आने वाले दिनों में गिर सकता है तापमान, कृषि विशेषज्ञों की सलाह से बचा सकते हैं फसल

गाँव कनेक्शन | Dec 28, 2019, 08:16 IST

मोहित सैनी/वीरेंद्र सिंह, कम्युनिटी जर्नलिस्ट

उत्तर प्रदेश/मध्य प्रदेश। लगातार गिरते तापमान और कोहरे, पाले का असर सीधे रबी की फसलों पर दिखायी देने लगा है, ऐसे में कुछ उपाय अपनाकर चना,अरहर, आलू, तोरिया, लौकी, सरसों, जौ , गेंहू जैसी फसलों को बचा सकते हैं।

सरदार वल्लभभाई पटेल विश्वविद्यालय, मेरठ के कृषि बायो टेक्नोलॉजी विभाग के प्राध्यापक डॉ. आरएस सेंगर किसानों को सलाह देते हैं, "भारी सर्दी में जब आसमान साफ हो हवा न चल रही हो और उस समय तामपान कम हो जाए तो तब पाला पड़ने की पूरी संभावना हो जाती है, दिन के समय सूर्य की गर्मी से पृथ्वी गर्म हो जाती है, जमीन से यह गर्मी विकिरण के जरिए वातावरण में स्थानांतरित हो जाती है। रात में जमीन का तापमान गिर जाता है जमीन को गर्मी नहीं मिलती तापमान कई बार जीरो डिग्री सेल्सियस या इससे भी कम हो जाता है ऐसी अवस्था में ओस की बूंदे जम जाती हैं इस अवस्था को हम पाला कहते हैं।"

वो आगे कहते हैं, "रबी की फसलों में जब पाले का असर पड़ता है, जिससे फसल बर्बाद हो जाती है। इससे बचने के लिए किसान भाई गंधक के तेजाब का 0.1 % का छिड़काव करें। इससे फसल के आस-पास के वातावरण का तापमान बढ़ जाता है। साथ ही पपीते जैसे बागवानी फसलों पर भी पाले का असर पड़ता है, इसलिए प्लास्टिक की शीट से पौधे को ढकने पर अंदर का तापमान बढ़ता ही है, पौधे की बढ़वार में भी मदद मिलती है।"


वहीं बाराबंकी के कृषि रक्षा विशेषज्ञ तारेश्वर त्रिपाठी बताते हैं, "इस समय तापमान बहुत नीचे है, जिसकी वजह से फसलों में फफूंदजनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जैसे कि आलू की फसल में झुलसा की समस्या देखने को मिल सकती है और ब्लाइट की समस्या सरसों की फसल में। इनसे बचाव के लिए मैंकोजेब कार्बेंडाजिम के छिड़काव से इससे बचा जा सकता है। इसके अलावा जो पाले की समस्या है उससे बचाने के लिए खेत के पश्चिमी और उत्तरी मेड़ पर थोड़ा धुआं कर दें, साथ ही हल्की सिंचाई भी कर दें।"


पंजाब, हरियाणा, बिहार, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में शीतलहर चल रही है। दिल्ली में शनिवार सुबह 6:10 बजे तापमान 2.4° सेल्सियस पहुंच गया, जबकि शुक्रवार को तापमान 4.2° सेल्सियस दर्ज किया गया था। राजस्थान के जयपुर में सर्दी ने 5 साल और जोधपुर में 35 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। शुक्रवार को श्रीनगर में न्यूनतम तापमान -5.6° रहा, जो सीजन की सबसे ठंडी रात रही।

कृषि विज्ञान केंद्र, रतलाम के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सर्वेश त्रिपाठी किसानों को सलाह देते हैं, "पाले का असर सबसे ज्यादा आलू और दलहनी फसलों पर पड़ता है। इसका प्रभाव रात 12 बजे से 02 बजे तक ज्यादा होता है, उसी समय फसलों को भी नुकसान होता है। उस फसल के आस-पास धुआं करें। ये ध्यान दे कि जिस तरफ से हवा चल रही हो, उसी तरफ से धुआं करें। धुआं करने से पांच-छह सेंटीग्रेट तक तापमान बढ़ जाता है। इसके साथ ही सल्फर का छिड़काव करके भी पाले से फसल को बचाया जा सकता है।"

बाड़ लगाकर भी बचा सकते हैं फसल

कृषि वैज्ञानिक डॉ आर एस सेंगर किसान भाइयों को आगे बताते हैं, "एक जनवरी से 20 जनवरी तक जब पाला पड़ता है तो पाले से बचाव के लिए खेतों के चारों ओर मेड़ पर पेड़ व झाड़ियां की बाड़ लगा कर फसल को शीतलहर से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। अगर खेत के चारों और मेड़ के पेड़ों की कतार लगाना संभव ना हो तो कम से कम उत्तर पश्चिमी दिशा में जरूर पेड़ की कतार लगानी चाहिए।"

दिन में फव्वारा चलाकर करें सिंचाई

कृषि वैज्ञानिक डॉ आर एस सेंगर बताते हैं कि जब भी पाले पड़ने की संभावना होती है, तो किसानों को मौसम पूर्वानुमान विभाग ने पाले की चेतावनी दी हो। तो फसल में हल्की सिंचाई करनी चाहिए इससे तापमान जीरो डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिरेगा यह फव्वारा विधि से सिंचाई की जाती है वहां ध्यान रखें कि सुबह चार बजे तक अगर फवारा चला कर बंद कर देते हैं तो सूर्य उदय से पहले फसल पर बूंदों के रूप में पानी जम जाता है। और इससे फायदे की अपेक्षा नुकसान अधिक हो जाता है।

पाले से अधिक नुकसान पौधे नर्सरी में होता है

डॉ आर एस सेंगर बताते हैं की पाले से अधिक नुकसान नर्सरी में होता है रात में पौधों को प्लास्टिक की चादर से ढकने की सलाह दी जाती है, ऐसा करने पर प्लास्टिक के अंदर का तापमान 2 - 3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है। गांव में पुआल का इस्तेमाल पौधे को ढकने के लिए किया भी किया जा सकता है। ध्यान रखें कि पौधे का दक्षिण पूर्वी भाग खुला रहे। ताकि पौधे को सुबह व दोपहर को धूप मिलती रहे मार्च आते ही इसे हटा दें।


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