भारत में सबसे अधिक है हिम तेंदुओं की आबादी; जानिए किस राज्य में सबसे ज़्यादा
गाँव कनेक्शन | Jan 31, 2024, 09:08 IST
देश में हिम तेंदुओं की स्थिति पर रिपोर्ट जारी की गई है, पहली बार देश में इनकी आबादी की गणना की गई है। भारत में उनकी भौगोलिक सीमा पश्चिमी हिमालय के एक बड़े हिस्से को कवर करती है, जिसमें केंद्र शासित प्रदेश जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं।
देश में पहली बार हिम तेंदुओं की गणना की गई है, जिसके अनुसार भारत में हिम तेंदुए की संख्या 718 है।
भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) हिम तेंदुए की आबादी का आकलन कार्यक्रम चला रहा है। इस कार्यक्रम को सभी हिम तेंदुआ रेंज वाले राज्यों और दो संरक्षण भागीदारों- नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन, मैसूर और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया के सहयोग से किया गया। संख्या के लिहाज से लद्दाख क्षेत्र में तेंदुए की संख्या सबसे अधिक है।
सर्वेक्षण में व्यवस्थित रूप से देश में संभावित हिम तेंदुओं के 70 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र को शामिल किया, जिसमें वन और वन्यजीव कर्मचारी, शोधकर्ता, स्वयंसेवक और ज्ञान भागीदारों का योगदान शामिल था।
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों सहित ट्रांस-हिमालयी इलाके में लगभग 1,20,000 किलोमीटर क्षेत्र को शामिल करते हुए सर्वेक्षण कार्यक्रम 2019 से 2023 तक दो चरणों में चलाया गया था।
पहले चरण में हिम तेंदुए के स्थानिक वितरण का मूल्यांकन, उनके निवास स्थान पर सहवास का विश्लेषण किया गया। साथ ही 2019 में पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) द्वारा भारत में हिम तेंदुओं की राष्ट्रीय जनसंख्या मूल्यांकन के तय दिशानिर्देशों के अनुरूप उनकी आबादी की जानकारी जुटाई गई।
दूसरे चरण में, हर चिन्हित क्षेत्र में कैमरा ट्रैप का उपयोग करके हिम तेंदुए की बहुतायत का अनुमान लगाया गया।
इस कार्यक्रम के दौरान, कुल प्रयासों में हिम तेंदुए के संकेतों को रिकॉर्ड करने के लिए 13,450 किलोमीटर के क्षेत्र का सर्वेक्षण किया गया, जबकि 1,80,000 ट्रैप रातों के लिए 1,971 स्थानों पर कैमरा ट्रैप तैनात किए गए थे।
हिम तेंदुए का निवास 93,392 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में दर्ज किया गया था, इनकी अनुमानित मौजूदगी 100,841 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पाई गई है। कुल 241 हिम तेंदुओं की तस्वीरें खींची गईं।
डेटा विश्लेषण के आधार पर, ये तेंदुए अलग अलग राज्यों में ये पाए जाते हैं, जिनमें लद्दाख में 477, उत्तराखंड में 124, हिमाचल प्रदेश में 51, अरुणाचल प्रदेश में 36, सिक्किम में 21 और जम्मू और कश्मीर में इनकी संख्या 9 है।
2016 से पहले, इनकी रेंज के लगभग एक तिहाई (लगभग 100,347 वर्ग किलोमीटर) क्षेत्र पर शोध में सबसे कम ध्यान दिया गया जो कि लद्दाख, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे इलाकों में घटकर केवल 5 प्रतिशत रह गया था।
हाल के स्थिति सर्वेक्षणों में 2016 में 56 प्रतिशत की तुलना में 80 प्रतिशत रेंज (लगभग 79,745 वर्ग किलोमीटर) को लेकर प्रारंभिक जानकारी मिलती है। हिम तेंदुए की संख्या पर ठोस जानकारी इकट्ठा करने के लिए, एसपीएआई ने कैमरे के एक बड़े नेटवर्क का उपयोग करके इनके ठिकानों का सर्वेक्षण किया।
रिपोर्ट में बताया गया है कि पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत डब्ल्यूआईआई में एक समर्पित हिम तेंदुआ प्रकोष्ठ स्थापित करने का प्रस्ताव है। इसका सबसे पहला काम अच्छी तरह से तैयार किए गए अध्ययन डिजाइन और लगातार क्षेत्र सर्वेक्षण की मदद से इसकी दीर्घकालिक आबादी पर निगरानी रखना होगा। इसके लिए, राज्य और केंद्रशासित प्रदेश हिम तेंदुए की रेंज में जनसंख्या आकलन दृष्टिकोण (प्रत्येक चौथे साल ) अपनाने पर विचार कर सकते हैं।
ये नियमित मूल्यांकन चुनौतियों की पहचान करने, खतरों से निपटने और प्रभावी संरक्षण रणनीतियों को तैयार करने में मददगार साबित होंगे।
तेंदुए की प्रजाति
दुनिया में तेंदुएं की कुल 9 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, लेकिन भारत में इनकी 4 जाति ही मिलती हैं। इनमें भारतीय तेंदुआ (पेंथेरा पार्डस फुस्का) भारत में सबसे ज़्यादा पाया जाता है। धूमिल तेंदुआ, काला तेंदुआ, बिल्ली तेंदुआ और हिम तेंदुआ देश के अलग अलग हिस्सों में देखे जा सकते हैं।
हिम तेंदुए को मध्यम आकार की बिल्लियाँ माना जाता है जिनका कंधा लगभग 24 इंच और वजन करीब 30-55 किलोग्राम होता है। धुएँ के रंग का भूरे रंग का फर गहरे भूरे से काले रंग के रोसेट से बना होता है जो उन्हें चट्टानी ढलानों में छिपने में मदद करता है।
