5जी नेटवर्क और कोविड-19 संक्रमण के फैलाव में कोई संबंध नहीं है: मंत्रालय

भारत के शहर और गांव दोनों कोविड-19 की दूसरी लहर की चपेट में है। सोशल मीडिया पर कई जगह इस संक्रमण के लिए 5G Mobile Network की जिम्मेदार बताया जा रहा है। मंत्रालय ने इऩ्हें अफवाह बताया है और कहा है कि कोरोना का 5 जी प्रौद्योगिकी से कोई संबंध नहीं है

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5जी नेटवर्क और कोविड-19 संक्रमण के फैलाव में कोई संबंध नहीं है: मंत्रालय

5जी प्रौद्योगिकी और कोविड-19 संक्रमण के फैलाव में कोई सम्बन्ध नहीं है: केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय

नई दिल्ली। 5जी प्रौद्योगिकी (नेटवर्क) को कोविड-19 वैश्विक महामारी से जोड़ने वाले दावे भ्रामक हैं और उनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। अभी तक भारत में 5जी नेटवर्क कहीं भी शुरू नहीं हुआ है। दावा आधार हीन गलत है कि भारत में कोरोना वायरस वायरस 5जी के परीक्षण अथवा इसके नेटवर्क के कारण फैला। ये दावा केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने किया है।

कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच सोशल मीडिया पर कई जगह लोग कोरोना की वजह 5 जी नेटवर्क की टेस्टिंग बता रहे हैं। केंद्रीय केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय 10 मई को एक बयान जारी कर कहा कि ये जनकारी पूरी तरह आधारहीन है। मंत्रालय ने कहा कि दूरसंचार विभाग (डीओटी) के संज्ञान में यह जानकारी आई है कि विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस तरह के भ्रामक संदेश चल रहे हैं जिनमें यह दावा किया गया है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर आने का कारण 5जी मोबाइल टावरों से किए जा रहे परीक्षण हैं। जबकि दूरसंचार विभाग (डीओटी) की ओर से जारी वक्तव्य के अनुसार ऐसे सभी संदेश भ्रामक एवं असत्य होने के साथ ही बिलकुल भी सही नहीं हैं।

मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक 5जी प्रौद्योगिकी और कोविड-19 संक्रमण के फैलाव में कोई सम्बन्ध नहीं है। जनसामान्य से यह अनुरोध किया जाता है कि वे इस सम्बन्ध में चल रही असत्य एवं गलत सूचनाओं और फैलाई जा रही अफवाहों से भ्रमित न हों। 5जी प्रौद्योगिकी को कोविड-19 वैश्विक महामारी से जोड़ने वाले दावे भ्रामक हैं और उनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। साथ ही ये भी सूचित किया जाता है कि अभी तक भारत में 5जी नेटवर्क कहीं भी शुरू ही नहीं हुआ है। अतः यह दावा आधार हीन गलत है कि भारत में कोरोना वायरस वायरस 5जी के परीक्षण अथवा इसके नेटवर्क के कारण फैला।

बयान के मुताबिक मोबाइल टावरों से बहुत कम क्षमता की नॉन-आयोनाइजिंग रेडियो तरंगें उत्सर्जित होती है और वे मनुष्यों सहित किसी भी जीव को किसी भी प्रकार की हानि पहुंचाने में अक्षम होती हैं। दूरसंचार विभाग ने रेडियो आवृत्ति (फ्रीक्वेंसी) क्षेत्र (अर्थात आधार स्टेशन उत्सर्जन) से उत्पन्न होने वाले खतरे (एक्सपोजर) की सीमा के लिए जो मानक निर्धारित किए हैं वे नॉन-आयोनाइजिन्ग विकिरण सुरक्षा पर अन्तर्राष्ट्रीय आयोग (इंटरनेशनल कमीशन ऑन नॉन-आयोनाइजिंग रेडिएशन प्रोटेक्शन-आईसीएनआईआरपी) द्वारा निर्धारित और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अनुमोदित सुरक्षा सीमाओं से 10 गुना अधिक कड़े हैं।

दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा उठाए जा चुके कदम:

डीओटी की एक सुगठित प्रणाली है ताकि सभी टीएसपी इन निर्धारित मानकों का कड़ाई से पालन कर सकें। यदि किसी नागरिक को यह आशंका है कि किसी मोबाइल टावर से विभाग द्वारा निर्धारित सुरक्षित मानकों से अधिक रेडियो तरंगों का उत्सर्जन हो रहा है तो https://tarangsanchar.gov.in/emfportal के तरंग संचार पोर्टल पर ईएमएफ मापन/परीक्षण के लिए लिखित अनुरोध किया जा सकता है।

मोबाइल टावरों से होने वाले विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र (इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड–ईएमएफ) उत्सर्जन से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों से जनसामान्य की आशंकाओं के निवारण के लिए दूरसंचार विभाग लोगों में ईएमएफ विकिरण के बारे में जागरूकता लाने की दिशा में बहुत से कदम उठा रहा है।


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