वाराणसी: कोरोना मरीजों की उखड़ती सांसों को अब मोबाइल ऑक्सीजन वैन से मिल रही 'संजीवनी'

महामना मोबाइल ऑक्सीजन पॉइंट पर उन मरीजों को नि:शुल्क ऑक्सीजन दिया जा रहा है, जो बीएचयू कोविड अस्पताल में भर्ती नहीं हो पा रहे हैं या उन्हें भर्ती होने का इंतजार करना पड़ रहा है।

Anand kumarAnand kumar   2 May 2021 2:45 PM GMT

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वाराणसी (उत्तर प्रदेश)। वाराणसी स्थित सर सुंदर लाल अस्पताल, बीएचयू में भर्ती होने का इंतजार कर रहे लोगों के लिए महामना मोबाइल ऑक्सीजन वैन संजीवनी की शुरुआत हो गई है। बीएचयू न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. विजय नाथ मिश्रा और उनकी टीम ने शनिवार को मोबाइल ऑक्सीजन वैन की शुरूआत की। महामना मोबाइल ऑक्सीजन पॉइंट पर उन मरीजों को नि:शुल्क ऑक्सीजन दिया जा रहा है, जो बीएचयू कोविड अस्पताल में भर्ती नहीं हो पा रहे हैं या उन्हें भर्ती होने का इंतजार करना पड़ रहा है। ऑक्सीजन पॉइंट पर ऑक्सीमीटर समेत सभी जरूरत के मेडिकल उपकरण रखे गए हैं। तीन सिलेंडर की मदद से मोबाइल ऑक्सीजन वैन तैयार किया गया है। डॉ. विजय नाथ मिश्रा के अनुसार दिनभर में 20 से 40 मरीजों को आक्सीजन दिया जा सकता है।

बीएचयू न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. आरएन चौरसिया, डॉ. विजय नाथ मिश्रा, डॉ. अभिषेक पाठक, डॉ. वरुण सिंह और डॉ. आनंद कुमार सिंह ने मिलकर महामाना ऑक्सीजन वैन तैयार किया है। प्रो. विजय नाथ मिश्रा ने गांव कनेक्शन को बताया कि टीम में हम सभी डॉक्टरों ने योगदान करके यह ऑक्सीजन वैन तैयार किया है आगे दो और ऑक्सीजन वैन हम इसी तरह मिलकर तैयार कर रहे हैं।


"हफ्ते भर के बुखार की बीमारी है जिसमें मरीज का अचानक ऑक्सीजन कम हो जा रहा है। अक्सर लोग बुखार को हल्के में लेते हैं, लोग कोई जांच नहीं कराते हैं और अपने मन से पेरासिटामॉल खा लेते हैं। अब दिक्कत ये है कि जब उनका ऑक्सीजन कम होता है तो वह अस्पताल पहुंच जाते हैं, लेकिन उसे वहां बेड नहीं मिला। अगर बेड है भी तो मरीज ने कोरोना जांच नहीं कराया है, लेकिन मरीज की जान यह सब चीज तो नहीं देख रही है वह तो ऑक्सीजन की मांग कर रही है। इन दिनों हम ऑक्सीजन के अभाव में सड़कों पर दम तोड़ते मरीजों को देख रहे हैं तो हमने सोचा की एक छोटे गाड़ी में पोर्टबेल ऑक्सीजन पॉइंट तैयार करें। इसमें उन मरीजों को ऑक्सीजन की मुफ्त सुविधा दी जा रही है, जो कोविड वार्ड में भर्ती होने के लिए आते हैं, लेकिन बेड के अभाव में भर्ती होने का इंतजार करते हैं।" डॉ. विजय नाथ मिश्रा ने गांव कनेक्शन को बताया।

24 घंटे मिलेगी नि:शुल्क ऑक्सीजन की सुविधा

प्रो. विजय नाथ मिश्रा ने गांव कनेक्शन को बताया,"इसी तरह 2 और गाड़ी तैयार की जा रही है, जो मरीजों को 24 घंटे तक नि:शुल्क ऑक्सीजन की सुविधाप्रदान करेगी। एक हफ्ते में 2 और मोबाइल ऑक्सीजन वैन तैयार हो जाएगी, जिसके बाद 8-8 घंटे की शिफ्ट में इस सेवा को 24 घंटे के लिए शुरू किया जाएगा। सर सुंदर लाल अस्पताल के बाहर ये वैन 24 घंटे खड़ी रहेगी, ताकि उन मरीजों को ऑक्सीजन दिया जा सके जो बेड के अभाव में बाहर भटकते रहते हैं।"

