अमेज़न फिर से सांस ले रहा है, लेकिन जलवायु की जंग अभी भी है अधूरी
Gaon Connection | Nov 04, 2025, 14:04 IST
ब्राज़ील ने 2024 में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 17% की ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की, जो 2009 के बाद सबसे बड़ी कमी है। यह सफलता मुख्यतः अमेज़न और सेराडो क्षेत्रों में वनों की कटाई घटने से मिली। लेकिन सूखे और जंगल की आग ने नए खतरे भी पैदा किए हैं - जो बताते हैं कि जलवायु की जंग अभी जारी है।
ब्राज़ील ने 2024 में अपनी जलवायु कहानी में एक ऐतिहासिक मोड़ दर्ज किया है। देश में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (Greenhouse Gas Emissions) में 16.7% की गिरावट आई है — यह 2009 के बाद की सबसे बड़ी कमी है। कुल उत्सर्जन 2.576 गीगाटन CO₂e से घटकर 2.145 गीगाटन रह गया। यह गिरावट मुख्यतः अमेज़न और सेराडो क्षेत्रों में वनों की कटाई कम होने का नतीजा है, जहाँ हाल के वर्षों में बड़े पैमाने पर जंगलों का नुकसान हुआ था।
यह आँकड़े Observatório do Clima की वार्षिक रिपोर्ट SEEG (System for Estimating Greenhouse Gas Emissions) से सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ब्राज़ील के नेट एमिशन — यानी वह स्तर जो पुनर्वनीकरण और कार्बन अवशोषण के बाद बचता है — में 22% की कमी आई है। यह आँकड़ा 1.920 गीगाटन से घटकर 1.489 गीगाटन CO₂e पर पहुँच गया। यह गिरावट लूला प्रशासन द्वारा वनों की निगरानी और सुरक्षा पर दोबारा ज़ोर देने का सीधा नतीजा मानी जा रही है, क्योंकि 2019 से 2022 के बीच नियंत्रण तंत्र कमजोर पड़ गया था।
लेकिन जहाँ एक ओर ब्राज़ील के जंगल बच रहे हैं, वहीं आग और सूखे ने नए संकट खड़े कर दिए हैं। 2024 में वनों की कटाई में गिरावट के बावजूद देश ने इतिहास की सबसे बड़ी आग की घटनाएं झेलीं। भीषण सूखे ने उत्तरी और मध्य ब्राज़ील के बड़े इलाकों में जंगलों को झुलसा दिया, जिससे “नॉन-इन्वेंटरीड एमिशन” — यानी ऐसे उत्सर्जन जो सरकारी आंकड़ों में शामिल नहीं होते — 241 मिलियन टन CO₂e तक पहुँच गए।
वनों की कटाई के अलावा, एक और बड़ी चुनौती है पशुपालन उद्योग, जो ब्राज़ील के कुल उत्सर्जन का 51% हिस्सा अकेले पैदा करता है। रिपोर्ट बताती है कि अगर ब्राज़ील का बीफ़ उद्योग एक देश होता, तो यह दुनिया का सातवाँ सबसे बड़ा उत्सर्जक होता — जापान से भी आगे। 2024 में कृषि क्षेत्र के कुल उत्सर्जन में मामूली 0.7% की गिरावट दर्ज की गई, जिसका कारण पशुधन में 0.2% की कमी और बेहतर फ़ीड प्रबंधन रहा।
हालाँकि कृषि मिट्टी में कार्बन अवशोषण के रूप में एक सकारात्मक पहलू दिखा। जलवायु विश्लेषक प्रिसिला आल्वेस के अनुसार, “ब्राज़ील की मिट्टी ने 2024 में लगभग 281 मिलियन टन कार्बन अवशोषित किया, मगर यह योगदान अभी तक राष्ट्रीय रिपोर्टिंग प्रणाली में औपचारिक रूप से दर्ज नहीं होता।”
ऊर्जा क्षेत्र की बात करें तो, यहाँ उत्सर्जन 0.8% बढ़कर 424 मिलियन टन CO₂e तक पहुँचा। लेकिन यह वृद्धि और ज़्यादा हो सकती थी अगर बायोफ्यूल — खासकर इथेनॉल — का इस्तेमाल न हुआ होता। 2024 में ब्राज़ील ने 36 बिलियन लीटर इथेनॉल का रिकॉर्ड उपभोग किया, जिससे पैसेंजर ट्रांसपोर्ट के उत्सर्जन में 3% की गिरावट आई — यह महामारी के बाद पहली बार हुआ। IEMA के शोधकर्ता फेलिपे सिल्वा बताते हैं, “इस साल मकई आधारित इथेनॉल ने कुल उत्पादन का 20% हिस्सा लिया। यह संकेत है कि ब्राज़ील जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता घटा सकता है, बशर्ते नीति में निरंतरता बनी रहे।”
