अफ्रीकन स्वाइन फीवर: पिछली बार के नुकसान से उबर रहे असम के सुअर पालकों को एक बार फिर उठाना पड़ सकता है नुकसान

Divendra Singh | Jul 26, 2021, 11:40 IST
असम में पिछले साल अफ्रीकन स्वाइन फीवर से हुई सुअरों की मौत से अभी किसान उबर भी नहीं पाए थे कि फिर कई जिलों में सुअरों की मौत होने लगी है। ऐसे में किसानों को डर है कि अगर एक बार फिर पूरे राज्य में संक्रमण फैला तो पूरी तरह से बर्बाद हो जाएंगे।
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ब्रोजेन कोनवर के फार्म पर पिछले चार-पांच दिनों में 9 सुअरों की मौत हो गई, ब्रोजेन की तरह ही असम के कई जिलों में एक बार फिर सुअरों की मौत होने लगी है। पिछले साल भी असम में अफ्रीकन स्वाइन फीवर ने तबाही मचायी थी, जिससे हजारों की संख्या में सुअरों की मौत हो गई थी।

ब्रोजेन कोनवर (47 वर्ष) असम के लखीमपुर जिले के अमुलापट्टी गांव के रहने वाले हैं। कोनवर गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "पिछले चार-पांच दिनों में सुअरों ने खाना-पीना छोड़ दिया था, फिर धीरे-धीरे 9 सुअरों की मौत हो गई।"

सेना से रिटायर्ड ब्रोजन आगे कहते हैं, "आर्मी से रिटायर हुए चार साल हो गए हैं, तब से कुछ छोटा मोटा बिजनेस कर रहा हूं, इस बार सोचा कि पिग फार्मिंग शुरू करुंगा, इसलिए कई सुअर खरीद कर लाया, अभी कुछ दिन पहले ही एक 36000, एक 27000 और एक 33000 रुपए में सुअर खरीदी थी, इनमें से दो ने बच्चे भी दिए थे और एक अभी अगले महीने बच्चे देने वाली थी, लेकिन देखते ही देखते बहुत नुकसान हो गया। दो दिन तो पशुपालन विभाग से सैंपल लेने आए थे, लेकिन उसके बाद से न सैंपल लेने आए और न ही अभी तक रिपोर्ट मिली है।"

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लखीमपुर के ब्रोजेन की तरह ही शिवसागर, ढेमाजी, दारांग, जैसे कई जिलों में इस महीने कई सुअरों की मौत हो गई है, कई जिलों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि हो गई है, जबकि कई जगह की रिपोर्ट का अभी इंतजार हो रहा है। ऐसे में जब पूर्वोत्तर के हजारों किसानों के आय का जरिया ही सुअर पालन है, किसानों को डर है कि कहीं उनके भी फार्म पर यह बीमारी न फैल जाए।

शिवसागर जिले के सिमलुगुड़ी के इंद्रजीत बोरगोहैन के फार्म पर भी 53 सुअरों की मौत हो गई है, रिपोर्ट में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि भी हो गई है।

असम में पिछले साल 2020 में भी अफ्रीकन स्वाइन फीवर ने तबाही मचायी थी, कुछ ही महीनों में बहुत से फार्म वीरान हो गए थे। असम में जनवरी-फरवरी, 2020 में अफ्रीकन स्वाइन फीवर का पता चला था। देखते ही देखते अप्रैल तक शिवसागर, धेमाजी, लखीमपुर, बिस्वनाथ चारली, डिब्रुगढ़ और जोरहट जिलों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर संक्रमण बढ़ गया। पशुपालन विभाग के अनुसार, इस संक्रमण से 18,200 सुअरों की मौत हुई है। नॉर्थईस्ट प्रोग्रेसिव पिग फ़ार्मर्स एसोसिएशन के अनुसार ये संख्या कहीं ज़्यादा थी। एसोसिएशन के अनुसार प्रदेश में इस संक्रमण से अब तक 10 लाख से अधिक सुअरों की मौत हुई थी।

पिछले साल अफ्रीकन स्वाइन फीवर की वजह से वीरान हुए बहुत से फार्म दोबारा नहीं शुरू हो पाए हैं। ऐसे में किसानों को डर है कि अगर एक बार फिर पूरे राज्य में संक्रमण फैला तो पूरी तरह से बर्बाद हो जाएंगे।

नॉर्थईस्ट प्रोग्रेसिव पिग फ़ार्मर्स एसोसिएशन के सचिव तिमिर बिजॉय श्रीकुमार गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "असम में बहुत से ऐसे फार्मर हैं, जो अफ्रीकन स्वाइन फीवर की वजह से नुकसान उठा रहे हैं, जिस तरह से कोविड की पहली लहर आयी और फिर दूसरी, समझिए इसी तरह से असम में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की भी दूसरी लहर आ गई है।"