उन्होंने बताया, "एक हफ्ते बाद 3 ऑक्सीजन वैन बनकर तैयार हो जाएंगे। एक ऑक्सीजन वैन 24 घंटा सर सुंदर लाल अस्पताल के बाहर खड़ी रहेगी और दो ऑक्सीजन वैन शहर में मरीजों के आवश्यकतानुसार घूमती रहेगी। बनारस में कहीं से भी मरीज का फोन आता है तो उस तक ऑक्सीजन वैन पहुंच जाएगी। इसमें वीडियो कॉल की व्यवस्था होगी, जिसके जरिए डॉक्टर मरीजों को परामर्श दे सकेंगे।"

महामना मोबाइल ऑक्सीजन पॉइंट की क्यों पड़ी जरूरत

महामना मोबाइल ऑक्सीजन पॉइंट करने की जरूरत क्यों पड़ी? इसके जवाब में डॉ. विजय नाथ मिश्रा ने कहा कि 21 अप्रैल को सर सुंदर लाल अस्पताल के बाहर एक मरीज ऑक्सीजन की चाह में तड़प रहा था। उस मरीज को इंमरजेंसी में भेजकर ऑक्सीजन दिया गया, तब जाकर वह मरीज बच पाया।

मोबाइल ऑक्सीजन बनाने के लिए डॉ. विजय नाथ मिश्रा और उनकी टीम को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। डॉ. विजय नाथ मिश्रा ने गांव कनेक्शन को बताया,"हम लोगों को कहीं से ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मिल रहे थे। इसके बाद हम लोगों ने आईआईटी बीएचयू के डॉयरेक्टर प्रो. पी. के जैन से अनुरोध किया कि आपके यहां लैबों में करीब 100-200 सिलेंडर बंद पड़े है उसमें से हमें 10-20 सिलेंडर दे दीजिए। दो दिन तक अनुरोध किए, लेकिन उन्होंने सिलेंडर नहीं दिया। फिर हम लोगों ने उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र दयालू से सहयोग लिया। उन्होंने हम लोगों को 2 ऑक्सीजन सिलेंडर दिलावाया और 1 सिलेंडर हमें बीएचयू के एक प्रोफेसर साहब से मिला। इस तरह हम लोगों ने 3 ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम किया।


डॉ. विजय नाथ मिश्रा ने बताया कि ऑक्सीजन सिलेंडर पर लगने वाले एक्सेसरीज बनारस में नहीं मिले तो इसे दिल्ली से मंगाया गया। डॉ. विजय नाथ मिश्रा ने कहा कि जिला प्रशासन से भी सहयोग मिला है। जिला प्रशासन ने सिलेंडर की रिफिलिंग कराने का आश्वसान दिया है।

ऑक्सीजन पॉइंट पर वालिंटियर कर रहे हैं मदद

उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन पॉइंट पर 'अक्षर पाठशाला' के वालिंटियर लगे हुए हैं। बीएचयू के छात्रों ने 'अक्षर पाठशाला' के नाम से एक संस्था बनाई है, जिसके तहत वे पंचगंगा घाट पर गरीब बच्चों को पढ़ाते हैं। इस संस्था के संयोजक गोविंद और उन्ही की टीम ने वालिंटियर को प्रशिक्षित किया है, जो ऑक्सीजन पॉइंट पर लोगों की मदद कर रहे हैं। ऑक्सीजन पॉइंट पर वीडियो कॉल के जरिए मरीजों को डॉक्टर परामर्श दे रहे हैं। डॉ. विजय नाथ मिश्रा के मुताबिक पहले दिन 11 मरीजों को नि:शुल्क ऑक्सीजन की सेवा दी गई।

डॉ. विजय नाथ मिश्रा ने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि मोबाइल ऑक्सीजन वैन पर सरकार को विचार करना चाहिए और इसे शहर और गांव के मुख्य जगहों पर स्थापित करना चाहिए। इससे मरीजों को आपातकालीन स्थिति में ऑक्सीजन की समस्या का समाना नहीं करना पड़ेगा।

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