बिना किसी खर्च के पत्ती लपेटक कीट से धान की फसल बचाने का तरीका

Divendra Singh | Aug 11, 2021, 09:17 IST

धान की फसल को कीटों से बचाने के लिए किसान हजारों रुपए खर्च करते हैं, जबकि शुरू में ही ध्यान देकर कुछ आसान विधियों को अपनाकर किसान कीटों से अपनी फसल बचा सकते हैं।

ज्यादातर किसानों ने धान की रोपाई कर दी है, जैसे-जैसे फसलों में वृद्धि होती है वैसे ही फसल में कई तरह के कीट भी लगने लगते हैं। कीटों से बचने के लिए किसान कीटनाशक का छिड़काव करते हैं, जिससे कई बार शत्रु कीटों के साथ ही मित्र कीट भी मर जाते हैं। जबकि इनसे निपटने के कई देशी उपाय हैं।

धान की फसल में पत्ती लपेटक कीट से निपटने का ऐसा ही एक देशी उपाय है, जिसमें किसान का कोई भी खर्च नहीं लगता और कीटों से भी छुटकारा मिल जाता है।

उत्तर प्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक किसानों को देशी तरीकों से पत्ती लपेटक कीटों से छुटकारा पाने का तरीका बता रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारी और प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. आईके कुशवाहा बताते हैं, "जैसे धान के पौधे बढ़ने लगते हैं, वैसे ही इसमें पत्ती लपेटक कीट भी लगने लगता है। अगर सही समय में इसका प्रबंधन न किया जाए तो यह फसल को काफी नुकसान पहुंचा देते हैं।"


वो आगे कहते हैं, "पत्ती लपटेक कीट पत्तियों को लपेटकर उसी में छिप जाते हैं, लेकिन अगर थोड़ा सा भी पत्तियों को हिलाते हैं तो कीट गिर जाते हैं। अब वो चाहे हवाओं से हो या फिर यांत्रिक तरीके से पत्तियों को हिलाकर कीट को गिराएं। इन को हटाने का बहुत आसान तरीका है।"

"पत्ती लपेटक कीटों की शुरूआती अवस्था में ही इस यांत्रिक विधि को अपनाना होता है। इसके लिए लगभग मीटर प्लास्टिक की रस्सी को दो लोग धान की पौधों पर बाएं से दाएं चलाते हैं। इसमें धान की फसल में ऊपर से एक तिहाई हिस्से को छूते हुए खेत में बाए से दाएं छू कर चलाते रहें, ऐसा करने से पत्तियों के ऊपरी किनारे को लपेटकर अंदर छिपे कीट खेत में गिर जाते हैं, "डॉ कुशवाहा ने आगे बताया।

वो आगे कहते हैं, "लेकिन ये काम शुरूआत में हफ्ते में इस विधि को एक बार जरूर करें और कोशिश करें कि अगर खेत में हल्का भी पानी भरा है तो और बढ़िया रहता है। इससे कीट पानी में गिर कर मर जाते हैं।"

पत्ती लपेटक कीट ऐसे पहुंचाते हैं नुकसान

पत्ती लपेटक कीट की मादा कीट धान की पत्तियों के शिराओं को लपेटकर उसी में छिपी रहती है और उसी में समूह में अंडे देती है। इन अण्डों से छह-आठ दिनों में सूंडियां बाहर निकलती हैं। ये सूंडियां पहले मुलायम पत्तियों को खाती हैं और बाद में अपने लार से धागा बनाकर पत्ती को किनारों से मोड़ देती हैं और अन्दर ही अन्दर खुरच कर खाती हैं। इससे फसल को काफी नुकसान हो जाता है।

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