बिहार सरकार की समग्र अलंकारी मत्स्यिकी योजना; रंगीन व सजावटी मछली पालकों को होगा फायदा

पिछले कुछ वर्षों में सजावटी मछलियों का चलन तेजी से बढ़ा है, जिसके साथ व्यवसाय भी बढ़ रहा है, लेकिन अभी भी दूसरे प्रदेशों से मछलियां मंगानी पड़ती है, ऐसे में केंद्र व प्रदेश सरकार मछली पालन की कई योजनाएं चला रही हैं।

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बिहार सरकार की समग्र अलंकारी मत्स्यिकी योजना; रंगीन व सजावटी मछली पालकों को होगा फायदा

मध्यम और उच्च आय वर्ग के लोगों के बीच सजावटी मछलियों के प्रति रुझान काफी बढ़ रहा है। सजावटी मछलियों के स्वास्थ्य लाभ और सांस्कृतिक महत्व की वजह से जल जीव प्रेमियों के बीच सजावटी मछलियों की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

बिहार के शहरी और उप-नगरीय क्षेत्रों में सजावटी मछलियों का बड़ा बाजार है। एक अनुमान के अनुसार राज्य में प्रति वर्ष 80 से 90 करोड़ रुपये का सजावटी मछली का सक्रिय बाजार है लेकिन 80 से 90 प्रतिशत तक अभी भी दूसरे प्रदेशों से आयात पर निर्भर है।

राज्य के तालाबों और नदियों में भी ऐसी मछलियां पाई जाती हैं जिनका सजावट में काफी महत्व है। इन मछलियों को पहचान कर इनके संग्रहण और संवर्द्धन करने की जरूरत है, क्योंकि इन मछलियों की मांग दूसरे राज्यों और विदेशों में काफी ज्यादा है।

वर्तमान में जो लोग भी सजावटी मछलियों के पालन और व्यवसाय से जुड़े हुए हैं उनको कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। समस्याओं को हल करने और मौजूदा संसाधनों को बेहतर उपयोग कर के इस कारोबार को सतत और टिकाऊ बनाने के मकसद से बिहार सरकार ने एक योजना की शुरुआत की है जिसका नाम समग्र अलंकारी मत्स्यिकी योजना है।

क्या है समग्र अलंकारी मत्स्यिकी योजना

इस योजना की शुरुआत बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की तरफ से हुई है। इस योजना के तहत सरकार ने 4 करोड़ 80 लाख चौतीस हजार छह रुपये की धनराशि आवंटित किया है। इस योजना के तहत बिहार राज्य के अन्य वर्ग को 50 प्रतिशत तक अनुदान और अति पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग को 70 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा।


यह अनुदान सजावटी मछली पालकों, व्यवसायियों और इससे संबंधित कार्य करने वाले व्यक्तियों को दिया जाएगा। इस संबंध में बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य विभाग की तरफ से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इस योजना का लाभ हर वह अलंकारी मत्स्य पालक या इस व्यवसाय से जुड़ा व्यक्ति ले सकता है जो बिहार राज्य के किसी भी जिले का निवासी हो।

योजना के घटक

इस योजना के तीन घटक (1) थोक अलंकारी मत्स्य संवर्धन एवं विपणन योजना, (2) अलंकारी मत्स्य प्रजनन इकाई योजना और (3) अलंकारी मत्स्य इकाई सहायता योजना हैं।

थोक अलंकारी मत्स्य संवर्धन और विपणन योजना

थोक अलंकारी मत्स्य संवर्धन एवं विपणन योजना के तहत राज्य में प्रमंडल स्तर पर सजावटी मछलियों के संवर्द्धन और विपणन के लिए इकाई स्थापित की जाएगी, ताकि स्थानीय सजावटी मछलियों का संग्रहण और दूसरे राज्यों से आयात की हुई सजावटी मछलियों का व्यवसाय किया जा सके।

इस इकाई को स्थापित करने के लिए सरकार ने 12.26 लाख रुपये की लागत सरकार ने आंकलित की है। जिसका 50 से 70 प्रतिशत तक राज्य सरकार इस योजना के तहत अनुदान के रूप में देगी।

अलंकारी मत्स्य प्रजनन इकाई योजना

बिहार राज्य में सजावटी मछलियों की दर्जनों प्रजाति मौजूद हैं, जो अपना व्यवसायिक महत्व रखती हैं। साथ ही बाहर से आयात की हुई सजावटी मछलियों का भी काफी बड़ा बाजार है।

मत्स्य पालक अब इन मछलियों के प्रजनन और बीज उत्पादन पर भी काम कर रहे हैं, लेकिन प्रशिक्षण और बाजार लिंकेज के अभाव में उनकी गतिविधियां व्यवसायिक स्तर तक नहीं पहुंच पा रही हैं, ऐसे मत्स्य पालकों को इस योजना के तहत लाभ पहुँचाया जाएगा।

इस योजना के तहत इकाई स्थापित करने की अनुमानित लागत 11.50 लाख रुपये तय की गई है। जिसका 50 से 70 प्रतिशत तक राज्य सरकार अनुदान के रूप में देगी।

अलंकारी मत्स्य इकाई सहायता योजना

इस योजना के तहत राज्य में मौजूद अलंकारी मछलियों की इकाइयों को सुदृढ़ीकरण और क्षमतावर्धन करने के लिए सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना के तहत 1.56 लाख रुपये तक खर्च का आकलन सरकार की तरफ से किया गया है।

जरूरी कागजात और आवेदन प्रक्रिया

इस योजना में अप्लाई करने के लिए फोटो युक्त पहचान पत्र, बैंक खाता, जाति प्रमाण पत्र, अद्यतन राजस्व रसीद, भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र, लीज (9 वर्ष तक) इकरारनामा (1000 रू) नन ज्यूडिशियल स्टॉप कर ली गई, भूमि पर निर्मित तालाब का नक्शा इत्यादि की जरूरत होगी।

इस योजना के आवेदन शुरू हो गए हैं, इस योजना का लाभ लेने के लिए fisheries.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन किया जा सकता है। आवेदन करने की अंतिम तिथि 27/08/2022 निर्धारित की गई है।

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