उत्तर प्रदेश: ग्राम प्रधान दिलीप त्रिपाठी, जिनकी ग्राम पंचायत को तीसरी बार मिला नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार

अक्सर ग्राम प्रधानों के बारे में कहा जाता है कि वो काम नहीं करते हैं, अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो आपको उत्तर प्रदेश के ग्राम प्रधान दिलीप त्रिपाठी से मिलना चाहिए, जिन्हें तीसरी बार नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

Divendra SinghDivendra Singh   24 April 2022 5:04 AM GMT

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उत्तर प्रदेश: ग्राम प्रधान दिलीप त्रिपाठी, जिनकी ग्राम पंचायत को तीसरी बार मिला नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार

उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले का नाम प्रदेश के पिछड़े जिलों में आता है, लेकिन इसी जिले का नाम अक्सर एक ग्राम प्रधान की वजह से सुर्खियों में रहता है। पहली बार ऐसा हो रहा है जब किसी प्रधान को तीसरी बार नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 225 किमी दूर सिदार्थनगर जिले के भनवापुर ब्लॉक में है हसुड़ी औसानपुर ग्राम पंचायत, जोकि पूरी तरह से डिजिटल गाँव है। गाँव में जगह-जगह पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, यहां का प्राथमिक विद्यालय भी दूसरे सरकारी स्कूलों से बिल्कुल अलग है। गाँव में कहीं भी आपको कूड़े का ढेर नहीं दिखेगा, क्योंकि हर दिन सुबह शाम घर घर जाकर कूड़ा इकट्ठा किया जाता है। गाँव में आधुनिक सुविधायुक्त पंचायत भवन भी है, अभी हाल ही दिलीप त्रिपाठी ने गाँव में अस्पताल भी बनवाया है।

ग्राम प्रधान दिलीप त्रिपाठी शुरुआत से बताते हैं, ''साल 2015 में जब मैं जब पहली बार प्रधान बना तब पता चला कि पंचायत में काम करना करना इतना आसान नहीं है। गाँव के लोग ही चाहते थे कि गाँव में विकास हो।"


वो आगे कहते हैं, ''इसके बाद जिस तरीके से सांसद गांव को गोद लेते हैं, मैंने खुद के गांव को गोद लिया। सबसे पहले मैंने गांव के सरकारी स्‍कूल को अच्‍छा करने का प्‍लान तैयार किया, लेकिन दिक्‍कत यह थी कि ग्राम पंचायत के बजट में सरकारी स्‍कूल के लिए अलग से बजट नहीं आता है।''

देश की करीब 70 फीसदी आबादी गाँवों में रहती है और पूरे देश में सवा छह लाख गांव हैं। ग्राम पंचायत की आबादी के हिसाब से हर साल ग्राम प्रधानों के खातों में विकास के लिए पैसा आता है। सिद्धार्थनगर में 1199 ग्राम पंचायतें हैं, 1190 वें नम्बर पर कम आबादी वाली हसुड़ी औसानापुर ग्राम पंचायत है, जिसमें 1024 की आबादी है।

दिलीप आगे कहते हैं, ''फिर मैंने खुद के पास से और कुछ गाँव के लोगों से मदद लेकर स्‍कूल को बेहतर करने का काम शुरू किया और देखते ही देखते स्‍कूल पूरी तरह से बदल गया। यहां मैंने लाइब्रेरी बनवाई, स्‍कूल की इमारत को बेहतर किया, शौचालय बनवाए।। इसमें से बहुत से सरकारी नौकरी करने वाले परिवार के बच्‍चे हैं।''


साल 2017 को दिलीप त्रिपाठी को मध्य प्रदेश में उत्कृष्ट ग्राम प्रधान पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हसुड़ी औसानपुर को साल 2018 में पंचायती राज दिवस पर नाना जी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम पुरस्कार और दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। दिलीप त्रिपाठी देश के पहले ग्राम प्रधान हैं जिन्हें दोनों पुरस्कार एक साथ मिले थे।

इसके बाद साल 2019 में नाना जी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम पुरस्कार और पंडित दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार इसके बाद साल 2020 में पंडित दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। दिलीप त्रिपाठी पहले ऐसे ग्राम प्रधान हैं जिन्हें लगातार इतनी बार पुरस्कार मिले हैं।

