सावधान! कहीं आप भी तो नहीं खा रहे हैं नकली शकरकंद

सर्दी आते ही बाज़ार में अलग-अलग तरह की शकरकंदी (स्वीट पोटैटो) भी आने लगती हैं, इस मौसम में लाल, बैंगनी रंग की शकरकंदी लोगों को खूब लुभाती हैं; लेकिन ध्यान से, ये आपको बीमार भी कर सकती हैं।

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सावधान! कहीं आप भी तो नहीं खा रहे हैं नकली शकरकंद

अगर आप भी शकरकंद यानी स्वीट पोटैटो को बड़े चाव से खाते हैं तो एक बार ठीक से चेक कर लीजिये कहीं इसका हरा गुलाबी रंग नकली तो नहीं है?

जी हाँ, बाज़ार या गली मुहल्ले में इन दिनों शकरकंदी खूब बिक रही है, ऐसे में ये पहचान करना थोड़ा मुश्किल है कि असली है या नकली?

लेकिन आज यहाँ आपको ऐसी तकनीक बता रहे हैं जिससे आप गाँव शहर कहीं भी झट से पकड़ लेंगे कि शकरकंद का रंग असली है या नकली?

ऐसे करें पहचान

इसके लिए रुई को किसी तेल या पानी में भिगो लें, फिर इसे किसी शकरकंद के ऊपर रगड़े। अगर रुई साफ है तो उसमें किसी तरह की मिलावट नहीं है, लेकिन अगर रगड़ने पर लाल या बैंगनी रंग दिखने लगे तो इसका मतलब है कि शकरकंद में मिलावट की गई है।

फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने इससे जुड़े एक वीडियो के ज़रिए लोगों को सचेत किया है कि ऐसे शकरकंद से दूर रहें और खाने से पहले उसकी जाँच कर लें।

शकरकंदी मूल रूप से दक्षिण अमेरिका में पायी जाती है, अब इसकी खेती दुनिया भर के कई गर्म क्षेत्रों में होती है।

भारत में शकरकंदी (स्वीट पोटैटो) स्पेन के लोगों के जरिए लाई गई थी। स्थानीय भाषा में इसे शकरकंद या शकरकंदी कहा जाता है। इसमें फ़ाइबर, मिनरल्स और विटामिन प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बीटा-कैरोटीन, विटामिन बी2, सी और ई, और बीटा-कैरोटीन एंटीऑक्सीडेंट होते हैं।


शकरकंद में भरपूर आयरन होता है। आयरन की कमी से हमारे शरीर में एनर्जी नहीं रहती, रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है और ब्लड सेल्स ठीक से नहीं बनता है, ऐसे में शकरकंद आयरन की कमी को दूर करने में मददगार रहता है।

भारत में करीब 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में शकरकंद की खेती होती है। बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और ओडिशा में इसका सबसे ज़्यादा उत्पादन होता है। भारत का शकरकंद उत्पादन में छठा स्थान है।

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