खुले में शौच जाने वालों में आई कमी

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
खुले में शौच जाने वालों में आई कमी

लखनऊ। मोहम्मद शमीम (26 वर्ष) ने अब खुले में शौच जाना छोड़ दिया है। वो और उनका परिवार दो महीने पहले घर के बाहर बने शौचालय का ही इस्तेमाल करते हैं।

सिर्फ शमीम का ही परिवार नहीं माल ब्लॉक के हसनापुर तकिया गाँव में अब लगभग सभी परिवार बाहर शौच जाना छोड़ चुके हैं। दरअसल लखनऊ से करीब 40 किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित इस पंचायत के लोहिया पंचायत चुने जाने के बाद से यहां कई विकास कार्य किए गए। हर परिवार को शौचालय उपलब्ध करवाना उनमे से एक था।

दरअसल जुलाई के पहले सप्ताह में संयुक्त|राष्ट्रीय  ने 'प्रोगे्रस ऑफ सेनीटेशन एडं  डिंकिंग वॉटर-2015' नामक रिपोर्ट जारी की है, जिसके अनुसार भारत में खुले में शौच जाने वालों की संख्या में लगभग 30 प्रतिशत की कमी है। यानि लगभग 39.4 करोड़ लोगों ने शौच के लिए बाहर जाना छोड़, शौचालय प्रयोग करना शुरू कर दिया।

''जबसे हमारे घर में शौचालय बना है तबसे हम इसी में जा रहे हैं, इससे सबसे ज़्यादा फायदा घर की औरतों को हुआ'' , मोहम्मद शमीम के बिना प्लास्टर वाले घर के बाहर दो महीने पहले शौचालय बनवाया गया था।

खुले में शौच जाने वालों की संख्या में आई कमी से अब भारत उन देशों में शामिल हो गया है, जहां 25 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने खुले में शौच जाना बंद कर दिया है।

शहरों की तरह जीवन जीने की चाहत भी कारण है कि गाँवों में शौचालयों का प्रयोग बढ़ा है। ''हम जब शहरों में काम करते थे तब वहां बंद में शौच जाते थे, वह बहुत साफ-सुथरा होता था। वहीं से हमें शौचालय में ही जाने की आदत है।'' मो. शमीम बताते हैं।

इसके अलावा घर के बाहर बने शौचालय से ग्रामीणों को विपरीत मौसमी परिस्थितियों के दौरान भी आराम रहता है। ''शौचालय से बारिश और ठंड में बड़ा आराम हो जाता है, जाते-जाते आदत हो गई। गाँव से बहुत दूर जाना पड़ता था'', हसनापुर तकिया गाँव के निवासी अतीक अहमद (40 वर्ष) बताते हैं।

यूनीसेफ के मुताबिक खुले में शौच जाने से स्वास्थ्य के लिए कई गंभीर $खतरे उत्पन्न होते हैं, जिससे डायरिया व अन्य कई बीमारियों का ख़तरा बना रहता है। इससे भारत में हर साल तीन लाख लोगों की मौत हो जाती है।

अगर रिपोर्ट में बाताए गए भारत के पिछले 20 वर्षों के शौच जाने की प्रवृत्ति से जुड़े आंकड़ों पर नज़र डालें तो पता चलता है कि सुधार हाल ही के वर्षों में हुआ है। इसके अलावा भारत में ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी की उपलब्धता में भी सुधार देखा गया है।

''अगर हम अभी से सबको साफ पानी और शौच की उचित व्यवस्था नहीं दे पाए, तो दूषित पानी से होने वाली बीमारियों से लोगों का मरना जारी रहेगा।'' विश्व स्वास्थ्य संगठन की 'जन स्वास्थ्य विभाग' की निदेशिका मैरी नीयरा ने रिपोर्ट के साथ जारी अपने बयान में कहा।

 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.