साल 2018 में पुरस्कार मिलने के बाद जब वो पहली बार यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले तो उस मुलाकात का जिक्र करते हुए वो कहते हैं, ''महाराज जी (सीएम योगी आदित्‍यनाथ) ने मुझसे कहा अपना स्‍कूल दिखाओ। मैंने उन्‍हें जब तस्‍वीर दिखाई तो वो बोले- यह तो कोई कॉन्‍वेंट स्‍कूल है, मुझे सरकारी स्‍कूल दिखाओ। मैंने उनसे कहा, महाराज जी यही गांव का स्‍कूल है। इतना सुनने के बाद वो आश्‍चर्य से मेरी ओर देखने लगे।''


पूरे गांव में कुल 30 कूड़ेदान लगे हुए हैं। घर-घर से कूड़ा उठाने के लिए ठेला गाड़ी भी है। गाँव में हर खंभे पर पब्लिक एड्रेस सिस्टम के तहत साउंड सिस्टम और तकरीबन 23 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। कैमरा गांव में गंदगी फैलाने वालों पर निगरानी के लिए, महिलाओं की सुरक्षा के लिए है। अत्याधुनिक सुविधायुक्त प्राथमिक विद्यालय व जूनियर हाई स्कूल, कम्प्यूटर लैब, वाट प्यूरीफायर, ओपन जिम जैसी कई सुविधाएं हैं।

जबकि साउंड सिस्टम से महत्वपूर्ण दिवसों , ग्राम सभा की खुली बैठकों, राशन वितरण, आंगनवाड़ी पुष्टाहार वितरण, सुबह शाम भजन संध्या जन्मोत्सव और सरकारी योजनाओं की सूचनाओं का प्रसारण प्रति दिन सुबह शाम होता है।


साल 2019 में गाँव भर में लगे लाउडस्पीकर बड़े काम के साबित हुए थे, जब गेहूं के खेत में आग लग गई। आग लगने की खबर पूरे गांव में दी गई तो सभी गांव वालों ने समय पर घटनास्थल पर पहुंच आग लगने से रोक ली। गांव में तीसरी बार गेहूं की फसल के समय आग लगने से रोकी गई है

"हमारे गांव के हर दूसरे खंभे पर माइक लगा है। हमने इनसे तुरन्त गांव में सूचना दी, जिससे गांव के सभी लोग मौके पर पहुंच गए और समय रहते आग पर काबू पा लिया गया। ये पहली बार नहीं हुआ है, हमारे गांव में ये तीसरी मौका था जब गांव वालों ने मिलककर आग लगने से पहले ही बचाव कर लिया, "दिलीप त्रिपाठी।

क्या है पंचायती राज दिवस

देश में पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने का उत्सव 24 अप्रैल को पंचायती राज मंत्रालय द्वारा हर साल राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस (एनपीआरडी) के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस पूरे देश के पंचायत प्रतिनिधियों के साथ सीधा संवाद करने के साथ-साथ उन्हें सशक्त बनाने व प्रेरित करने के लिए उनकी उपलब्धियों को स्वीकृति दिलाने का अवसर प्रदान करता है। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाने का उद्देश्य पंचायतों और ग्राम सभाओं के बारे, जिन्हें ग्रामीण क्षेत्रों के लिए स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं को संविधान द्वारा अधिकार दिया गया है और साथ ही उनकी भूमिकाओं, जिम्मेदारियों, उपलब्धियों, चिंताओं, संकल्पों आदि के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

इस बार किस प्रदेश को मिल रहे हैं कितने पुरस्कार

इस वर्ष, राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार-2022 (मूल्यांकन वर्ष 2020-21) के लिए, पंचायतों को कुल 322 पुरस्कार निम्नलिखित श्रेणियों के तहत घोषित किए गए हैं।

29 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में 29 ग्राम पंचायतों (जीपी)/ग्राम परिषदों (वीसी) को बाल हितैषी ग्राम पंचायत पुरस्कार।

29 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में 29 ग्राम पंचायतों (जीपी)/ग्राम परिषदों (वीसी) को ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्कार।

27 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में 27 ग्राम पंचायतों (जीपी)/ग्राम परिषदों (वीसी) को नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार।

29 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में 237 पंचायतों को दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार [(जिला पंचायतः28); (ब्लॉक पंचायतः 53); (ग्राम पंचायत/ग्राम परिषदः 156)]।

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