इन उपलब्धियों के बावजूद ब्राज़ील अभी अपने 2025 के जलवायु लक्ष्यों से थोड़ा पीछे है। SEEG रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल देश के नेट एमिशन 1.44 गीगाटन CO₂e तक पहुँच सकते हैं, जो निर्धारित लक्ष्य 1.32 गीगाटन से लगभग 9% अधिक है। SEEG के कोऑर्डिनेटर डेविड त्साई का कहना है, “वनों की कटाई पर नियंत्रण असर दिखा रहा है, लेकिन बाकी सेक्टरों में उत्सर्जन बढ़ रहा है। केवल जंगल बचाकर हम लक्ष्य तक नहीं पहुँच सकते।”
रिपोर्ट एक और अहम विरोधाभास की ओर इशारा करती है। जहाँ एक ओर लूला प्रशासन ने वनों की सुरक्षा और जलवायु नीतियों को मज़बूती दी है, वहीं दूसरी ओर नए तेल उत्पादन प्रोजेक्ट्स और अमेज़न नदी के मुहाने पर ड्रिलिंग की मंज़ूरी दी गई है। क्लाइमेट ऑब्ज़र्वेटरी के इंटरनेशनल पॉलिसी प्रमुख क्लाउडियो एंजेलो कहते हैं, “सरकार एक हाथ से जलवायु की रक्षा करती है, तो दूसरे हाथ से तेल उत्पादन को बढ़ावा देती है। जलवायु नीति कोई बुफे नहीं है जहाँ आप अपनी पसंद के कदम चुन लें — अधूरी नीति का जवाब प्रकृति सबसे कठोर रूप में देती है, जैसा हमने 2024 में देखा।”
कुल मिलाकर, 2024 ब्राज़ील के लिए “राहत और चेतावनी” दोनों का साल रहा। एक तरफ अमेज़न में वनों की कटाई में ऐतिहासिक कमी और इथेनॉल जैसे विकल्पों ने उम्मीद जगाई है, तो दूसरी तरफ आग, सूखा और तेल परियोजनाएँ बता रही हैं कि जंग अब भी अधूरी है। अगर यही गति, पारदर्शिता और संतुलन बना रहा, तो 2030 तक ब्राज़ील सच में नेट-ज़ीरो की राह पर चल सकता है। लेकिन अगर यह संतुलन बिगड़ा, तो जंगलों की यह साँस फिर से भारी पड़ सकती है।
यह आँकड़े Observatório do Clima की वार्षिक रिपोर्ट SEEG (System for Estimating Greenhouse Gas Emissions) से सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ब्राज़ील के नेट एमिशन — यानी वह स्तर जो पुनर्वनीकरण और कार्बन अवशोषण के बाद बचता है — में 22% की कमी आई है। यह आँकड़ा 1.920 गीगाटन से घटकर 1.489 गीगाटन CO₂e पर पहुँच गया। यह गिरावट लूला प्रशासन द्वारा वनों की निगरानी और सुरक्षा पर दोबारा ज़ोर देने का सीधा नतीजा मानी जा रही है, क्योंकि 2019 से 2022 के बीच नियंत्रण तंत्र कमजोर पड़ गया था।
लेकिन जहाँ एक ओर ब्राज़ील के जंगल बच रहे हैं, वहीं आग और सूखे ने नए संकट खड़े कर दिए हैं। 2024 में वनों की कटाई में गिरावट के बावजूद देश ने इतिहास की सबसे बड़ी आग की घटनाएं झेलीं। भीषण सूखे ने उत्तरी और मध्य ब्राज़ील के बड़े इलाकों में जंगलों को झुलसा दिया, जिससे “नॉन-इन्वेंटरीड एमिशन” — यानी ऐसे उत्सर्जन जो सरकारी आंकड़ों में शामिल नहीं होते — 241 मिलियन टन CO₂e तक पहुँच गए।
क्लाइमेट वैज्ञानिक बारबरा ज़िम्ब्रेस कहती हैं, “पहली बार हम देख रहे हैं कि आग और वनों की कटाई का रिश्ता टूट रहा है — यह जलवायु परिवर्तन के गहरे असर की चेतावनी है।” उनका कहना है कि अगर यही स्थिति जारी रही, तो “ज़ीरो डिफॉरेस्टेशन” का लक्ष्य पाने के बाद भी ब्राज़ील का अमेज़न जलवायु संकट में झुलस सकता है।
