बैकयार्ड मुर्गी पालन के लिए सबसे बेहतर नस्ल है कैरी निर्भीक

गाँव कनेक्शन | Aug 10, 2023, 13:07 IST
देसी मुर्गी पालन शुरू करने वालों के लिए वैज्ञानिकों ने कैरी निर्भीक नस्ल विकसित की है, दूसरी नस्लों की तुलना में ये बेहतर कमाई करा सकती है।
cari
अगर आप भी देसी मुर्गी फार्म शुरू करना चाहते हैं और समझ में नहीं आ रहा है कि कौन सी किस्म का पालन करें, ऐसे में किसान देसी नस्ल कैरी निर्भीक का पालन कर सकते हैं।

आईसीएआर-केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर, बरेली ने कैरी निर्भीक नस्ल विकसित की है। यहाँ के वैज्ञानिक डॉ एमपी सागर इस किस्म की खासियतों के बारे में बताते हैं, "कैरी निर्भीक को अंडे और मीट दोनों के लिए पाला जाता है, दूसरी नस्ल के मुकाबले इसका वजन भी तेज़ी से बढ़ता है और इनकी ज़्यादा देखरेख की भी ज़रूरत नहीं होती है।"

केंद्रीय एवियन अनुसंधान संस्थान की मदद से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, हरियाणा, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, पश्चिम बंगाल जैसे कई राज्यों में इस नस्ल का पालन करके देखा है और परिणाम भी बढ़िया आए हैं। बैकयार्ड फार्मिंग के लिए कैरी निर्भीक नस्ल बढ़िया होती है।

367070-cari-nirbheek-chicken-breed-backyard-poultry-farming-desi-chicken-2
367070-cari-nirbheek-chicken-breed-backyard-poultry-farming-desi-chicken-2

इसका माँस प्रोटीन के गुणों से भरपूर होता है। इस नस्ल की मुर्गी तेज़ तर्रार, आकार में बड़ी, शक्तिशाली और मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली होती हैं। नर में लड़ने की प्रवृत्ति और मादा में चिड़चिड़ेपन की प्रवृत्ति इस किस्म के कुछ अनोखे लक्षण हैं। इस नस्ल के नर और मादा का वजन लगभग 20 सप्ताह के अंदर ही 1850 और 1350 ग्राम के आसपास हो जाता है।

कैरी निर्भीक नस्ल की मुर्गी 170-180 दिनों में अंडे देने को तैयार हो जाती हैं और 170-200 अंडों का उत्पादन ले सकते हैं। इनके अण्डों का वजन लगभग 54 ग्राम होता हैं। इन पक्षियों की प्रजनन क्षमता, अंडों से निकलने की क्षमता और अंडे के अंदर रहने की क्षमता क्रमशः 88, 81 और 94 प्रतिशत के आसपास दर्ज की गई है।

कैरी निर्भीक मुर्गों का रंग असील जैसा पीला होता है, नर के पंखों का रंग सुनहरा लाल होता है, जबकि मादा का रंग सुनहरा लाल से पीला होता है। इनकी त्वचा और टांग का रंग पीला होता है।

367071-cari-nirbheek-chicken-breed-backyard-poultry-farming-desi-chicken-1
367071-cari-nirbheek-chicken-breed-backyard-poultry-farming-desi-chicken-1

कैरी निर्भीक को 5 से 25 की संख्या में पाल सकते हैं। पक्षियों को आसपास उपलब्ध खुले मैदान के आधार पर चूजों को 5 से 25 पक्षियों की सीमित संख्या में पाला जा सकता है। इन्हें घर के पिछवाड़े/खुले मैदान में पूरे दिन के लिए खुला छोड़ दिया जाता है।

पहले दो-तीन दिनों के दौरान, पक्षियों को पर्याप्त चारा (अनाज का मिश्रण) देना चाहिए उसके बाद सफाई से बचा हुआ चारा धीरे-धीरे घटकर 35-40 ग्राम/पक्षी/दिन कर देना चाहिए। लेकिन खेत में प्राकृतिक चारा संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर मात्रा को बढ़ाया या घटाया जा सकता है, जो मौसम और वर्षा पर निर्भर करता है।

आजकल कई किसान इस पक्षी को 2000 से 5000 पक्षियों के साथ स्टॉल फीडिंग के साथ सीमित शेड में रखते हैं। चौबीसों घंटे प्रचुर मात्रा में साफ पानी की उपलब्धता होनी चाहिए है।

मलिहाबाद तहसील के अमलौली गाँव के ओमप्रकाश ने साल 2019 में आम के बाग में चंद्र प्रकाश तिवारी के साथ मिलकर देसी मुर्गी पालन शुरू किया था।

कैरी निर्भीक किस्म के बारे में ओम प्रकाश बताते हैं, "इस नस्ल की कई खासियतें हैं, आम के बाग में इसे पालने से ये आम में लगने वाले कीट-पतंगों को खाकर नुकसान से बचाते हैं। देसी मुर्गे और अंडे की कीमत ब्रायलर और लेयर के मुकाबले बढ़िया मिल जाती है।"

यहाँ के किसान चूजे भी बेचते हैं। तैयार होने के बाद पाँच से छह दिन का चूजा लगभग 85 रुपए, 15 से 20 दिन का चूजा 100 रुपए में और दो महीने का चूजा 200 रुपए में बेचते हैं। जबकि तैयार मुर्गों की कीमत 1000 से 1200 रुपए तक मिल जाती है। यहाँ से चूजे खरीदने के लिए लखनऊ ही नहीं दूर-दूर के कई किसान आते हैं।

अगर आप भी कैरी निर्भीक नस्ल का मुर्गी पालन करना चाहते हैं तो आईसीएआर-केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर, बरेली से संपर्क कर सकते हैं।

Tags:
  • cari
  • backyard poultry farming

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.