गाड़ी खरीदने जा रहे हैं या चलाते हैं तो ये ख़बर आपके काम की है

देश में हर रोज़ 415 लोग सड़क हादसे में जान गँवा देते हैं और कई लोग घायल होते हैं। भारत में सड़क हादसा कोविड 19 से भी गंभीर है। इसकी बड़ी वजह ख़राब ड्राइविंग और कुछ गाड़ियों का सुरक्षा मानकों के हिसाब से फिट नहीं होना है ।

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क्या आपको पता है कि आपकी गाड़ी की सेफ्टी के लिए ज़रूरी सभी फीचर्स उसमें हैं? अगर नहीं है तो कोई बात नहीं, आप इसे जानकर न सिर्फ अपनी सुरक्षा कर सकते हैं सड़क पर चलने वाले दूसरों को भी सुरक्षित रख सकेंगे।

अक्सर हम गाड़ी अपने बजट या कंपनी के विज्ञापनों से प्रभावित होकर खरीद लेते हैं। इस बात का ध्यान नहीं रखते हैं कि ये सुरक्षा के लिहाज़ से कितनी ठीक है ? क्या हाइवे या पहाड़ों पर चलने के योग्य है ? ख़राब सड़कों या बारिश के समय कितनी सुरक्षित होगी ? एयरबैग, एंटी लॉक ब्रेकिंग, प्रेशर मॉनीटरिंग सिस्टम, स्पीड अलर्ट सिस्टम या सीट बेल्ट अलार्म जैसी सुरक्षा सुविधाएँ है भी या नहीं ? बारिश के दिनों में गाड़ी से जुड़े हादसे काफी होते हैं।

कार कम्पनियाँ जो भी दावा करें अक्सर कुछ गाड़ियों में सुरक्षा से जुड़ी चीजे नहीं होती हैं। इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि साल 2014 में जब ग्लोबल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (एनसीएपी) की तरफ से क्रैश टेस्ट किए गए तो पता चला कि भारत के कुछ सबसे ज़्यादा बिकने वाले कार मॉडल यूएन (संयुक्त राष्ट्र) के फ्रंटल इम्पैक्ट क्रैश टेस्ट में फेल रहे हैं।


आप अच्छे ड्राइवर है और आपके साथ सड़क हादसा नहीं होगा इस बात की कोई गारंटी नहीं है। कई बार सड़क हादसों के वे लोग भी शिकार हो जाते हैं जिनकी कोई गलती नहीं होती है।

दुनिया के केवल 1 प्रतिशत गाड़ियों के साथ, भारत में सड़क दुर्घटनाओं में सभी देशों में होने वाली मौतों का 11 प्रतिशत हिस्सा होता है, जो सभी देशों से सबसे ज़्यादा है। सरकार भी मानती है कि ये समस्या इतनी गंभीर है कि इसे सिर्फ कड़े नियम क़ानून से ख़त्म नहीं किया जा सकता है आम जनता में स्वयं भी इसे लेकर सचेत रहना होगा।

डब्लूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के मुताबिक दुनिया भर में सड़कों पर मरने वाले 10 लोगों में से कम से कम एक व्यक्ति भारत से होता है। देश के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री की माने तो सड़क हादसा कोविड 19 से भी गंभीर है। इसे कम करने के लिए जरुरी है सभी परिवार के बड़े बुजुर्ग और स्कूल कॉलेजों में टीचर्स बड़े होते बच्चों को गाड़ी और सड़क से जुड़े नियम क़ानून की जानकारी जरूर दें। तेज़ रफ़्तार, ट्रैफिक सिग्नल को नज़र अंदाज़ करना या सीट बेल्ट न लागे जैसी लापरवाही का ही नतीजा है कि आज देश में हर रोज़ 415 लोग सड़क हादसे में जान गवा देते हैं।


साल 2021 से जुलाई 2023 तक सड़क हादसों का सिलसिला कम नहीं हो रहा है। सरकार की रिपोर्ट कहती है कि 2021 में सड़क दुर्घटनाओं में 1.5 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई और इन आकड़ों में गुजरे सालों की तुलना में कोई कमी नहीं देखी गई।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार 1.9 फीसदी सड़क हादसों से जुड़ी मौतों में शराब या नशीली दवा वजह होती है। तेज़ रफ़्तार, ओवरटेकिंग और ख़तरनाक ड्राइविंग का शौक कई परिवारों की ज़िंदगी तबाह कर रहा है। मोबाइल फोन पर बात करते समय ड्राइविंग सड़क दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण बन गया है।

सड़क हादसे कम करने की अंतर्राष्ट्रीय पहल

ब्राजील की राजधानी ब्रासीलिया में कई देशों ने मिलकर 2015 में एक घोषणा पत्र पर दस्तखत किया जिसमें सड़क हादसों को कम करने पर सहमति जताई गई थी। घोषणा पत्र पर दस्तख्त करने वाले देशों में भारत भी शामिल था।

इसमें 2030 तक सड़क यातायात दुर्घटनाओं से होने वाली दुनियाभर की मौतों और चोटों की संख्या को आधा करना है। इसमें सभी देशों में ट्रांसपोर्ट सिस्टम (यातायात व्यवस्था) को नयी तकनीक के साथ बेहतर बनाने पर ज़्यादा जोर दिया गया है।


भारत में गाड़ी चलाने को लेकर कुछ नियम अब सख्त किये गए है जिससे सड़क हादसों में कमी हो सके। मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019 में कई पुराने दंड की राशि को काफी बढ़ाया गया। बावजूद इसके हादसों में कमी नहीं होना बताता है कि गाड़ी और सड़क को लेकर अब भी लोगों में अनुशासन और जागरूकता की कमी है।

नए क़ानून में हिट- एंड- रन के मामले में मौत होने पर अपराधी घटना का खुलासा करने के लिए अगर पुलिस या मजिस्ट्रेट के सामने पेश नहीं होता है तो जुर्माने के अलावा 10 साल तक की जेल की सज़ा हो सकती है।

BaatPateKi 

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