फिरोजाबाद रहस्यमयी बुखार: जिला अस्पताल में मरीजों की बढ़ी संख्या; परिजनों की शिकायत - भर्ती और इलाज में हो रही देरी

जिला अस्पताल फिरोजाबाद में कम से कम 540 मरीज भर्ती हैं और यह संख्या तेजी से बढ़ रही है। प्रशासन ने रहस्यमयी बुखार के इलाज के लिए बेडों की संख्या भी बढ़ाई है, इसे कई लोग डेंगू की बीमारी मान रहे हैं। 4 सितंबर तक, जिले में 'बुखार' से मरने वालों की आधिकारिक संख्या 51 थी, जिनमें से अधिकांश बच्चे हैं।

Brijendra DubeyBrijendra Dubey   6 Sep 2021 6:26 AM GMT

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फिरोजाबाद में जिला अस्पताल के बाहर अपने बीमार परिवार के सदस्यों के इंतजार में परिवारों की भीड़ अगर और बढ़ती है तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इस जिले में स्थिति और बदतर हो जाएगी। शनिवार, 4 सितंबर को, इस रहस्यमयी बुखार के चपेट आकर दो और बच्चों - नौ साल के गोलू और एक दो साल की बच्ची की भी मौत हो गई।

उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव, राज्य चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार, जो इन दिनों फिरोजाबाद में हैं, ने आज (5 सितंबर) सुबह मीडिया से कहा कि जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ रही है। "हमने अस्पताल की नई बिल्डिंग में नए बेड जोड़े हैं। पैंसठ बेड बढ़ाए गए हैं और अगर जरूरत पड़ी तो और भी बढ़ाए जाएंगे। हमारा प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी मरीज अस्पताल से दूर न जाए।"

हालांकि, अस्पताल में अपने वार्डों को भर्ती करने की प्रतीक्षा कर रहे हताश परिवार के सदस्यों ने शिकायत की कि रोगियों को भर्ती करने में देरी हो रही है और उचित इलाज भी नहीं हो रहा। गांव कनेक्शन ने जिला अस्पताल के बाहर कई अभिभावकों से मुलाकात की, जिन्होंने दावा किया कि वे अपने छोटे बच्चों को भर्ती करने के लिए घंटों इंतजार कर रहे थे। कुछ ने शिकायत की कि उन्हें बीमार मरीजों को इलाज के लिए करीब 50 किलोमीटर दूर आगरा ले जाने के लिए कहा जा रहा है।

पचपन वर्षीय कमलेश अपने बीमार पोते, 13 वर्षीय कन्हैया के पास बैठी थी, जो भर्ती होने के इंतजार में जिला अस्पताल के बाहर एक पार्क में लेटा हुआ था। कन्हैया को तेज बुखार आया था। "मैं अपने बीमार पोते का इलाज कराने के लिए एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर के पास दौड़ रही हूं। मेरा बेटा पहले ही मर चुका है और कन्हैया की मां अपने माता-पिता के साथ रहती है। मैंने अपने पोते को बड़ी देखभाल और प्यार से पाला है, "कमलेश गाँव कनेक्शन से बात करते हुए रो पड़ी।

कमलेश अपने बीमार पोते को अस्पताल में भर्ती कराने का इंतजार कर रही हैं।

सुनीता की 11 साल की बेटी पिछले पांच दिनों से जिला अस्पताल में भर्ती है। "मेरी बेटी को तेज बुखार हो रहा था और खून की उल्टी हो रही थी। वह अस्पताल में भर्ती है और तीन बार उसका खून जांच किया जा चुका है लेकिन मुझे अभी तक जांच की रिपोर्ट नहीं मिली है। मुझे नहीं पता कि क्या करना है, "सुनीता ने सुबह (5 सितंबर) गांव कनेक्शन को बताया।

