'चालान कट जाये तो पुलिस से उलझें नहीं, फाइन से मिल सकता है छुटकारा, यहांं करें फरियाद'

नया मोटर व्हीकल एक्ट को क्यों लागू किया गया, इस एक्ट में क्या नया है और अगर इस एक्ट के तहत आपका चालान हो जाता है तो क्या करें ? इन सब विषयों पर गाँव कनेक्शन ने लखनऊ के यातायात पुलिस अधीक्षक पूर्णेन्दु सिंह से बात की।

Deepanshu MishraDeepanshu Mishra   11 Sep 2019 8:53 AM GMT

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लखनऊ। नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू होने के बाद देशभर से चालान कटने की खबरें खूब आ रही हैं। चालान राशि को लेकर लोग घबराए हुए हैं। बहुत से लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं। लेकिन इसे लेकर आपको डरने की जरूरत नहीं है। कानून आपको इससे बचने का मौका भी दे रहा है।

नया मोटर व्हीकल एक्ट में चालान की दर में पांच से 10 गुना तक बढ़ गई है। इस एक्ट को क्यों लागू किया गया, इस एक्ट में क्या नया है और अगर इस एक्ट के तहत आपका चालान हो जाता है तो क्या करें ? इन सब विषयों पर गाँव कनेक्शन ने लखनऊ के यातायात पुलिस अधीक्षक पूर्णेन्दु सिंह से बात की।

पूर्णेन्दु सिंह, पुलिस अधीक्षक यातायात, लखनऊ

पूर्णेन्दु सिंह बताते हैं, "सुप्रीम कोर्ट की कमेटी है 'कमेटी ऑन रोड सेफ्टी'। यह लगातार इस पर निगरानी रखती है कि पूरे भारत में जो एक्सीडेंट हो रहे हैं उनके कारण क्या हैं और उन पर हम क्या कर सकते हैं? सड़क दुर्घटना में लगभग 1,50,000 लाख मौत का शिकार हो जाते हैं और लगभग पांच लाख लोग घायल होते हैं। लगातार जो 10 वर्षों से अवेयरनेस के प्रोग्राम चल रहे थे उनका परिणाम कोई बहुत अच्छा नहीं आ रहा था। हम लोग यातायात माह मनाते हैं, जिसमें एक महीने लगातार अवेयरनेस के प्रोग्राम करते हैं लेकिन इसका कोई बहुत प्रभाव नहीं पड़ा। अंत में मजबूर होकर सरकार को पेनल जो हमारे सेक्शन थे उसको कड़ा करना पड़ा। उस एक्ट में जितने भी दंड के प्रावधान थे उसमें जुर्माने में पांच से लेकर दस गुने तक की वृद्धि की गई ताकि लोगों को डर लगे।"

नए मोटर व्हीकल एक्ट लागू होने बाद आया बदलाव

वो आगे बताते हैं, "नए मोटर व्हीकल एक्ट लागू होने के बाद हम लोगों ने यह देखा है कि लोगों के मन में भारी जुर्माने से एक डर बैठ गया है। लखनऊ शहर की बात करें तो यहाँ पर यातायात नियमों को तोड़ने की दर में 20-25 प्रतिशत की कमी आई। अब ऑफिस जाते वक्त, वापस आते वक्त और बाहर निकलते वक्त लोग नियमों का पालन कर रहे हैं।"

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"इस दौरान हमने देखा है कि जब से नया एक्ट पारित हुआ है कोई भी ऐसा एक्सीडेंट नहीं हुआ है, जिससे यह लगता है कि नियम तोड़ने की वजह से भी हादसे होते हैं। ओवरस्पीडिंग रुकी है, ड्रंक एंड ड्राविंग नहीं हो रही है, लोग सीट बेल्ट लगा रहे हैं तो इसका बहुत जबरदस्त प्रभाव पड़ा है। एक पुलिस अधिकारी होने के नाते मुझे लगता है कि इसके बहुत अच्छे परिणाम मिलेंगे और जो लोग अभी भी नियमों को तोड़ने पर लगे हैं तो उन पर ट्रायल करके हम कोर्ट से जुर्माना कर देंगे तब इसका प्रभाव और ज्यादा पड़ेगा।" पूर्णेन्दु सिंह आगे बताते हैं।

पांच से दस गुना तक बढ़ा चालान

पुलिस अधीक्षक बताते हैं, "हेलमेट न पहनना, सीट बेल्ट न लगाना, नो पार्किंग में गाड़ी पार्क करना इनमें लगभग 10 गुना की वृद्धि की गई है और मेजर जो बीच के थे जैसे ड्राइविंग लाइसेंस न होना, गाड़ी का रजिस्ट्रेशन न होना इनमें लगभग पांच गुना की वृद्धि हुई है, जैसे शराब पीकर गाड़ी चलाना यह बहुत खतरनाक था इसमें पांच गुना की वृद्धि की गई है।"

"नाबालिग बच्चे गाड़ी चलाते थे अभी तक उनके ऊपर जुर्माने का कोई भी प्रावधान नहीं था। सामान्य एमवी एक्ट में चालान करते थे। अब उसमें चार प्रकार के दंड कर दिए गये हैं 25,000 रुपए की फाइन कर दी गई है और तीन साल तक के लिए जेल की सजा दे दी जाएगी, अगर उसे कोर्ट भेज दिया तो वह बालक खुद भी सजा पा सकता है। उस गाड़ी का रजिस्ट्रेशन 12 महीने के लिए कैंसिल कर दिया जायेगा। इसके साथ ही बच्चे को 25 वर्ष तक के लिए ड्राइविंग लाइसेंस नहीं दिया जायेगा।" वो आगे बताते हैं।


चालान कट जाए तो घबराइये मत

पूर्णेन्दु सिंह बताते हैं, "मैं सभी लोगों से यह कहना चाहूँगा कि यह रोड सेफ्टी के लिए बनाया गया अधिनियम है इसमें जो बढ़ोतरी की गई है आपके फायदे के लिए की गई है फिर भी किन्हीं परिस्थितियों अगर आपसे नियम टूट जाता है और पुलिस आपका चालन कर रही है तो आप घबराइए मत और न पुलिस से उलझिए। आप अपनी बात को कोर्ट में कह सकते हैं हो सकता है कि आपका 50,000 का जुर्माना फ्री में छूट जाये।"

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"अब की सरकार ने एक बहुत अच्छा प्रावधान भी किया है जिसे मैं बताना चाहता हूँ। माननीय न्यायालय को कम्युनिटी सर्विस भी पनिशमेंट के तौर पर दे देने की पॉवर दी गई है। इसका मतलब यह है कि अगर आप नियम तोड़ चुके हैं तो भी हो सकता है कि आपका फाइन माफ कर दिया जाये। इसके बदले आपको किसी स्कूल में यातायात के नियम पढ़ाने की सजा या यातायात सम्बंधित पम्फलेट बांटने की सजा दी सकती है। इससे आपके ऊपर कोई आर्थिक बोझ भी नहीं पड़ेगा और सजा के तौर पर आपको समाज सेवा का एक मौका भी मिलेगा।" पुलिस अधीक्षक ने बताया।

   

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