दिमाग को शाँत रखने और तनाव से बचने के लिए आप भी करिए भ्रामरी प्राणायाम

Rekha Khanna | Nov 08, 2023, 11:13 IST

मन को शांत रखने, चिंता और गुस्से जैसी समस्याओं को कम करने में फायदेमंद हो सकता है भ्रामरी प्राणायाम।

आजकल हमारी जीवनशैली कुछ इस तरह की हो गई है कि अपने लिए समय निकालना मुश्किल लगता है; ख़ासकर नौकरीपेशा लोगों के लिए, तो ऐसे में अपनी सेहत का ख्याल कैसे रखें? आज की इस कड़ी में बताने जा रहे हैं भ्रामरी प्राणायाम के बारे में, जिसे आप कहीं भी कभी भी कर सकते हैं।

अभ्यास कैसे किया जाए

किसी भी शांत, हवादार स्थान में आसन पर बैठ जाएँ; अपने चित्त को शांत करें, आते जाते विचारों को शांत करें, आँखें कोमलता से बंद करें और चेहरे पर प्रसन्नता के भाव रखें।

अब अपनी तर्जनी ऊँगली को अपने माथे पर रखें, मध्यमा ऊँगली को कैंथस (आँख का वह कोना है जहाँ ऊपरी और निचली पलकें मिलती हैं) और अनामिका को नथुने के कोने पर रखें। अब स्वास भरते हुए फेफड़ों को हवा से भरें। अब धीरे-धीरे साँस छोड़ते हुए, मधुमक्खी की तरह एक भनभनाहट जैसी आवाज़ "मम्मम्म "करें। इस स्थिति में अपना मुँह बंद रखें और ध्वनि से उत्पन्न कम्पन्न को महसूस करें। भ्रामरी का अभ्यास आप पाँच मिनट से शुरू कर सकते हैं और धीरे धीरे इसकी अवधि बढ़ा सकते हैं।

भ्रामरी प्राणायाम के लाभ

भ्रामरी प्राणायाम से दिमाग शांत रहता है, तनाव कम करता है।

उच्च रक्तचाप के मरीज़ों के लिए लाभदायक है, इसके अभ्यास से उच्च रक्तचाप को कम किया जा सकता है।


भ्रामरी प्राणायाम के अभ्यास से नींद बहुत अच्छी आती है।

जिन लोगों को बहुत अधिक गुस्सा आता है, बात बात पर बिगड़ जाते हैं उन्हें भ्रामरी का अभ्यास करना चाहिए।

माइग्रेन के रोगियों के लिए यह प्राणायाम लाभदायक है।

भ्रामरी प्राणायाम के अभ्यास से हमारी बुद्धि तेज़ हो जाती है।

सावधानियाँ

ध्यान दें भ्रामरी का अभ्यास करते समय उँगलियों से अधिक दवाब न दें।

भिनभिनाने वाली आवाज़ निकालते समय अपने मुँह को बंद रखें।

प्राणायाम करते समय अपने चेहरे पर अधिक दबाव न डालें

इस प्राणायाम को चार-पाँच बार से अधिक न करें।

Tags:
  • yoga
  • yoga day