बुवाई से बाजार तक किसानों को सक्षम बनाकर उनकी आमदनी बढ़ाएगी यह योजना
गाँव कनेक्शन | Apr 21, 2022, 13:26 IST
देश में लगभग 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जिन्हें एफपीओ के माध्यम से आदान उपलब्ध कराने से लेकर प्रोसेसिंग व उपज की बाजार में उचित दाम पर बिक्री में सहयोग जैसी सुविधाएं दिलाना सरकार का उद्देश्य है।
किसानों को बुवाई से लेकर बाजार उपलब्ध कराने के लिए एफपीओ काफी कारगर साबित हो सकते हैं। देश में 10 हजार कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) की योजना भी चल रही है।
इस योजना को सुचारू रूप से लागू करने के संबंध में क्लस्टर आधारित व्यावसायिक संगठनों (सीबीबीओ) का राष्ट्रीय सम्मेलन 21 अप्रैल को दिल्ली में आयोजित किया गया। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे।
इस अवसर पर कृषि मंत्री ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में एफपीओ बनाने की योजना कृषि के क्षेत्र में एक क्रांति की शुरूआत है। इस क्रांति के माध्यम से, बुवाई से बाजार तक किसानों को सक्षम बनाकर उनकी आमदनी बढ़ाना इस योजना का मुख्य उद्देश्य है।
उन्होंने आगे कहा कि एफपीओ से किसानों को समृद्ध बनाने के लिए सीबीबीओ को हर जतन करना होगा। एफपीओ की परिकल्पना तब पूरी होगी, जब एफपीओ बनने के बाद उसका लाभ किसानों को मिलने लगे तथा केसर की तरह उसकी खुशबू फैले और सारे किसान कहें कि हमें भी एफपीओ से जोड़िए व आगे नए एफपीओ गठन के लिए सरकार से मांग हो।"
सीबीबीओ को सरकार साधन दे रही है, जिससे अच्छे परिणाम आना चाहिए। सीबीबीओ इसलिए बनाए गए हैं क्योंकि वे इस विषय में विशेषज्ञ हैं, जागरूकता फैला सकते हैं, किसानों को खेती में टेक्नालाजी दे सकते हैं, किसान अच्छा- गुणवत्तापूर्ण उत्पादन करें, इस दृष्टि से मार्गदर्शन कर सकते हैं और किसानों को वाजिब दाम दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार देश में पहले लगभग 7 हजार एफपीओ बने थे, लेकिन अधिकतर टिकाऊ नहीं हो पा रहे थे, इसीलिए इस नई योजना की शुरूआत की गई है। एफपीओ छोटे किसानों के संगठन है। इस पूरी योजना पर सरकार 6,865 करोड़ रुपये खर्च करेगी। देश में लगभग 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जिन्हें एफपीओ के माध्यम से आदान उपलब्ध कराने से लेकर प्रोसेसिंग व उपज की बाजार में उचित दाम पर बिक्री में सहयोग जैसी सुविधाएं दिलाना सरकार का उद्देश्य है।
एफपीओ यानी किसान उत्पादक संगठन (किसान उत्पादक कंपनी) किसानों का एक समूह है, जो कृषि उत्पादन करता हो और खेती-किसानी से जड़ी व्यावसायिक गतिविधियां भी चलाएगा। एफपीओ के माध्यम से सामूहिक खेती को बढ़ावा मिलेगा और किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए बाजार आसानी से उपलब्ध होगा।
एफपीओ के तहत संगठित रूप से खेती करने के लिए सरकार सहायता भी उपलब्ध कराएगी, जिससे एक साथ खाद, बीज, दवाइयां और कृषि उपकरण खरीदने में आसान होगी। इसके अलावा प्रासेसिंग यूनिट और स्टोरेज की व्यवस्था की जा सकती है और फसल की अच्छी कीमत प्राप्त की जा सकती है।
अगर किसान अकेले अपनी फसल को बेचने जाता है तो उसका फायदा बिचौलिया उठाता है। एफपीओ व्यवस्था में बिचौलिये नहीं होंगे, इसलिए किसानों को उनके उत्पाद की अच्छी कीमत मिलेगी।
इस योजना को सुचारू रूप से लागू करने के संबंध में क्लस्टर आधारित व्यावसायिक संगठनों (सीबीबीओ) का राष्ट्रीय सम्मेलन 21 अप्रैल को दिल्ली में आयोजित किया गया। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे।
इस अवसर पर कृषि मंत्री ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में एफपीओ बनाने की योजना कृषि के क्षेत्र में एक क्रांति की शुरूआत है। इस क्रांति के माध्यम से, बुवाई से बाजार तक किसानों को सक्षम बनाकर उनकी आमदनी बढ़ाना इस योजना का मुख्य उद्देश्य है।
इस अवसर पर 10,000 FPO के गठन और संवर्धन की केंद्रीय क्षेत्र की योजना के लोगो (Logo) का भी अनावरण किया...#FPO #CBBO pic.twitter.com/j6oL4fKRkm
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) April 21, 2022
सीबीबीओ को सरकार साधन दे रही है, जिससे अच्छे परिणाम आना चाहिए। सीबीबीओ इसलिए बनाए गए हैं क्योंकि वे इस विषय में विशेषज्ञ हैं, जागरूकता फैला सकते हैं, किसानों को खेती में टेक्नालाजी दे सकते हैं, किसान अच्छा- गुणवत्तापूर्ण उत्पादन करें, इस दृष्टि से मार्गदर्शन कर सकते हैं और किसानों को वाजिब दाम दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
"10,000 एफपीओ के गठन और संवर्धन" की केंद्रीय क्षेत्र की योजना के तहत क्लस्टर आधारित व्यावसायिक संगठनों (CBBO) के राष्ट्रीय सम्मेलन का आज नई दिल्ली के पूसा परिसर में दीप प्रज्वल्लित कर शुभारम्भ किया...#CBBO pic.twitter.com/uH4nrLgnBI
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) April 21, 2022
कैसे काम करता है एफपीओ
एफपीओ के तहत संगठित रूप से खेती करने के लिए सरकार सहायता भी उपलब्ध कराएगी, जिससे एक साथ खाद, बीज, दवाइयां और कृषि उपकरण खरीदने में आसान होगी। इसके अलावा प्रासेसिंग यूनिट और स्टोरेज की व्यवस्था की जा सकती है और फसल की अच्छी कीमत प्राप्त की जा सकती है।
अगर किसान अकेले अपनी फसल को बेचने जाता है तो उसका फायदा बिचौलिया उठाता है। एफपीओ व्यवस्था में बिचौलिये नहीं होंगे, इसलिए किसानों को उनके उत्पाद की अच्छी कीमत मिलेगी।