पाकिस्तान में अब हिंदुओं के पास होगा विवाह का कानून, बहुप्रतीक्षित विधेयक को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी

Shefali SrivastavaShefali Srivastava   20 March 2017 2:26 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
पाकिस्तान में अब हिंदुओं के पास होगा विवाह का कानून, बहुप्रतीक्षित विधेयक को राष्ट्रपति ने दी मंजूरीनौ मार्च को इसे संसद से मंजूरी मिली थी, कानून को पारित होने से पहले लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा है

लखनऊ। पाकिस्तान में अब अल्पसंख्यक हिंदु समुदायों के लिए अच्छी खबर है। बहुप्रतीक्षित हिंदू मैरिज विधेयक पर अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हो गए हैं। इसी के साथ अब यह विधेयक कानून बन गया है।

राष्ट्रपति ममनून हुसैन की मंजूरी के बाद पीएमओ से जारी एक बयान में इसकी पुष्टि करते हुए कहा गया है कि पीएम की सलाह पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने 'हिंदू विवाह विधेयक 2017' को मंज़ूरी दे दी है।

इससे पहले नौ मार्च को इसे संसद से मंजूरी मिली थी। कानून को पारित होने से पहले लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा है। नेशनल असेंबली में दूसरी बार यह विधेयक पारित हुआ था। इससे पहले पिछले साल सितंबर में संसद ने इस कानून को पारित कर दिया था लेकिन बाद में सीनेट ने इसमें कुछ बदलाव कर दिए थे।

नियमानुसार, कोई भी विधेयक तभी राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाता है, जब दोनों सदनों से समान प्रति को ही पारित किया गया हो।

भारतीय कानून से कैसे है अलग

  • पाकिस्तान में हिंदू विवाह अधिनियम वहां के हिंदू समुदाय पर लागू होता है, जबकि भारत में हिंदू मैरिज एक्ट हिंदुओं के अलावा जैन, बौद्ध और सिख समुदाय पर भी लागू होता है।
  • पाकिस्तानी कानून के मुताबिक शादी के 15 दिनों के भीतर इसका रजिस्ट्रेशन कराना होगा। भारतीय कानून में ऐसा प्रावधान नहीं है। इस बारे में राज्य सरकारें कानून बना सकती हैं।
  • पाकिस्तान में शादी के लिए हिंदू जोड़े की न्यूनतम उम्र 18 साल रखी गई है। भारत में लड़के की न्यूनतम उम्र 21 साल और लड़की की 18 साल निर्धारित है।
  • पाकिस्तानी कानून के मुताबिक, अगर पति-पत्नी एक साल या उससे अधिक समय से अलग रह रहे हैं और साथ नहीं रहना चाहते, तो शादी को रद्द कर सकते हैं। भारतीय कानून में कम से कम दो साल अलग रहने की शर्त है।
  • पाकिस्तान में हिंदू विधवा को पति की मृत्यु के छह महीने बाद फिर से शादी का अधिकार होगा। भारत में विधवा पुनर्विवाह के लिए कोई समयसीमा तय नहीं है।

     

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.