State of Global Air 2025: जहरीली और प्रदूषित हवा से क्यों घट रही है युवाओं की उम्र?
क्या आप जानते हैं कि जिस हवा में हम रोज़ सांस लेते हैं, वही अब हमारी सबसे बड़ी दुश्मन बन गई है? 'स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2025' रिपोर्ट के मुताबिक, हाई ब्लड प्रेशर के बाद, प्रदूषित हवा मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। इसका सबसे बुरा असर भारत के युवाओं पर पड़ रहा है।
<p>गंदी हवा, जल्दी मौत की दूसरी सबसे बड़ी वजह बन गई है और इसका सबसे बुरा असर पड़ रहा है भारत के युवाओं पर।<br><br><br></p>
क्या कहती है State of Global Air 2025 की रिपोर्ट?
प्रदूषित हवा से कौन-कौन सी बीमारियाँ होती हैं?
लगातार प्रदूषण बढ़ने के कारण क्या हैं?
पहला कारण है बढ़ता प्रदूषण- मोटर गाड़ियाँ, फैक्ट्रियाँ, ट्रैफिक, कंस्ट्रक्शन, खेतों में पराली जलाना, ये सब मिलकर हवा को ज़हरीला बना रहे हैं।
दूसरा कारण हमारी रोज़मर्रा की लाइफस्टाइल- सुबह-शाम प्रदूषित हवा में दौड़ना (morning walk), ट्रैफिक में फँसकर सफर करना, सब कुछ इस प्रदूषित हवा के बीच हो रहा है।
तीसरा कारण घर की अंदर की हवा का प्रदूषित हो जाना- रसोई का धुआँ, बायोमास ईंधन, धूल इत्यादि मिलकर महिलाओं और बच्चों को भी सांस की तकलीफ़ें दे रहे हैं।
क्या-क्या तकलीफ़ें हो सकती हैं?
प्रदूषित हवा से खुद को कैसे बचाएँ?
- शुरुआत खुद से करनी होगी
- जब हवा ज़्यादा खराब हो, तो बाहर जाते वक्त N95 मास्क पहनें।
- घर में पौधे लगाएँ, खिड़कियाँ खोलकर वेंटिलेशन रखें, धुआँ और धूल से बचें।
State of Global Air 2025 की रिपोर्ट में क्या मुख्य बातें बताई गई हैं?
प्रदूषित हवा से कौन-कौन सी बीमारियाँ हो सकती हैं?
प्रदूषण के बढ़ने के प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं?
- रिपोर्ट दर्शाती है कि भारत के युवाओं की औसतन उम्र 2 से 3 साल कम हो रही है, मुख्य रूप से प्रदूषण के कारण। दुनिया की लगभग 36% आबादी ऐसी हवा में सांस ले रही है जो अत्यंत खराब है और गरीब एवं मध्यम आय वाले देशों को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है।
- प्रदूषित हवा से सबसे सामान्य बीमारियों में दिल, फेफड़े और डायबिटीज़ जैसी समस्याएँ होती हैं। इसके अलावा, धूम्रपान और वायु प्रदूषण के कारण डिमेंशिया जैसी गंभीर बीमारियाँ भी पाई जाती हैं।
- प्रदूषण के बढ़ने के प्रमुख कारणों में मोटर गाड़ियों का उपयोग, फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआँ, कंस्ट्रक्शन गतिविधियाँ और खेतों में पराली जलाना शामिल हैं। इसके अलावा, दैनिक जीवनशैली और घर के भीतर के प्रदूषण के कारण भी ये समस्या बढ़ रही है।