स्ट्रोक पीड़ितों के लिए मददगार साबित होंगे 3डी प्रिंटेड दस्ताने

गाँव कनेक्शन | May 04, 2022, 11:44 IST
दस्ताने की तरह दिखने वाले इस 3डी प्रिंटेड उपकरण को कस्टमाइज किया जा सकता है। इस दस्ताने की एक महत्वपूर्ण खासियत यह है कि इसको दूर से नियंत्रित किया जा सकता है।
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ब्रेन स्ट्रोक भारत में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है, और इसे विकलांगता का छठा मुख्य कारण भी माना जाता है। फिजियोथेरेपी स्ट्रोक पीड़ितों और शारीरिक चोटों से ग्रस्त रोगियों के पुनर्वास के लिए उपलब्ध कुछ उपचारों में शामिल है। विकलांगता की गंभीरता के आधार पर फिजियोथेरेपी में कुछ दिनों से लेकर महीनों तक का समय लग सकता है। ऐसे में, रोगियों के साथ-साथ उनके परिचारकों के लिए भी स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण हो जाती है।

ऐसे रोगियों की मदद करने के लिए भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के भौतिकी विभाग के शोधकर्ताओं ने पहनने योग्य उपकरण विकसित किया है, जो रोगी के अंग या उंगलियों की गतिविधियों को महसूस करने के लिए प्रकाश के मूलभूत गुणों का उपयोग करता है। दस्ताने की तरह दिखने वालेइस3डी प्रिंटेड उपकरण को कस्टमाइज किया जा सकता है। इस दस्ताने की एक महत्वपूर्ण खासियत यह है कि इसको दूर से नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे फिजियोथेरेपिस्ट से टेलीकंसल्टेशन की संभावना के द्वार खुल सकते हैं।

आईआईएससी में भौतिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर अवीक बिड, जिनकी टीम ने यह उपकरण विकसित किया है, कहते हैं, "हम कुछ ऐसा उपकरण विकसित करना चाहते थे, जो सस्ता हो, और जरूरतमंद व्यक्ति के लिए उसकी सुविधानुसार हर समय उपलब्ध हो। हमारा फोकस इस पर भी था कि उत्पाद का उपयोग आसान होने के साथ-साथ प्रतिक्रिया प्रदान करने में भी सक्षम होना चाहिए।"

प्रोफेसर अवीक बिड बताते हैं कि मात्रात्मक प्रतिक्रिया - उदाहरण के लिए, किसी बॉल को निचोड़ते समय लगाए गए दबाव की यूनिट; या फिर घुटने की चोट के दौरान पैर के झुकाव की डिग्री जैसे मापदंड - डॉक्टरों के लिए दूर रहकर भी रोगी की निगरानी करने में महत्वपूर्ण होते हैं। इस तरह की प्रतिक्रिया रोगियों को लगातार हर सत्र में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित कर सकती है।

एक और चुनौती यह है कि फिजियोथेरेपी के लिए अक्सर बार-बार अस्पताल जाने की आवश्यकता होती है। विशेषज्ञों का बार-बार रोगियों के घर जाकर देखभाल के साथ-साथ दूर से रोगियों की निगरानी के लिए उपयोग होने वाले परिष्कृत उपकरणों का उपयोग आदर्श होने के बावजूद महँगे हैं, और आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाते हैं।

प्रोफेसर बिड बताते हैं, "इन चुनौतियों से निपटने के लिए यह नया उपकरण विकसित किया गया है, जिसे दूर से नियंत्रित किया जा सकता है। उपकरण को आप दस्ताने की तरह पहनते हैं, और फिजियोथेरेपिस्ट इंटरनेट के माध्यम से एक दूरस्थ स्थान से इसको नियंत्रित करता है, और आपके हाथों और उंगलियों को हिलाता है। यह उपकरण हाथ और उंगलियों की विभिन्न गतिविधियों को महसूस कर सकता है, और दबाव, झुकाव के कोण और आकार जैसे मापदंडों का सटीक पता लगा सकता है।

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ब्रेन स्ट्रोक भारत में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है, और इसे विकलांगता का छठा मुख्य कारण भी माना जाता है। फोटो: पिक्साबे

यह उपकरण प्रकाश के मूलभूत गुणों अपवर्तन और परावर्तन पर आधारित है। पारदर्शी रबड़ जैसी सामग्री के एक छोर पर प्रकाश स्रोत होता है, और दूसरे छोर पर एक प्रकाश-सूचक होता है। रोगी की उंगली या बांह में कोई भी हलचल लचीली सामग्री को विकृत कर देती है। यह विरूपण प्रकाश के मार्ग को बदल देता है। प्रकाश के गुणों के इस परिवर्तन को यह उपकरण मात्रात्मक इकाई में रूपांतरित कर देता है। प्रकाश उपकरण में लम्बवत् यात्रा करता है, जिससे रोगी की उंगली या बांह के किसी भी हिस्से में हलचल को सटीक रूप से मापा जा सकता है।

शोधकर्ताओं में शामिल आईआईएससी के भौतिकी विभाग में डीएसटी-इंस्पायर संकाय सदस्य अभिजीत चंद्र रॉय कहते हैं - यह एक अत्यंत संवेदनशील उपकरण है, जो किसी तितली के स्पर्श की प्रतिक्रिया देने में भी सक्षम है।

मौजूदा उपकरण केवल एक उंगली के झुकने का पता लगा सकते हैं, नया उपकरण उंगली के हर जोड़ पर झुकने की डिग्री को भी माप सकता है।

इस उपकरण में सिलिकॉन-आधारित बहुलक सामग्री का उपयोग किया गया है, जो पारदर्शी, मुलायम (आराम और बार-बार उपयोग के लिए), और सबसे महत्वपूर्ण, 3डी प्रिंटेड है; इसलिए इसे प्रत्येक रोगी के हाथ और उंगलियों में फिट करने के लिए अनुकूलित किया जा सकता है। यह उपकरण डेटा को कैप्चर और स्टोर भी कर सकता है, और इसे इंटरनेट पर प्रसारित कर सकता है, जिससे चिकित्सकों या फिजियोथेरेपिस्ट्स को दूरस्थ निगरानी की सुविधा मिल सकती है।

इस उपकरण की स्थिरता का परीक्षण 10 महीने से अधिक समय तक किया गया है, जिसमें इसकी संवेदन क्षमता और सटीक आकलन को प्रभावी पाया गया है। उपकरण को पूरी तरह से भारत में डिजाइन और निर्मित किया गया है, और इसकी कीमत 1,000 रुपये से कम होने की उम्मीद है। इस उपकरण के लिए एक पेटेंट दायर किया गया है, और शोधकर्ताओं ने इसे जल्द ही बाजार में लॉन्च करने उम्मीद व्यक्त की है।

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