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पिछले साल अफ्रीकन स्वाइन फीवर की वजह से वीरान हुए बहुत से फार्म दोबारा नहीं शुरू हो पाए।

वो आगे कहते हैं, "पिछली बार के नुकसान से किसी तरह से लोग उबर रहे थे, लेकिन अगर इस बार फिर पूरी तरह से फैला तो लोग दोबारा फिर से खड़े नहीं हो पाएंगे। अभी कुछ जिलों में ही अफ्रीकन स्वाइन फीवर की रिपोर्ट आयी है, जबकि कई जिलों से फार्मर से हमारी बात हो रही है। पहले जल्दी सैंपल नहीं ले जाते हैं और सैंपल ले भी जाते हैं तो जल्दी रिपोर्ट ही नहीं मिलती है। सरकार को इस बारे में कुछ करना चाहिए।"

इस साल मिजोरम में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से काफी नुकसान हुआ है, पशुपालन विभाग, मिजोरम के अनुसार राज्य में सबसे पहले 21 मार्च को अफ्रीकन स्वाइन फीवर के संक्रमण से सुअर की मौत हुई थी, उसके बाद यह सिलसिला बढ़ता गया। विभाग के अनुसार मिजोरम में 10000 से ज्यादा सुअरों की मौत हुई है।

20वीं पशुगणना के आंकड़े बताते हैं कि ऐसे में जब पूरे देश में सुअरों की संख्या में कमी आयी थी, असम में इनकी संख्या में इज़ाफा हुआ था। 19वीं पशुगणना के अनुसार देश में सुअरों की आबादी 103 करोड़ थी, जो 20वीं पशुगणना के दौरान घटकर 91 करोड़ हो गई। असम में 19वीं पशुगणना के दौरान 16.4 करोड़ सुअर पाए गए, 20वीं पशुगणना के दौरान इनकी संख्या 21 करोड़ हो गई। लेकिन जिस तरह से अफ्रीकन स्वाइन फीवर तबाही मचा रहा है, इनकी संख्या एक बार फिर कम हो सकती है।

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बीसवीं पशुगणना के अनुसार जब दूसरे राज्यों में सुअर की संख्या कमी आयी थी, असम में लगभग 28.30 प्रतिशत संख्या की वृद्धि हुई थी।

कई जिलों में एएसएफ की पुष्टि और सुअरों की मौत पर पशुपालन और पशु चिकित्सा विभाग, असम की निदेशक इंदिरा कलिता कहती हैं, "अभी बक्सा, दारांग और शिवसागर जिले में एएसएफ की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है। दारांग जिले में तो जिस फार्म में सुअर की मौत हुई थी, वहां आसपास कलिंग भी हो गई है, लेकिन अभी कितने सुअरों को मारा गया है, इसकी डिटेल नहीं आयी है।"

वो आगे कहती हैं, "अभी यह नहीं कह सकते हैं कि किस तरह से यह असम में दोबारा फैल रहा है, हो सकता है कि यह मिजोरम से दोबारा आया हो, लेकिन इस फैलने से रोकने के लिए फार्मर को अवेयर कर रहे हैं, इससे नुकसान इसलिए भी ज्यादा होता है, क्योंकि अभी तक इसकी कोई वैक्सीन ही नहीं बन पायी है।"

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संक्रमण रोकने लिए मारे दिए जाते हैं सुअर

संक्रमण फैलने से रोकने के लिए संक्रमित सुअरों को मार दिया जाता है, जिसके बाद पशु पालक को मुआवजा दिया जाता है। सुअरों को मारने वाले मुआवजे में 50 प्रतिशत केंद्र और 50 प्रतिशत राज्य सरकार देती है। केंद्र सरकार ने सुअरों के लिए अलग-अलग मुआवजा निर्धारित किया है। छोटे सुअर जिनका वजन 15 किलो तक होगा, उनके लिए 2200 रुपए, 15 से 40 किलो वजन के सुअर के लिए 5800 रुपए, 40 से 70 किलो वजन के सुअर के लिए 8400 रुपए और 70 से 100 किलो तक के सुअर को मारने पर 12000 हजार रुपए दिया जाता है।

दूसरे कई देशों में भी हुई हजारों सुअरों की मौत

भारत के साथ ही पिछले कुछ सालों में दूसरे कई देशों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से सुअरों की मौत हुई थी। खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार, मंगोलिया, चीन, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, फीलीपिंस, इंडोनेसिया, मलेशिया जैसे दूसरे कई देशों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की वजह से सुअरों की मौत हुई।

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