छत्तीसगढ़ में बस्तर के बाद सरगुजा में दिखा खतरनाक फॉल आर्मीवर्म कीट

Divendra Singh | Mar 09, 2019, 14:30 IST

छत्तीसगढ़। कुछ ही दिनों पहले बस्तर में मक्के की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले फॉल आर्मीवर्म को अब उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र सरगुजा में देखा गया है।

कृषि विज्ञान केंद्र, जगदलपुर के वैज्ञानिकों ने बस्तर और बकावंड ब्लॉक में मक्का की फसल में फॉल आर्मीवर्म को जनवरी में देखा। फॉल आर्मीवार्म प्रजाति का ये कीट भारत में नहीं पाया जाता है, इसे पहली बार मई-जून 2018 में कर्नाटक के चिककाबल्लपुर जिले के गोविरिद्नूर में मक्का की फसल में देखा गया था, जब वैज्ञानिक फसल में कैटर पिलर से होने वाले नुकसान की जांच कर रहे थे, इससे मक्का की फसल को काफी नुकसान हुआ था।



कृषि विज्ञान केंद्र, बस्तर के कीट वैज्ञानिक धर्मपाल केरकेट्टा बताते हैं, "सुभाष नगर भगवानपुर गाँव के रवीन्द्र चक्रवर्ती ने लगभग 12 एकड़ में मक्के की बुवाई की है, कुछ दिन पहले किसान ने फोन के माध्यम से अपने मक्का के खेत में पहली बार एक अलग प्रकार के कीट के संक्रमण की बात बतायी थी। कृषि विज्ञान केंद्र, बस्तर के वैज्ञानिकों ने सरगुजा क्षेत्र का भ्रमण कर यह बताया कि यह वही फाल आर्मी वर्म कीट है, जिसे इसी जनवरी माह में बस्तर में पुष्टि की गई थी।"

फॉल आर्मीवर्म का वैज्ञानिक नाम स्पोडोप्टेरा फ्रूगीपेर्डा है। यह कीट मक्के, ज्वार, गन्ना जैसी फसलों के लिए अत्यधिक घातक माना जाता है। धर्मपाल केरकेट्टा आगे बताते हैं, "यह कीट मूलतः अमेरिका का है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसके कारण अफ्रीका के कई देशों में मक्के की फसल को भारी नुकसान हुआ है। अभी हाल में ही जनवरी 2019 में श्रीलंका में मक्के कि फसल में इस कीट का भारी संक्रमण एवं नुकसान देखा गया है। भारत में कर्नाटक के अलावा यह कीट तमिलनाडू, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात प्रदेशों से पाये जाने की बात सामने आ चुकी है। लेकिन छत्तीसगढ़ मे पहली बार, छत्तीसगढ़ के प्रमुख मक्का उत्पादक क्षेत्र कहे जाने वाले बस्तर में इसका संक्रमण देखा गया है।

कीट को इल्ली के भूरे रंग, सिर पर अंग्रेजी के उल्टे Y (वाई) की आकृति और पिछले सिरे पर चार वर्गाकार व्यवस्था मेँ बिंदी के निशान द्वारा पहचाना जा सकता है। सर्वेक्षण से पता चलता है कि कीट का आक्रमण मक्का फसल के आरंभिक अवस्था में ही शुरू हो जाता है जिसमे कीट की इल्ली पहले कोमल पत्तियों और मुख्य प्ररोह को खाता है। बाद मे यह कीट मक्के के दाने को संक्रमित कर भारी क्षति पहुंचाता है।

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