हिम तेंदुए चट्टानी ढलानों और खड्डों वाले खड़ी, ऊबड़-खाबड़ इलाकों को पसंद करते हैं और आमतौर पर हिमालय में 3,000-5,000 मीटर या उससे अधिक की ऊंचाई पर पाए जाते हैं।
इनकी प्रजातियाँ आमतौर पर जनवरी और मार्च के बीच संभोग करती हैं। ये जानवर सुबह और शाम के समय सबसे अधिक सक्रिय होता है। बिल्लियों की अधिकांश प्रजातियों की तरह, हिम तेंदुए एकांत में रहते हैं, हालाँकि कभी-कभी संभोग के मौसम के दौरान नर और मादा जोड़े को एक साथ देखा जा सकता है।
भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) हिम तेंदुए की आबादी का आकलन कार्यक्रम चला रहा है। इस कार्यक्रम को सभी हिम तेंदुआ रेंज वाले राज्यों और दो संरक्षण भागीदारों- नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन, मैसूर और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया के सहयोग से किया गया। संख्या के लिहाज से लद्दाख क्षेत्र में तेंदुए की संख्या सबसे अधिक है।
दो चरणों में किया गया सर्वेक्षण
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों सहित ट्रांस-हिमालयी इलाके में लगभग 1,20,000 किलोमीटर क्षेत्र को शामिल करते हुए सर्वेक्षण कार्यक्रम 2019 से 2023 तक दो चरणों में चलाया गया था।
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पहले चरण में हिम तेंदुए के स्थानिक वितरण का मूल्यांकन, उनके निवास स्थान पर सहवास का विश्लेषण किया गया। साथ ही 2019 में पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) द्वारा भारत में हिम तेंदुओं की राष्ट्रीय जनसंख्या मूल्यांकन के तय दिशानिर्देशों के अनुरूप उनकी आबादी की जानकारी जुटाई गई।
दूसरे चरण में, हर चिन्हित क्षेत्र में कैमरा ट्रैप का उपयोग करके हिम तेंदुए की बहुतायत का अनुमान लगाया गया।
इस कार्यक्रम के दौरान, कुल प्रयासों में हिम तेंदुए के संकेतों को रिकॉर्ड करने के लिए 13,450 किलोमीटर के क्षेत्र का सर्वेक्षण किया गया, जबकि 1,80,000 ट्रैप रातों के लिए 1,971 स्थानों पर कैमरा ट्रैप तैनात किए गए थे।
हिम तेंदुए का निवास 93,392 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में दर्ज किया गया था, इनकी अनुमानित मौजूदगी 100,841 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पाई गई है। कुल 241 हिम तेंदुओं की तस्वीरें खींची गईं।
इन राज्यों में हैं सबसे अधिक तेंदुए
2016 से पहले, इनकी रेंज के लगभग एक तिहाई (लगभग 100,347 वर्ग किलोमीटर) क्षेत्र पर शोध में सबसे कम ध्यान दिया गया जो कि लद्दाख, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे इलाकों में घटकर केवल 5 प्रतिशत रह गया था।
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हाल के स्थिति सर्वेक्षणों में 2016 में 56 प्रतिशत की तुलना में 80 प्रतिशत रेंज (लगभग 79,745 वर्ग किलोमीटर) को लेकर प्रारंभिक जानकारी मिलती है। हिम तेंदुए की संख्या पर ठोस जानकारी इकट्ठा करने के लिए, एसपीएआई ने कैमरे के एक बड़े नेटवर्क का उपयोग करके इनके ठिकानों का सर्वेक्षण किया।
रिपोर्ट में बताया गया है कि पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत डब्ल्यूआईआई में एक समर्पित हिम तेंदुआ प्रकोष्ठ स्थापित करने का प्रस्ताव है। इसका सबसे पहला काम अच्छी तरह से तैयार किए गए अध्ययन डिजाइन और लगातार क्षेत्र सर्वेक्षण की मदद से इसकी दीर्घकालिक आबादी पर निगरानी रखना होगा। इसके लिए, राज्य और केंद्रशासित प्रदेश हिम तेंदुए की रेंज में जनसंख्या आकलन दृष्टिकोण (प्रत्येक चौथे साल ) अपनाने पर विचार कर सकते हैं।
ये नियमित मूल्यांकन चुनौतियों की पहचान करने, खतरों से निपटने और प्रभावी संरक्षण रणनीतियों को तैयार करने में मददगार साबित होंगे।
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तेंदुए की प्रजाति
दुनिया में तेंदुएं की कुल 9 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, लेकिन भारत में इनकी 4 जाति ही मिलती हैं। इनमें भारतीय तेंदुआ (पेंथेरा पार्डस फुस्का) भारत में सबसे ज़्यादा पाया जाता है। धूमिल तेंदुआ, काला तेंदुआ, बिल्ली तेंदुआ और हिम तेंदुआ देश के अलग अलग हिस्सों में देखे जा सकते हैं।
विशेषताएँ
हिम तेंदुए चट्टानी ढलानों और खड्डों वाले खड़ी, ऊबड़-खाबड़ इलाकों को पसंद करते हैं और आमतौर पर हिमालय में 3,000-5,000 मीटर या उससे अधिक की ऊंचाई पर पाए जाते हैं।
इनकी प्रजातियाँ आमतौर पर जनवरी और मार्च के बीच संभोग करती हैं। ये जानवर सुबह और शाम के समय सबसे अधिक सक्रिय होता है। बिल्लियों की अधिकांश प्रजातियों की तरह, हिम तेंदुए एकांत में रहते हैं, हालाँकि कभी-कभी संभोग के मौसम के दौरान नर और मादा जोड़े को एक साथ देखा जा सकता है।