किसान आंदोलन: एक बार फिर दिल्ली पहुँच रहे हैं किसान, पढ़िए क्या हैं किसानों की 10 बड़ी माँगे

किसान आंदोलन के लिए पंजाब, हरियाणा जैसे कई राज्यों से किसान दिल्ली पहुँच रहे हैं। प्रशासन ने दिल्ली बॉर्डर पर कड़ी सुरक्षा के इंतज़ाम किए हैं। कई जगहों पर कांटों की तार और बैरिकेट्स भी लगाये गए हैं। राजधानी दिल्ली सहित पंजाब और हरियाणा के कई जिलों में धारा 144 लागू है।

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एक बार फिर देश भर के किसान अपनी माँगों को लेकर दिल्ली पहुँच रहे हैं, 12 फरवरी को सरकार की तरफ से किसानों से बात भी बेनतीजा रही।

'दिल्ली चलो मार्च' में लगभग 20 हजार किसान 2500 ट्रैक्टर्स से दिल्ली पहुँच सकते हैं। 'चलो दिल्ली मार्च' को लेकर पंजाब और हरियाणा के किसानों के अलावा देश के अलग -अलग हिस्सों से किसान संगठित हो रहे हैं। वहीं सरकार भी सुरक्षा और भीड़ को काबू करने के लिए अपनी तैयारी कर रही है।

केंद्रीय मंत्रियों की एक टीम ने 12 फरवरी को देर रात तक किसान नेताओं के साथ चंडीगढ़ में बातचीत की; खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल और कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा सहित मंत्री चंडीगढ़ सेक्टर 26 में महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान में किसान नेताओं के साथ दूसरे दौर की वार्ता हुई। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर सहित अन्य लोग बैठक का हिस्सा रहे।

केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच बैठक पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा, "किसान संगठनों के साथ गंभीरता से बातचीत हुई। सरकार हमेशा चाहती है कि बातचीत के माध्यम से समाधान निकले। अधिकांश विषयों पर हम सहमति तक पहुँचे लेकिन कुछ विषयों पर हमने स्थाई समाधान के लिए कमेटी बनाने को कहा। हम अभी भी मानते हैं कि किसी भी समस्या का समाधान बातचीत से हो सकता है। हम आशान्वित है कि आगे बातचीत के जरिए हम समाधान निकाल लेंगे।"

पंजाब किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने कहा, "लगभग 5 घंटे तक हमारी मंत्रियों के साथ बैठक चली। हमने उनके सामने एक एजेंडा रखा था लेकिन केंद्र सरकार किसी भी बात पर कोई ठोस निर्णय नहीं ले सकी। केंद्र सरकार हमें समय माँग रही है। उन्होंने हमसे 2 साल पहले भी समय माँगा था, जब किसान आंदोलन खत्म हुआ था। अगर कोई ठोस प्रस्ताव होता तो हम समय देने के बारे में सोचते लेकिन उनके पास कुछ भी नहीं है। हमने उनसे कहा कि सरकार ऐलान कर दे कि वे एमएसपी खरीद की गारंटी का कानून बनाएंगे, लेकिन इसपर भी सहमति नहीं बनी।"

एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने घोषणा की है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के लिए कानून बनाने सहित उनकी माँगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के लिए 200 से अधिक कृषि संघ आज दिल्ली पहुँच रहे हैं।

केंद्रीय मंत्रियों के साथ पहली बैठक 8 फरवरी को हुई थी जिसमें किसान संगठनों के नेताओं के साथ विस्तृत चर्चा हुई थी।

12 फरवरी को दिल्ली के कमिश्नर संजय अरोड़ा ने राजधानी में धारा 144 लगाने का फैसला जारी किया। दिल्ली पुलिस का कहना हैं कि बड़ी संख्या में ट्रैक्टर और ट्रॉलियों के साथ दिल्ली में प्रदर्शन की तैयारी है; जिसके चलते दिल्ली में पब्लिक की सुरक्षा को खतरा है। साथ ही भीड़ के साथ अराजक तत्त्व भी हो सकते हैं। इन्हीं सब को देखते हुए राजधानी में शांति और कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए धारा 144 लगाने का फैसला लिया गया है। आर्डर के मुताबिक ये आदेश 30 दिनों तक लागू रहेगा।

