उत्तर प्रदेश में मौसम का बदला मिज़ाज, किसानों को सतर्क रहने की ज़रूरत
Gaon Connection | Aug 02, 2025, 12:05 IST
उत्तर प्रदेश में IMD ने भारी वर्षा की चेतावनी दी है। जानिए किस क्षेत्रों में क्या खेती करें, कौन-सी दवा डालें और कैसे करें जल संरक्षण – पढ़ें विस्तृत कृषि मौसम बुलेटिन।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के विभिन्न कृषि जलवायु अंचलों में इस सप्ताह वर्षा की स्थिति में भिन्नता रहेगी। प्रदेश के दक्षिण-पश्चिमी अर्ध-शुष्क मैदानी क्षेत्र, भाभर तराई क्षेत्र, और पूर्वी एवं उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में औसत साप्ताहिक वर्षा सामान्य के आस-पास रहने की संभावना है, जबकि अन्य अंचलों में सामान्य से अधिक वर्षा हो सकती है।
ऐसे में उत्तर प्रदेश अनुसंधान परिषद (UPCAR) ने किसानों के लिए ज़रूरी सलाह जारी की है कि किसान इस समय क्या करें और क्या न करें?
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि उत्तर प्रदेश के उत्तरी तराई क्षेत्रों और उससे लगे मध्यवर्ती इलाकों में कहीं-कहीं भारी वर्षा हो सकती है। ऐसे में किसानों को जल-भराव और फसल क्षति से बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाने की सलाह दी गई है।
जिन क्षेत्रों में वर्षा सामान्य से काफी कम हुई है, वहाँ धान की जगह सीमित सिंचाई के साथ जल्दी तैयार होने वाली फसलें बोना उचित होगा। इनमें बाजरा की संकुल किस्में, मूंग, उड़द और तिल प्रमुख हैं। किसानों को सहफसली खेती का सुझाव दिया गया है, जैसे बाजरे के साथ मूंग या लोबिया, ताकि जोखिम को कम किया जा सके।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में अगस्त के पहले सप्ताह में सुगंधित धान की किस्मों की रोपाई करने की सलाह दी गई है, ताकि दानों में सुगंध और गुणवत्ता का अच्छा विकास हो सके।
धान की रोपाई के 15-20 दिन बाद बिसपाईरीबैक सोडियम 10% एससी का 0.2 लीटर मात्रा को 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। मक्का में फॉल आर्मी वर्म के नियंत्रण हेतु क्लोरेन्ट्रानिलीप्रोल 18.5% एससी (0.5 मि.ली./ली.), इमामेक्टिन बेनजोएट (0.4 ग्राम/ली.) या थायोमेथाक्साम 2.6% + लैम्बडा साइहैलोथ्रिन 9.5% का 0.5 मि.ली./ली. पानी में छिड़काव करें।
गन्ने में पाइरीला कीट की उपस्थिति पर यदि परजीवी मौजूद हैं तो कीटनाशक न डालें, अन्यथा इमिडाक्लोप्रिड 0.3 मि.ली./ली. पानी में घोलकर छिड़काव करें। माइट नियंत्रण हेतु प्रोफेनोफॉस 40% + साइपर 4% कीटनाशक (750 मि.ली./625 ली. पानी) प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।
खेतों की मेड़बंदी करें और तालाब, पोखरों, झीलों में जमा वर्षा जल का फसलों की बढ़वार के समय उपयोग करें। बुंदेलखंड क्षेत्र में रेज्ड-बेड विधि से दलहनी, तिल और मूंगफली की सहफसली खेती को बढ़ावा देने की सलाह दी गई है।
आम, अमरूद, नींबू, बेल आदि फलों के उन्नत पौधों की रोपाई करें। आम के नए बाग लगाते समय 10% परागण किस्में जैसे बम्बई ग्रीन, गौरजीत और लखनऊ सफेदा भी लगाएं।
एफएमडी बीमारी से बचाव के लिए मुफ्त टीकाकरण चलाया जा रहा है। मछलीपालक किसान तालाब में फिंगरलिंग (6000-8000 प्रति एकड़) या ईयरलिंग (2000-4000 प्रति एकड़) डाल सकते हैं।
किसान IMD वेबसाइट पर जाकर जनपदवार पूर्वानुमान और चेतावनी प्राप्त कर सकते हैं। क्षेत्रीय मौसम जानकारी यहाँ से भी मिल सकती है।
उत्तर प्रदेश में जलवायु संकट के बीच यह जरूरी है कि खेती को अधिक जल-संवेदनशील और टिकाऊ बनाया जाए। इस दिशा में खेतों में जल-संरक्षण तकनीक, सूखा-सहिष्णु बीज, और कृषि विस्तार सेवाओं का बेहतर उपयोग किया जाए। इसके अलावा, फसल बीमा, डिजिटल फसल निगरानी और किसानों को मौसम आधारित सलाह देने की व्यवस्था को मजबूत करना आज की ज़रूरत है।
ऐसे में उत्तर प्रदेश अनुसंधान परिषद (UPCAR) ने किसानों के लिए ज़रूरी सलाह जारी की है कि किसान इस समय क्या करें और क्या न करें?
भारी वर्षा की चेतावनी
धान की खेती वाले क्षेत्रों के लिए सुझाव
सुगंधित धान की रोपाई का सही समय
खरपतवार नियंत्रण और कीट प्रबंधन
गन्ना किसानों के लिए विशेष सलाह
मिट्टी की नमी बनाए रखने के उपाय
फलदार पौधों की रोपाई और कीट नियंत्रण
पशु और मछली पालन
तकनीकी जानकारी और सहायता
उत्तर प्रदेश में जलवायु संकट के बीच यह जरूरी है कि खेती को अधिक जल-संवेदनशील और टिकाऊ बनाया जाए। इस दिशा में खेतों में जल-संरक्षण तकनीक, सूखा-सहिष्णु बीज, और कृषि विस्तार सेवाओं का बेहतर उपयोग किया जाए। इसके अलावा, फसल बीमा, डिजिटल फसल निगरानी और किसानों को मौसम आधारित सलाह देने की व्यवस्था को मजबूत करना आज की ज़रूरत है।