उत्तर रेलवे द्वारा यात्रियों को दो लाख रुपए दिए जाने का आदेश खारिज  

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उत्तर रेलवे द्वारा यात्रियों को दो लाख रुपए दिए जाने का आदेश खारिज  ट्रेन में चढ़ते समय सामान खोने वाले 10 लोगों को 20-20 हजार रुपए का मुआवजा देने का आदेश देने से मना कर दिया

नई दिल्ली (भाषा)। देश की शीर्ष उपभोक्ता अदालत ने 2006 में पानीपत से जम्मू की ट्रेन में चढ़ते समय सामान खोने वाले 10 लोगों को 20-20 हजार रुपए का मुआवजा देने का आदेश देने से मना कर दिया है और कहा कि अगर यात्रियों को चढ़ने में परेशानी थी तो उन्हें टिकट रद्द कराने चाहिए थे और रिफंड मांगना चाहिए था।

हालांकि राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने मुआवजा राशि को घटाकर 3000 रुपए प्रति व्यक्ति कर दिया। साथ ही ये भी कहा कि उत्तर रेलवे की ओर से हुई गलती को देखते हुए सभी 10 शिकायतियों को जिला फोरम द्वारा 20-20 हजार रुपए का मुआवजा दिया जाना बहुत अधिक है।

पानीपत निवासी एक फरियादी की शिकायत पर आयोग का यह आदेश आया जिसमें आरोप लगाया गया कि जब वह प्लेटफॉर्म तीन पर अपने परिवार के नौ अन्य सदस्यों के साथ जम्मू की ट्रेन का इंतजार कर रहे थे तो ट्रेन देर से आई और दूसरे प्लेटफॉर्म पर आई जिसकी कोई सूचना भी नहीं दी गई। इस वजह से उन्हें हड़बड़ी में ट्रेन में चढ़ना पड़ा और इस दौरान कुछ सामान रह गया।

पीठासीन सदस्य के एस चौधरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘जिला फोरम ने मानसिक परेशानी के लिए प्रत्येक याचिकाकर्ता को 20,000 रुपए दिए जाने की अनुमति दी जो बिना घोषणा के ट्रेन प्लेटफॉर्म तीन के बजाय प्लेटफॉर्म एक पर ले जाने में दूसरे पक्ष (उत्तर रेलवे) की गलती को देखते हुए बहुत अधिक है।’ कार्यवाही के दौरान उत्तर रेलवे ने अपनी ओर से किसी भी खामी की बात नहीं मानी है।

    

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