंधमाल जिले की कलेक्टर वृंदा डी ने फुलबनी के अपने दफ्तर में जलंधर से मुलाक़ात की और उनकी लगन की सराहना की। उन्होंने घोषणा की कि जलंधर को उनके दो साल के परिश्रम के लिए मनरेगा कोष से मज़दूरी दी जाएगी। साथ ही उन्होंने स्थानीय बीडीओ को बचे हुए सात किलोमीटर का काम सरकारी ख़र्च पर पूरा करने के आदेश भी दिए। जलंधर से मिलने के बाद कलेक्टर वृंदा डी ने कहा, "उनकी लगन और निष्ठा देखकर मैं दंग रह गई। उनके इस काम के लिए हम उन्हें आने वाले कंधमाल महोत्सव में सम्मानित करेंगे।"
पहाड़ के बीच में बनी सड़क
जालंधर नायक ने केवल हथौड़ा और छेनी से कंधमाल पहाड़ को काटकर 8 किलोमीटर लंबी सड़क बना डाली है। सब्जी बेचकर गुजारा करने वाले नायक खुद तो कभी स्कूल नहीं गए, लेकिन वो चाहते थे कि उनके तीन बच्चे फूलबानी के स्कूल में जाकर पढ़ें-लिखें। मगर स्कूल तक जाने के लिए पहाड़ की मुश्किल चढ़ाई करनी पड़ती थी। इसी ने उन्हें सड़क बनाने के लिए प्रेरित किया।
45 वर्ष के जालंधर नायक कहते हैं, "मैंने यह बीड़ा इसलिए उठाया ताकि मेरे तीनों बेटों के लिए ज़िन्दगी आसान हो। उनके बेटों को स्कूल तक पहुंचने के लिए हर रोज़ इन पांच पहाड़ों से गुज़रना पड़ता था।"
घटना के बारे में इस इलाके के खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) एसके जेना का कहना है, "जालंधर नायक को हर तरह की सरकारी मदद दी जाएगी। वो जहां रहते हैं वो आबादी से काफी दूर है। हमने उन्हें शहर आकर रहने को कहा था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया है।"
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