किसान यूनियनों के 'दिल्ली चलो' मार्च से पहले हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगे दिल्ली के बॉर्डरों पर कंक्रीट के बैरिकेड्स, सड़क पर बिछाए जाने वाले नुकीले बैरिकेड्स और कंटीले तार लगाकर सीमाओं को छावनी में तब्दील कर दिया गया है।

इस बीच हरियाणा सरकार ने राज्य के अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, फतेहाबाद, हिसार, सिरसा, सोनीपत, झज्जर आदि जिलों में धारा 144 लागू कर दिया है। इसके अलावा अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा जिलों में रविवार की सुबह छह बजे से इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं और साथ ही भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात कर दिया है।

युवा किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ लगातर अपने ट्विटर अकाउंट से किसानों को संगठित करने की गुज़ारिश कर रहे हैं उन्होंने अपने सोशल मीडिया से पोस्ट की गयी वीडियो में कहा, " किसान भाइयों हाथ जोड़ के प्रार्थना है, 13 फरवरी को दिल्ली कूच की पूरी तयारी हैं हम सब आर -पार की लड़ाई लड़ेंगे। हाथ जोड़ के विनती हैं जिस किसान भाई को ये लगता हैं की किसानों के लिए एमएसपी का गारंटी कानून ज़रूरी है। लखीमपुर खीरी के घायल और शहीद किसानों को न्याय दिलाना ज़रूरी हैं , स्वामीनाथन रिपोर्ट लागूकराना ज़रूरी हैं , किसानों की और मजदूरों की क़र्ज़ माफ़ी ज़रूरी हैं , 2013 का भूमि अधिग्रहण कानून लागू कराना ज़रूरी हैं , वो तमाम किसान 13 फरवरी वाले दिल्ली कूच आंदोलन में शामिल हो।'

वो आगे कहते हैं कि ये हमारे फसल और नसल और पीढ़ी को बचाने की लड़ाई हैं। तीन बॉर्डर तय किये गए हैं, शंभू बॉर्डर , खनौरी बॉर्डर और दवाड़ी बॉर्डर। जो शंभू बॉर्डर के आस पास के ज़िले हैं जैसे अम्बाला , करनाल और कुरुक्षेत्र हो गया , वो सारे साथी सुबह शंभू बॉर्डर पहुंचे; जो खनौरी बॉर्डर के आस पास के ज़िले हैं जींद और कैथल वो तमाम साथी सुबह खनौरी बॉर्डर पर पहुंचे और जो फतेहाबाद और सिरसा के साथी हैं वो दवाड़ी बॉर्डर पर पहुंचे।



दिल्ली कूच की प्रमुख माँगे

1) पूरे देश के किसानों के लिए सभी फसलों की एमएसपी पर खरीद की गारंटी का कानून बनाया जाए और डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार फसलों के भाव तय किये जाये।

2) किसानों और मजदूरों की पूर्ण कर्ज मुक्ति करी जाये।

3) भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को पूरे देश में पुनः लागू किया जाए एवं भूमि अधिग्रहण से पहले किसानों की लिखित सहमति एवं मार्किट रेट से 4 गुना मुआवज़ा देने के प्रावधान लागू किये जायें।

4) लखीमपुर खीरी नरसंहार के दोषियों को सज़ा एवं पीड़ित किसानों को न्याय दिया जाए।

5) भारत विश्व व्यापार संगठन से बाहर आये एवं सभी मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाई जाए।

6) किसानों और खेत मजदूरों को पेंशन दी जाए।

7) दिल्ली आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को मुआवजा एवं परिवार के 1 सदस्य को नौकरी दी जाए।

8) विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द किया जाए।

9) मनरेगा के तहत प्रति वर्ष 200 दिन का रोजगार, 700 रुपये का मजदूरी भत्ता दिया जाए और मनरेगा को खेती के साथ जोड़ा जाए।

10) नकली बीज, कीटनाशक दवाइयां और खाद बनाने वाली कंपनियों पर सख्त दंड और जुर्माना लगाने के प्रावधान तय किये जायें और बीजों की गुणवत्ता में सुधार किये जाएँ।

11) मिर्च, हल्दी और अन्य मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए।

12) संविधान की 5 सूची को लागू किया जाए और जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों के अधिकार सुनिश्चित कर के कम्पनियों द्वारा आदिवासियों की ज़मीन की जुट बन्द करी जाए।

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