कृषि सलाह: प्याज के बीज का उत्पादन करने वाले किसान इन बातों का जरूर रखें ध्यान

देश के कई राज्यों में प्याज की खेती होती है, लेकिन कई बार सही बीज न उपलब्ध होने पर किसानों को सही उत्पादन नहीं मिल पाता है। इसलिए किसान भी खुद से बीज उत्पादन कर सकते हैं।

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कृषि सलाह: प्याज के बीज का उत्पादन करने वाले किसान इन बातों का जरूर रखें ध्यान

प्याज रबी मौसम की एक मुख्य सब्जी फसल है, जो किसान प्याज में बीज उत्पादन करते हैं उनको इसका सही तरीका अवश्य पता होना चाहिए। बीज से बीज और बल्ब से बीज विधियों से प्याज में बीज उत्पादन किया जाता है।

किसानों के ऐसे ही कई सवालों के जवाब इस हफ्ते के पूसा समाचार में दिए गए हैं। आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान हर हफ्ते किसानों के लिए पूसा समाचार जारी करता है। संस्थान के शाकीय विज्ञान संभाग के वैज्ञानिक डॉ ज्ञानेंद्र सिंह प्याज के बीज उत्पादन की विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।

आपको पता होगा प्याज दो सीजन में भारत मे लगाया जाता है एक रबी और खरीफ, रबी के बीजों के उत्पादन में करीब डेढ़ साल लगते हैं, जबकि खरीफ के उत्पादन में लगभग एक साल लगते हैं। पूसा संस्थान की कई प्रजातियां जैसे पूसा वृद्धि और पूसा वेग है, जिनकी काफी मांग है।

इनकी पहले नर्सरी डालनी पड़ती है और नर्सरी डालने के लिए बीज उत्तम स्रोत ही लें और बीज की शुद्धता का ध्यान रखें। इसके लिए बीज पूसा संस्थान से ले सकते हैं।


उसमे जो बीज उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जाता है उसमें 8 से 10 किलोग्राम बीज 1 हेक्टेयर के लिए पर्याप्त होता है। मिट्टी शोधन करके ऊंची नर्सरी डालते हैं, जिससे उसमें जल भराव न हो।

जब बीज पौध के रुप मे तैयार हो जाता है तब पौध को लगाते हैं, इसके लिए पौध से पौध की दूरी 10-15 सेमी और लाइन से लाइन की दूरी 15 सेमी रखते हैं। जब कंदों का विकास हो जाता है तो खास ध्यान रखना चाहिए।

कंद निकलते समय ध्यान रखें कि कंद दो मुंहा न हो, प्याज का तना सीधा होना चाहिए। अब इन कंदों को उचित दूरी पर लगाना चाहिए। नाली बनाने के लिए पहले 20-30 टन सड़ी हुई गोबर की खाद डाल देना चाहिए। कंदों की बुवाई के एक सप्ताह बाद अंकुरण शुरू हो जाता है और लगभग ढाई महीने बाद फूल वाले डंठल बनने शुरु हो जाते है। पुष्प गुच्छ बननें के 6 सप्ताह के अंदर ही बीज पक जाता है।

बीजवृंतों का रंग जब मटमैला हो जाए और उनमें 10-15 प्रतिशत कैप्सुल के बीज बाहर दिखाई देने लगे तो बीजवृंतों को कटाई योग्य समझना चाहिए। सभी बीजवृंत एक साथ नहीं पकते इसलिए उन्हीं बीजवृंतों को काटना चाहिए जिनमें 10-15 प्रतिशत काले बीज बाहर दिखाई देने लगे हों। 10-15 से.मी. लम्बे डंठल के साथ फूलों के गुच्छों को काटना चाहिए।

कटाई के बाद बीजवृंतों को तिरपाल या पक्के फर्श पर फैलाकर खुले व छायादार जगह में सुखाना चाहिए। अच्छी तरह सुखाए गए बीजवृंतों को डंडों से पीट कर या ट्रैक्टर से गहाई करके बीजों को निकालते है। बीजों से बीजवृंत अवशेषों, तिनकों, डंठलों आदि को अलग कर लेते है। यांत्रिक प्रसंस्करण सुविधा ना होने की स्थिती में सफाई के लिए बीज को 2-3 मिनट तक पानी में डुबोना चाहिए और नीचे बैठे हुए भारी बीजों को निथार कर सुखाना चाहिए।

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