By: बारबरा ज़िम्ब्रेस
वनों की कटाई के अलावा, एक और बड़ी चुनौती है पशुपालन उद्योग, जो ब्राज़ील के कुल उत्सर्जन का 51% हिस्सा अकेले पैदा करता है। रिपोर्ट बताती है कि अगर ब्राज़ील का बीफ़ उद्योग एक देश होता, तो यह दुनिया का सातवाँ सबसे बड़ा उत्सर्जक होता — जापान से भी आगे। 2024 में कृषि क्षेत्र के कुल उत्सर्जन में मामूली 0.7% की गिरावट दर्ज की गई, जिसका कारण पशुधन में 0.2% की कमी और बेहतर फ़ीड प्रबंधन रहा।
हालाँकि कृषि मिट्टी में कार्बन अवशोषण के रूप में एक सकारात्मक पहलू दिखा। जलवायु विश्लेषक प्रिसिला आल्वेस के अनुसार, “ब्राज़ील की मिट्टी ने 2024 में लगभग 281 मिलियन टन कार्बन अवशोषित किया, मगर यह योगदान अभी तक राष्ट्रीय रिपोर्टिंग प्रणाली में औपचारिक रूप से दर्ज नहीं होता।”
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ऊर्जा क्षेत्र की बात करें तो, यहाँ उत्सर्जन 0.8% बढ़कर 424 मिलियन टन CO₂e तक पहुँचा। लेकिन यह वृद्धि और ज़्यादा हो सकती थी अगर बायोफ्यूल — खासकर इथेनॉल — का इस्तेमाल न हुआ होता। 2024 में ब्राज़ील ने 36 बिलियन लीटर इथेनॉल का रिकॉर्ड उपभोग किया, जिससे पैसेंजर ट्रांसपोर्ट के उत्सर्जन में 3% की गिरावट आई — यह महामारी के बाद पहली बार हुआ। IEMA के शोधकर्ता फेलिपे सिल्वा बताते हैं, “इस साल मकई आधारित इथेनॉल ने कुल उत्पादन का 20% हिस्सा लिया। यह संकेत है कि ब्राज़ील जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता घटा सकता है, बशर्ते नीति में निरंतरता बनी रहे।”
इन उपलब्धियों के बावजूद ब्राज़ील अभी अपने 2025 के जलवायु लक्ष्यों से थोड़ा पीछे है। SEEG रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल देश के नेट एमिशन 1.44 गीगाटन CO₂e तक पहुँच सकते हैं, जो निर्धारित लक्ष्य 1.32 गीगाटन से लगभग 9% अधिक है। SEEG के कोऑर्डिनेटर डेविड त्साई का कहना है, “वनों की कटाई पर नियंत्रण असर दिखा रहा है, लेकिन बाकी सेक्टरों में उत्सर्जन बढ़ रहा है। केवल जंगल बचाकर हम लक्ष्य तक नहीं पहुँच सकते।”
रिपोर्ट एक और अहम विरोधाभास की ओर इशारा करती है। जहाँ एक ओर लूला प्रशासन ने वनों की सुरक्षा और जलवायु नीतियों को मज़बूती दी है, वहीं दूसरी ओर नए तेल उत्पादन प्रोजेक्ट्स और अमेज़न नदी के मुहाने पर ड्रिलिंग की मंज़ूरी दी गई है। क्लाइमेट ऑब्ज़र्वेटरी के इंटरनेशनल पॉलिसी प्रमुख क्लाउडियो एंजेलो कहते हैं, “सरकार एक हाथ से जलवायु की रक्षा करती है, तो दूसरे हाथ से तेल उत्पादन को बढ़ावा देती है। जलवायु नीति कोई बुफे नहीं है जहाँ आप अपनी पसंद के कदम चुन लें — अधूरी नीति का जवाब प्रकृति सबसे कठोर रूप में देती है, जैसा हमने 2024 में देखा।”
कुल मिलाकर, 2024 ब्राज़ील के लिए “राहत और चेतावनी” दोनों का साल रहा। एक तरफ अमेज़न में वनों की कटाई में ऐतिहासिक कमी और इथेनॉल जैसे विकल्पों ने उम्मीद जगाई है, तो दूसरी तरफ आग, सूखा और तेल परियोजनाएँ बता रही हैं कि जंग अब भी अधूरी है। अगर यही गति, पारदर्शिता और संतुलन बना रहा, तो 2030 तक ब्राज़ील सच में नेट-ज़ीरो की राह पर चल सकता है। लेकिन अगर यह संतुलन बिगड़ा, तो जंगलों की यह साँस फिर से भारी पड़ सकती है।