नीलगाय और छुट्टा जानवरों से फसल को बचाएँगे ये घरेलू नुस्खे
Divendra Singh | Feb 26, 2020, 08:06 IST
आज हम लेकर आए हैं एक नई तकनीक जो किसानों को अवारा मवेशी और नीलगाय से परेशान होने से बचा सकती है।
लखनऊ। अगर आप भी छुट्टा जानवरों और नीलगाय से परेशान हैं तो ये घरेलू नुस्खे आपके काम के साबित हो सकते हैं। इन दिनों खेती करना छुट्टा जानवरों के चलते बहुत मुश्किल हो गया है। देखते ही देखते छुट्टा गाय और नीलगाय के झुंड़ पूरा का पूरा खेत चर जाती हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र आजमगढ़ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रणधीर नायक किसानों को नुस्खे बताते हैं, जिनसे छुट्टा जानवर और नीलगाय आपके खेत के आसपास भी नहीं आएंगे। डॉ. रणधीर नायक बताते हैं, "नीलगाय और छुट्टा जानवरों से खेत बचाने के लिए बहुत से उपाय अपनाते हैं, लेकिन कुछ तो बहुत मंहगे पड़ते हैं। लेकिन ये घरेलू नुस्खे न के बराबर के खर्च में जानवरों से फसल बचाते हैं।"
उपाय के बारे में वो कहते हैं, "इसके लिए मुर्गी के 10-12 अंडों और 50 ग्राम वाशिंग पाउडर को 25 लीटर पानी में मिलाकर घोल बनाएं और खड़ी फसल के मेड़ों पर छिड़काव कर दीजिए, इसकी गंध से छुट्टा जानवर और नीलगाय खेत में नहीं जाएंगे। गर्मी और सर्दी में महीने में एक बार छिड़काव करना चाहिए और बारिश के मौसम में जरूरत के हिसाब से छिड़काव किया जा सकता है।"
नीम की खली भी बचाएगी फसल
इसी तरह नीम की खली से भी फसलों को बचाया जा सकता है। इसके लिए तीन किलो नीम की खली और तीन किलो ईंट भट्ठे की राख का पाउडर बनाकर प्रति बीघा के हिसाब से छिड़काव किया जा सकता है। इससे फसल को भी फायदा होता है, नीम की खली से कीट और रोगों की लगने की समस्या भी कम हो जाती है। इससे नीलगाय खेत के आसपास भी नहीं आती है। नीम की गंध से जानवर फसलों से दूर रहते हैं, इसका छिड़काव महीने या फिर पंद्रह दिनों में किया जा सकता है।
नीलगाय रोकने के लिए इस तरह बनायें हर्बल घोल
नीलगाय को खेतों की ओर आने से रोकने के लिए 4 लीटर मट्ठे में आधा किलो छिला हुआ लहसुन पीसकर मिलाकर इसमें 500 ग्राम बालू डालें। इस घोल को पांच दिन बाद छिड़काव करें। इसकी गंध से करीब 20 दिन तक नीलगाय खेतों में नहीं आएगी। इसे 15 लीटर पानी के साथ भी प्रयोग किया जा सकता है।
बीस लीटर गोमूत्र, 5 किलोग्राम नीम की पत्ती, 2 किग्रा धतूरा, 2 किग्रा मदार की जड़, फल-फूल, 500 ग्राम तंबाकू की पत्ती, 250 ग्राम लहसुन, 150 लालमिर्च पाउडर को एक डिब्बे में भरकर वायुरोधी बनाकर धूप में 40 दिन के लिए रख दें। इसके बाद एकलीटर दवा 80 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करने से महीना भर तक नीलगाय फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाती है। इससे फसल की कीटों से भी रक्षा होती है।
खेत के चारों ओर कंटीली तार, बांस की फंटियां या चमकीली बैंड से घेराबंदी करें। खेत की मेड़ों के किनारे पेड़ जैसे करौंदा, जेट्रोफा, तुलसी, खस, जिरेनियम, मेंथा, लेमन ग्रास, सिट्रोनेला, पामारोजा का रोपण भी नीलगाय से सुरक्षा देंगे।
खेत में आदमी के आकार का पुतला बनाकर खड़ा करने से रात में नीलगाय देखकर डर जाती हैं। नीलगाय के गोबर का घोल बनाकर मेड़ से एक मीटर अन्दर फसलों पर छिड़काव करने से अस्थाई रूप से फसलों की सुरक्षा की जा सकती है। एक लीटर पानी में एक ढक्कन फिनाइल के घोल के छिड़काव से फसलों को बचाया जा सकता है।
गधों की लीद, पोल्ट्री का कचरा, गोमूत्र, सड़ी सब्जियों की पत्तियों का घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करने से नीलगाय खेतों के पास नहीं फटकती।
