सावधान: कहीं आप अनजाने में नकली दवा तो नहीं खरीद रहे हैं? जानिए कैसे करें पहचान

हाल ही में देश के कई राज्यो में नकली दवाओं को लेकर छापेमारी हुई। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और तेलंगाना में हुई इस छापेमारी में करोड़ों की नकली दवाई जब्त की गई; सिर्फ गाजियाबाद में ही छापेमारी के दौरान एक करोड़ की नकली दवाई पकड़ी गई। ऐसे में ज़रूरी है आप दवा खरदते समय असली नकली में आसानी से फर्क कर सके।

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इमरजेंसी में झटपट दुकान से दवा लेकर घर आना और उसे मरीज को खिला देना ये आम बात है। लेकिन ये आपके अपनों के लिए जानलेवा भी हो सकता है।

जी हाँ, इन दिनों नकली दवाओं का बड़ा बाजार तैयार हो गया है, जहाँ असली के बीच नकली दवाएँ बेची जा रही हैं।

ऐसे पहचाने दवा असली है नकली

दवा हमेशा लाइसेंस स्टोर / दुकान से ही खरीदें। यह लाइसेंस दुकान में डिस्प्ले होना चाहिए।

कोई भी दवा खरीदें तो दुकानदार से बिल ज़रूर लें। बिल लेने में फ्रॉड की संभावना कम हो जाती है।

मज़बूरी में ही ऑनलाइन दवा खरीदें। इसमें नकली दवा बेचे जाने की संभावना ज़्यादा होती है I

अक्सर नकली दवाईयाँ आपको काफी सस्ती और डिस्काउंट पर मिलेंगी। ऑफर वाली दवाओं को भी ठीक से देख कर ही लें।


अगर आपको दवा के प्रिंटिंग में कोई स्पेलिंग मिस्टेक या डिजाइन में फर्क दिखता है तो सावधान हो जाइए, वो दवा नकली हो सकती है

दवा पर बैच नंबर, मैन्युफैक्चर डेट,और एक्सपायरी डेट लिखी होनी चाहिए। यानी दवा का नंबर और कब बनी है के बगल में किस तारीख़ तक खाने योग्य है ये लिखा होता है।

अगर आपको दवाइयों के पैकेट पर बारकोड, यूनिक कोड या क्यूआर कोड नहीं दिखाई देता है तो ऐसे दवा को खरीदने से बचें। बहुत ज़रूरी है तो उसे डॉक्टर को दिखा कर ही इस्तेमाल करें।

ज़्यादातर मामलों में देखा गया है कि नकली दवाई की ऊपरी परत आमतौर पर सिकुड़ी हुई और ख़राब रहती है।

दवा लेने के बाद उसके रैपर पर बने क्यूआर कोड को स्कैन कर चेक करें।

दवाइयों पर बना क्यूआर कोड या यूनिक कोड एडवांस वर्जन वाला होता है। इसे सेंट्रल डेटाबेस एजेंसी जारी करती है। हर दवा के साथ उसका यूनिक क्यूआर कोड भी चेंज होता है। इसलिए इसे कॉपी करना लगभग नामुमकिन है।

100 रुपये से अधिक की सभी दवाओं पर बारकोड लगाना अनिवार्य होता है। ऐसे में बिना बारकोड वाली दवाई न खरीदें।

कहाँ करें शिकायत

नकली दवा बेचने या बनाने से जुड़ी कोई भी शिकायत आप 1800-180-5533 पर कर सकते हैं।

इसके अलावा राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन नंबर 1915 पर फोन करके भी आप अपनी शिकायत बता सकते हैं। आप [email protected] पर मेल भी कर सकते हैं।

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