5 हज़ार से अधिक का अनाज बेचने पर मिलता है कृषक उपहार योजना कूपन, आपने लिया क्या ?
अगर आप मंडी में पहली बार जा रहे हैं, तो कुछ बातों का ध्यान ज़रूर रखें। इससे आपको अपनी कृषि उपज बेचने में परेशानी नहीं होगी मुनाफा भी होगा।
गाँव कनेक्शन 30 Jan 2024 11:49 AM GMT
अक्सर किसान कम जानकारी के कारण मंडी में अपनी उपज बेचते समय ठगे जाते हैं, जिससे उन्हें अपनी मेहनत से उगाई गई फसल का लाभ नहीं मिल पाता है। अनाज बेचने पर किसानों को उपहार योजना नाम से एक कूपन मिलता है, कई किसानों को इसकी भी जानकारी नहीं होती है।
देशभर के किसानों को मंडी की जानकारी देने और उन्हें आसानी से जोड़ने के लिए केन्द्र सरकार व मंडी परिषद ने एगमार्कनेट (AGMARKNET) ई-सुविधा दी है।
इस सुविधा में मंडी में किस उत्पाद का क्या दाम है, मंडी में अच्छा मुनाफा पाने के लिए सही फसल का चुनाव, मौसम की जानकारी और तकनीकी सहायता के साथ-साथ देशभर की मंडियों के बाज़ार भाव दिए जाते हैं। इससे किसान अपना सामान एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश की मंडी में बेचते समय सही दाम की जानकारी ले सकते हैं और उपज का सही दाम पा सकेंगे।
एगमार्कनेट ई-सुविधा में भारत में उगाए जाने वाले 300 से ज़्यादा प्रकार के मंडी उत्पाद जैसे फल-सब्जियाँ, अनाज, तिलहन, कपास, मसालों के बारे में जानकारियाँ दी गई हैं। यह सुविधा छोटे किसानों से लेकर बड़े व्यापारियों के लिए फायदेमंद है। इस सुविधा की मदद से किसान न सिर्फ मंडी में अपने उत्पाद को सही भाव के अनुसार बेच सकते हैं, बल्कि अपने खेतों में बैठकर ही देशभर की मंडियों में हो रहे उतार-चढ़ाव की जानकारी पा सकते हैं।
किसान इन बातों का रखें ध्यान
किसानों को मंडी में अपनी उपज बेचने के लिए एक कार्ड मिलता है, उसे ज़रूर ले लें।
अनाज की सही तरीके से छंटाई कर लें, उसे सही तरीके से पहले खुद वजन करके देख लें।
मंडी गेट पर पहुँच कर सबसे पहले पर्ची लें और नीलामी की बिक्री अपने सामने ही करा लें।
मंडी में अनाज का शुल्क निर्धारित होता है, उससे ज़्यादा किसी को पैसा न दें। मंडी शुल्क किसानों को नहीं देना होता है।
बिक्री के समय अनाज की तौलाई अपने सामने कराएँ।
बिक्री के बाद भुगतान की रसीद ज़रूर लें। इसे किसान पर्चा के नाम से जाना जाता है। यह व्यापारी ज़ारी करता है।
पाँच हज़ार से अधिक कीमत पर अनाज बेचने पर किसानों को कृषक उपहार योजना नाम से एक कूपन मिलता है। जिस पर उन्हें तरह-तरह के उपहार जीतने का मौका मिलता है, उसे भी लें। अक्सर जानकारी न होने के कारण किसान इस पर ध्यान नहीं देते हैं।
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