पशुओं के हरे चारे के लिए विकसित रोग प्रतिरोधी इन किस्मों की ही करें बुवाई

आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने हरे चारे की कई किस्में विकसित की हैं, जिनकी बुवाई करके किसान पशुओं को पौष्टिक हरा चारा खिला सकते हैं।

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पशुओं के हरे चारे के लिए विकसित रोग प्रतिरोधी इन किस्मों की ही करें बुवाई

पशुपालकों के सामने सबसे अधिक समस्या हरे चारे की आती है, जबकि किसान एक बार किसी चारे फसल की बुवाई करके कई बार कटाई कर सकता है।

पूसा ने चारा फसलों के रूप में ज्वार की एकल कटाई और बहु कटाई वाली संकर किस्में विकसित की हैं। पूसा चरी-6 व पूसा चरी-9 एकल कटाई वाली प्रजातियाँ हैं, जबकि बहु कटाई वाली किस्मों में पूसा चरी-23, पूसा चरी संकर-106, पूसा चरी-615, पूसा चरी-109 हैं। पूसा चरी-106 और पूसा चरी-23 पूरे भारत के लिए अनुमोदित है जबकि पूसा चरी-615, पूसा चरी -109 राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए अनुमोदित है।

किसानों के मन सवाल आ सकता है कि चरी बुवाई किस महीने में करें। ऐसे में पूसा चरी 106 गर्मी और खरीफ के मौसम में सिंचित अवस्था में बुवाई के लिए उपयुक्त है। यह बहुकटाई वाली पहली संकर किस्म है जिसकी पत्तियाँ लम्बे समय तक हरी बनी रहती हैं। तना रसदार व मीठा होता है जिसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक (8 क्विंटल प्रति हैक्टेयर) होती है। यह फसल 50-55 दिनों में पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है।


पूसा चरी-615, बहु कटाई वाली किस्म है इसकी औसत उपज 700 क्विंटल प्रति हैक्टेयर हरा चारा और 200 क्विंटल/हैक्टेयर सूखा चारा व 10 क्विंटल/हैक्टेयर बीज उपज ली जा सकती है। इसका तना मोटा, अधिक रस वाला तथा अधिक समय तक हरा रहता है। पूसा चरी संकर-109, बहुकटाई वाली संकर किस्म है जो 55-60 दिनों में पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह किस्म विभिन्न बीमारियों के लिए प्रतिरोधी है।

बुवाई करते समय छोटे दाने वाली किस्मों के लिए बीजदर 10-12 किग्रा. प्रति हैक्टेयर रखें। बुवाई के समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25 सेमी. एवं पौधे से पौधे की दूरी 10-12 सेमी. रखें। बुवाई के समय बीज की गहराई 1.5-2.0 सेमी. उपयुक्त है।


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