कई जगह खेत में रात के वक्त मिट्टी के तेल की डिबरी जलाने से नीलगाय नहीं आती है।
ये भी पढ़ें : खेत में लगाइए ये मशीन, फसल के आसपास भी नहीं आएंगे नीलगाय और छुट्टा जानवर
कृषि विज्ञान केंद्र आजमगढ़ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रणधीर नायक किसानों को नुस्खे बताते हैं, जिनसे छुट्टा जानवर और नीलगाय आपके खेत के आसपास भी नहीं आएंगे। डॉ. रणधीर नायक बताते हैं, "नीलगाय और छुट्टा जानवरों से खेत बचाने के लिए बहुत से उपाय अपनाते हैं, लेकिन कुछ तो बहुत मंहगे पड़ते हैं। लेकिन ये घरेलू नुस्खे न के बराबर के खर्च में जानवरों से फसल बचाते हैं।"
उपाय के बारे में वो कहते हैं, "इसके लिए मुर्गी के 10-12 अंडों और 50 ग्राम वाशिंग पाउडर को 25 लीटर पानी में मिलाकर घोल बनाएं और खड़ी फसल के मेड़ों पर छिड़काव कर दीजिए, इसकी गंध से छुट्टा जानवर और नीलगाय खेत में नहीं जाएंगे। गर्मी और सर्दी में महीने में एक बार छिड़काव करना चाहिए और बारिश के मौसम में जरूरत के हिसाब से छिड़काव किया जा सकता है।"
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इसी तरह नीम की खली से भी फसलों को बचाया जा सकता है। इसके लिए तीन किलो नीम की खली और तीन किलो ईंट भट्ठे की राख का पाउडर बनाकर प्रति बीघा के हिसाब से छिड़काव किया जा सकता है। इससे फसल को भी फायदा होता है, नीम की खली से कीट और रोगों की लगने की समस्या भी कम हो जाती है। इससे नीलगाय खेत के आसपास भी नहीं आती है। नीम की गंध से जानवर फसलों से दूर रहते हैं, इसका छिड़काव महीने या फिर पंद्रह दिनों में किया जा सकता है।
नीलगाय रोकने के लिए इस तरह बनायें हर्बल घोल
नीलगाय को खेतों की ओर आने से रोकने के लिए 4 लीटर मट्ठे में आधा किलो छिला हुआ लहसुन पीसकर मिलाकर इसमें 500 ग्राम बालू डालें। इस घोल को पांच दिन बाद छिड़काव करें। इसकी गंध से करीब 20 दिन तक नीलगाय खेतों में नहीं आएगी। इसे 15 लीटर पानी के साथ भी प्रयोग किया जा सकता है।
बीस लीटर गोमूत्र, 5 किलोग्राम नीम की पत्ती, 2 किग्रा धतूरा, 2 किग्रा मदार की जड़, फल-फूल, 500 ग्राम तंबाकू की पत्ती, 250 ग्राम लहसुन, 150 लालमिर्च पाउडर को एक डिब्बे में भरकर वायुरोधी बनाकर धूप में 40 दिन के लिए रख दें। इसके बाद एकलीटर दवा 80 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करने से महीना भर तक नीलगाय फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाती है। इससे फसल की कीटों से भी रक्षा होती है।
खेत के चारों ओर कंटीली तार, बांस की फंटियां या चमकीली बैंड से घेराबंदी करें। खेत की मेड़ों के किनारे पेड़ जैसे करौंदा, जेट्रोफा, तुलसी, खस, जिरेनियम, मेंथा, लेमन ग्रास, सिट्रोनेला, पामारोजा का रोपण भी नीलगाय से सुरक्षा देंगे।
खेत में आदमी के आकार का पुतला बनाकर खड़ा करने से रात में नीलगाय देखकर डर जाती हैं। नीलगाय के गोबर का घोल बनाकर मेड़ से एक मीटर अन्दर फसलों पर छिड़काव करने से अस्थाई रूप से फसलों की सुरक्षा की जा सकती है। एक लीटर पानी में एक ढक्कन फिनाइल के घोल के छिड़काव से फसलों को बचाया जा सकता है।
गधों की लीद, पोल्ट्री का कचरा, गोमूत्र, सड़ी सब्जियों की पत्तियों का घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करने से नीलगाय खेतों के पास नहीं फटकती।
कई जगह खेत में रात के वक्त मिट्टी के तेल की डिबरी जलाने से नीलगाय नहीं आती है।
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