परिवार के अन्य सदस्य भी थे जिन्होंने शिकायत की थी कि उनके बीमार बच्चे, जिनकी प्लेटलेट काउंट गिर रही थी, उन्हें "जबरन छुट्टी" दी जा रही थी। "क्या प्रशासन को लगता है कि हमें अपने बच्चों को अस्पताल में रखने में खुशी मिलती है? हमने अपने बच्चों को यहां भर्ती कराया है क्योंकि हमारे बच्चे गंभीर स्थिति में हैं, लेकिन अस्पताल बिस्तर खाली करने की जल्दी में है, "गांव कनेक्शन को बताया।

एक अन्य बच्चे के पिता लालू प्रसाद, जिनका बेटा डेंगू से पीड़ित है और पिछले चार-पांच दिनों से अस्पताल में भर्ती है, ने कहा कि ब्लड सैंपल की रिपोर्ट मिलने में देरी हो रही है। "हमने आज सुबह 8 बजे प्लेटलेट काउंट के लिए ब्लड सैंपल दिया और यह दोपहर 2:30 बजे हैं और हमें अभी भी रिपोर्ट नहीं मिली है। अस्पताल ने कल की खून जांच की रिपोर्ट सौंप दी है और हमें अपने बच्चे को ले जाने के लिए कह रहा है। हम बीमार बच्चे को घर नहीं ले जाना चाहते। अगर डॉक्टर लिखित में यह कहते हैं कि हमारे बच्चे को घर ले जाना सुरक्षित है, तो हम ऐसा करेंगे, "उन्होंने गांव कनेक्शन को बताया।

28 अगस्त को राजकुमारी ने अपनी पांच साल की बेटी को डेंगू से खो दिया। डॉक्टरों ने उसे अपनी बेटी को आगरा ले जाने के लिए कहा। वहां ले जाने से पहले ही बेटी की मौत हो गई।

राजकुमारी भी जिला अस्पताल के बाहर अपनी पांच साल की बेटी के मृत्यु प्रमाण पत्र पर दस्तखत कराने के लिए इंतजार कर रही थी। "मेरी बेटी की 28 अगस्त को रात नौ बजे डेंगू से मौत हो गई… डॉक्टरों ने कहा कि मेरी बेटी की हालत गंभीर है और मुझे उसे आगरा ले जाना चाहिए। लेकिन मेरी बेटी मर गई। मैं यहां मृत्यू प्रमाण पत्र पर अधिकारी दस्तखत के लिए आयी हूं, "राजकुमारी ने गांव कनेक्शन को बताया। "मेरे चार बच्चे थे, उनमें से एक की मौत हो गई है। अब मेरे तीन बच्चे बचे हैं।"

इसके प्रकोप के लिए फिरोजाबाद के विभिन्न इलाकों में गंदगी, कचरे के ढेर और रुके हुए पानी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। "नए मोहल्ले बनाए गए हैं और गंदगी है। शहरीकरण के कारण, नए क्षेत्रों का विकास हुआ है और उन्हें ठीक से नियोजित करने की आवश्यकता है। आलोक कुमार ने कहा कि समय पर कार्रवाई करने में विफल रहने वाले सफाई कर्मचारियों के खिलाफ प्रशासन कार्रवाई करेगा।

अस्पताल में अपने वार्डों को भर्ती करने की प्रतीक्षा कर रहे हताश परिवार के सदस्यों ने शिकायत की कि रोगियों को भर्ती करने में देरी हो रही और इलाज भी नहीं हो रहा है।

इस बीच, आधिकारिक मौत की गिनती पर भी संदेह जताया जा रहा है। 3 सितंबर तक, फिरोजाबाद में आधिकारिक मृत्यु संख्या 50 थी। 4 सितंबर को, दो और बच्चों (नौ वर्षीय गोलू और दो वर्षीय लड़की) की अस्पताल में मृत्यु हो गई। गांव कनेक्शन ने दोनों मृत बच्चों के माता-पिता से बात की। हालाँकि, 4 सितंबर को जारी अद्यतन मृत्यु दर 51 रही, न कि 52।

गांव कनेक्शन ने फिरोजाबाद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी दिनेश कुमार प्रेमी से बात करने की कोशिश की। लेकिन बार-बार कोशिश करने के बाद भी उनसे बात नहीं हो पायी।

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