मिशन पोषण 2.0: अब तक कितनी गर्भवती महिलाओं को मिला योजना का लाभ? जानें ताज़ा आंकड़े
Gaon Connection | Aug 09, 2025, 17:20 IST
मिशन पोषण 2.0 और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना जैसी पहलें ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सुधारने में अहम भूमिका निभा रही हैं।
भारत की हर माँ और हर बच्चे का हक़ है कि वे स्वस्थ, सुरक्षित और पोषित जीवन की शुरुआत करें। गर्भवती महिलाओं के चेहरे पर मुस्कान और नवजात शिशुओं की मासूम हँसी ही किसी राष्ट्र की असली ताक़त होती है। इसी सोच के साथ मिशन पोषण 2.0 और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) करोड़ों माताओं तक पोषण, देखभाल और मातृत्व लाभ पहुँचा रहे हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ मजबूत नींव पर खड़ी हो सकें।
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए बड़ा कदम
मिशन पोषण 2.0 के तहत जुलाई 2025 तक 72.22 लाख से अधिक गर्भवती महिलाएं लाभार्थी के रूप में पंजीकृत हो चुकी हैं। साथ ही, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) के अंतर्गत 1 जनवरी 2017 से 31 जुलाई 2025 तक 4.05 करोड़ से अधिक महिलाओं को मातृत्व लाभ प्रदान किया गया है। इन योजनाओं का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के पोषण स्तर को बेहतर बनाना और मातृ मृत्यु दर को कम करना है।
महिलाओं के लिए मुफ्त और सम्मानजनक स्वास्थ्य सेवाएं
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कई पहलें चलाई जा रही हैं, जैसे –
सुमन योजना: सभी महिलाओं और नवजातों को मुफ्त, सम्मानजनक और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा।
जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK): गर्भवती महिलाओं के लिए सीजेरियन सहित मुफ्त प्रसव, दवाइयाँ, जांच और परिवहन सुविधा।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA): हर महीने की 9 तारीख को विशेषज्ञ डॉक्टर से मुफ्त जांच।
एचआरपी ट्रैकिंग: उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की निगरानी और सुरक्षित प्रसव तक सहायता।
एनीमिया और कुपोषण से लड़ाई
मिशन पोषण 2.0 और एनीमिया मुक्त भारत (AMB) कार्यक्रम के तहत –
गर्भवती महिलाओं को रोजाना आयरन और फोलिक एसिड की गोली।
दूसरी तिमाही में कृमिनाशक दवा (Albendazole) की एकल खुराक।
आहार, गर्भावस्था के खतरे के संकेत और संस्थागत प्रसव की जानकारी।
600 कैलोरी और 18-20 ग्राम प्रोटीन वाला पूरक पोषण (THR), साल में 300 दिनों तक।
पोषण ट्रैकर और पारदर्शिता
1 मार्च 2021 को पोषण ट्रैकर ऐप शुरू किया गया, जिससे आंगनवाड़ी सेवाओं की रियल-टाइम मॉनिटरिंग हो रही है।
फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम (FRS) से लाभार्थियों की पहचान सुनिश्चित।
THR वितरण और पंजीकरण पर लाभार्थियों को SMS अलर्ट।
24 भाषाओं में ऐप की सुविधा।
क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण
पोषण भी पढ़ाई भी पहल के तहत आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
31 जुलाई 2025 तक 41,402 सुपरवाइजर्स और 5,81,326 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण मिल चुका है।
जनजातीय क्षेत्रों में विशेष पहल
प्रधानमंत्री जनमन मिशन: 75 पीवीटीजी (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों) के लिए विकास कार्य। धरती आबा जनजातीय ग्राम उन्नत अभियान: जनजातीय क्षेत्रों में 2000 नए सक्षम आंगनवाड़ी केंद्र और 6000 अपग्रेडेड केंद्र।
मिशन पोषण 2.0 और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना जैसी पहलें ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सुधारने में अहम भूमिका निभा रही हैं। तकनीक आधारित निगरानी, पारदर्शिता, और पोषण सेवाओं के समय पर वितरण से इन योजनाओं का प्रभाव कई गुना बढ़ गया है। आने वाले वर्षों में इन पहलों से कुपोषण और मातृ मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी की उम्मीद है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अगस्त 2025 के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, मिशन पोषण 2.0 के लाभार्थियों की संख्या 73 लाख से अधिक गर्भवती महिलाओं तक पहुँच चुकी है। वहीं, पीएम मातृ वंदना योजना के तहत अब तक 4.08 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को प्रत्यक्ष मातृत्व लाभ प्रदान किए गए हैं। मंत्रालय का कहना है कि तकनीक-आधारित निगरानी, जैसे पोषण ट्रैकर ऐप और फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम, ने लाभ वितरण की पारदर्शिता और गति में उल्लेखनीय सुधार किया है।
