सरकार का ऐलान: अब रेस्टोरेंट में टिप देना नहीं होगा जरूरी, जानें सर्विस चार्ज व सर्विस टैक्स में अंतर
Shefali Srivastava 2 Jan 2017 6:50 PM GMT
लखनऊ। आप अक्सर महंगे रेस्टोरेंट में खाना खाने जाते हैं तो बिल के साथ अलग से वेटर को अलग से टिप भी देते हैं। वहीं भारत के दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में टिप की जगह सर्विस चार्ज वसूला जाता है। हालांकि नए साल पर सरकार की नई योजना के अनुसार अब सर्विस चार्ज अलग से देना जरूरी नहीं होगा।
गौरतलब है कि बड़े शहरों के होटलों और रेस्टोरेंट्स में पांच फीसदी से लेकर 20 फीसदी तक सर्विस चार्ज लगता था। आप ध्यान रखें कि सर्विस चार्ज और सर्विस टैक्स में अंतर होता है और ये छूट सर्विस टैक्स नहीं बल्कि सर्विस चार्ज पर दी गई है। अब अगर आपसे बिल के साथ सर्विस चार्ज भी मांगा जाता है तो आप उसे देने से मना कर सकते हैं।
मुंबई के अभिषेक ने किया था विरोध
उपभोक्ता मामलात मंत्रालय की मानें तो ग्राहकों ने जबरन सर्विस चार्ज वसूले जाने की शिकायत की थी। पिछले साल जुलाई में मुंबई के एक अधिवक्ता अभिषेक नकाशे ने मुलुंड के एक रेस्टोरेंट द्वारा सर्विस चार्ज वसूले जाने पर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। ध्यान देने की बात ये है कि उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 में बिक्री बढ़ाने और वस्तु या सेवा मुहैया कराने के लिए यदि कोई अनुचित या भ्रामक तरीका अपनाता है तो उसे अनुचित व्यापार व्यवहार माना जाएगा और ग्राहक उसके खिलाफ शिकायत कर सकता है। इसी के मद्देनजर उपभोक्ता मामलात मंत्रालय ने होटल एसोसिएशन से सफाई मांगी। इस पर एसोसिएशन का कहना था कि सर्विस चार्ज पूरी तरह से ग्राहक के विवेक पर निर्भर करता है। यदि ग्राहक सेवा से संतुष्ट नहीं है तो वो इस चार्ज को हटवा सकता है। लिहाजा सर्विस चार्ज को पूरी तरह से स्वैच्छिक माना जाना चाहिए। होटल और रेस्टोरेंट में सभी बेयरों के बीच बराबर-बराबर टिप बंटे, इसीलिए प्रबंधन सर्विस चार्ज लेता है जो बिल की कुल रकम के 5 से 20 फीसदी के बराबर होता है।
जानिए वैट, सर्विस चार्ज और सर्विस टैक्स में अंतर
वैट: वैट एक सेल्स टैक्स है, जिसे संबंधित राज्य सरकार लगाती है और यह सरकार के पास जमा होता है। चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा में खाने पर वैट की दर 12.5 फीसदी है। शराब पर वैट की दर अलग होती है। वैट खाने, शराब और सर्विस चार्ज मिलकार बनने वाले कुल बिल राशि पर वसूला जाता है।
कैसे हुई शुरुआत
सुप्रीम कोर्ट द्वारा होटल और रेस्टोरेंट में परोसे जाने वाले फूड और ड्रिंक्स पर सेल्स टैक्स को खत्म करने के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने मार्च 1981 में संविधान के 46वें संशोधन में धारा 29ए जोड़ दी। इसका उद्देश्य वह टैक्स हासिल करना था, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश की वजह से राज्य सरकारों के हाथ से निकल गया था। इसकी मदद से सरकार को उत्पादों की खरीद और आपूर्ति पर फिर से टैक्स वसूली का अधिकार मिल गया।
सर्विस टैक्स
यह टैक्स केंद्र सरकार लगाती है। इसकी दर 15 फीसदी है। यह कुल एमाउंट के 40 फीसदी हिस्से पर लगाया जाता है इसलिए सर्विस टैक्स की प्रभावी दर (40 फीसदी हिस्से पर 15 फीसदी) कुल एमाउंट पर 5.6 फीसदी होगी। फूड बिल और सर्विस चार्ज को मिलाकर कुल एमाउंट पर सर्विस टैक्स लगता है।
कब और कैसे हुई सर्विस टैक्स की शुरुआत
2011 में सर्विस टैक्स की शुरुआत हुई। तब यह टैक्स शराब के लाइसेंस वाले एयरकंडीशन्ड रेस्टोंरेंट पर लगता था। हालांकि 2013 में इसके दायरे को बढ़ाया गया और सभी एयर-कंडीशन्ड रेस्टॉरेंट, जिनके पास शराब लाइसेंस नहीं हैं को भी इसमें शामिल कर लिया गया।
क्या है सर्विस चार्ज
रेस्टॉरेंट या होटल अपने कर्मचारियों को प्रोत्साहन राशि देने के लिए सर्विस चार्ज ग्राहकों से वसूलते हैं। हालांकि इसका कोई कानूनी आधार नहीं है लेकिन सरकार ने कभी भी इसे नकारा नहीं है। सर्विस चार्ज वसूलने पर रेस्टोरेंट या होटल सरकार को टैक्स देते हैं। आमतौर पर सर्विस चार्ज की दर 5 से 10 फीसदी होती है। सबसे अहम बात यह है कि सभी रेस्टॉरेंट और होटल्स को अपने मैन्यु कार्ड और प्रमुख स्थानों पर सर्विस चार्ज की दर का उल्लेख करना चाहिए, जो वह नहीं करते हैं।
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