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए बड़ा कदम
मिशन पोषण 2.0 के तहत जुलाई 2025 तक 72.22 लाख से अधिक गर्भवती महिलाएं लाभार्थी के रूप में पंजीकृत हो चुकी हैं। साथ ही, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) के अंतर्गत 1 जनवरी 2017 से 31 जुलाई 2025 तक 4.05 करोड़ से अधिक महिलाओं को मातृत्व लाभ प्रदान किया गया है। इन योजनाओं का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के पोषण स्तर को बेहतर बनाना और मातृ मृत्यु दर को कम करना है।
महिलाओं के लिए मुफ्त और सम्मानजनक स्वास्थ्य सेवाएं
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कई पहलें चलाई जा रही हैं, जैसे –
सुमन योजना: सभी महिलाओं और नवजातों को मुफ्त, सम्मानजनक और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा।
जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK): गर्भवती महिलाओं के लिए सीजेरियन सहित मुफ्त प्रसव, दवाइयाँ, जांच और परिवहन सुविधा।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA): हर महीने की 9 तारीख को विशेषज्ञ डॉक्टर से मुफ्त जांच।
एचआरपी ट्रैकिंग: उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की निगरानी और सुरक्षित प्रसव तक सहायता।
एनीमिया और कुपोषण से लड़ाई
मिशन पोषण 2.0 और एनीमिया मुक्त भारत (AMB) कार्यक्रम के तहत –
गर्भवती महिलाओं को रोजाना आयरन और फोलिक एसिड की गोली।
दूसरी तिमाही में कृमिनाशक दवा (Albendazole) की एकल खुराक।
आहार, गर्भावस्था के खतरे के संकेत और संस्थागत प्रसव की जानकारी।
600 कैलोरी और 18-20 ग्राम प्रोटीन वाला पूरक पोषण (THR), साल में 300 दिनों तक।
पोषण ट्रैकर और पारदर्शिता
1 मार्च 2021 को पोषण ट्रैकर ऐप शुरू किया गया, जिससे आंगनवाड़ी सेवाओं की रियल-टाइम मॉनिटरिंग हो रही है।
फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम (FRS) से लाभार्थियों की पहचान सुनिश्चित।
THR वितरण और पंजीकरण पर लाभार्थियों को SMS अलर्ट।
24 भाषाओं में ऐप की सुविधा।
क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण
पोषण भी पढ़ाई भी पहल के तहत आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
31 जुलाई 2025 तक 41,402 सुपरवाइजर्स और 5,81,326 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण मिल चुका है।
जनजातीय क्षेत्रों में विशेष पहल
प्रधानमंत्री जनमन मिशन: 75 पीवीटीजी (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों) के लिए विकास कार्य। धरती आबा जनजातीय ग्राम उन्नत अभियान: जनजातीय क्षेत्रों में 2000 नए सक्षम आंगनवाड़ी केंद्र और 6000 अपग्रेडेड केंद्र।
मिशन पोषण 2.0 और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना जैसी पहलें ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सुधारने में अहम भूमिका निभा रही हैं। तकनीक आधारित निगरानी, पारदर्शिता, और पोषण सेवाओं के समय पर वितरण से इन योजनाओं का प्रभाव कई गुना बढ़ गया है। आने वाले वर्षों में इन पहलों से कुपोषण और मातृ मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी की उम्मीद है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अगस्त 2025 के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, मिशन पोषण 2.0 के लाभार्थियों की संख्या 73 लाख से अधिक गर्भवती महिलाओं तक पहुँच चुकी है। वहीं, पीएम मातृ वंदना योजना के तहत अब तक 4.08 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को प्रत्यक्ष मातृत्व लाभ प्रदान किए गए हैं। मंत्रालय का कहना है कि तकनीक-आधारित निगरानी, जैसे पोषण ट्रैकर ऐप और फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम, ने लाभ वितरण की पारदर्शिता और गति में उल्लेखनीय सुधार किया है।