क्यों उबल पड़ा लखीमपुर खीरी? एक साल पुराने किसान आंदोलन में आए ख़ूनी मोड़ के पीछे की कहानी

Arvind ShuklaArvind Shukla   4 Oct 2021 5:45 AM GMT

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क्यों उबल पड़ा लखीमपुर खीरी? एक साल पुराने किसान आंदोलन में आए ख़ूनी मोड़ के पीछे की कहानी

रात में बारिश शुरू होते ही किसान ताबूत पर तिरपाल लेकर खड़े होग गए। फोटो: मोहम्मद सलमान

निघासन (लखीमपुर खीरी)। महाराजा अग्रसेन इंटर कॉलेज के फाटक के सामने चार लाशें रखीं हुईं हैं, तीन लाशें ताबूत में और एक कफ़न में लिपटी हुई खुले में रखी हुई, कि अचानक बारिश शुरू हो जाती है, किसान तिरपाल लेकर उनके आस पास खड़े हो जाते हैं।

लाश के आसपास कुछ महिलाएं बैठी रो रहीं हैं, आसपास किसानों की भीड़ इकट्ठा हुई है। कुछ खड़े हैं तो कुछ बैठे हैं।

ये आठ घरों में मातम की रात है। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी ज़िले में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आने का विरोध कर रहे किसानों के प्रदर्शन के बाद कल केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा "टेनी" की गाड़ी के नीचे कुचल गए चार किसानों की घटनास्थल पर या अस्पताल में मौत हो गयी। इसके बाद उग्र भीड़ के सदस्यों ने गाड़ी में मौजूद तीन भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों और ड्राइवर को सड़क के किनारे लाठियों से पीट पीट कर मार डाला।

लखीमपुर हिंसा से कई घरों में मातम छा गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा लाए गए कृषि क़ानूनों के बाद पिछले वर्ष नवम्बर से दिल्ली और उसके आसपास के इलाक़ों में किसानों का विरोध लगातार जारी है। सरकार का कहना है कि कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था में ये बदलाव ज़रूरी हैं और इन क़ानूनों से खेती में सुधार और नई तकनीक आएगी लेकिन किसान नेताओं का कहना है कि इनके कारण किसानों की पहले से ही कम आमदनी ख़तरे में आ आएगी और कंपनियों का शिकंजा कस जाएगा।

लखीमपुर खीरी में आज मातम मना रहे किसानों में से एक हैं सर पर काली पगड़ी बांधे हुए होशियार सिंह (50 वर्ष), जिनका घर विधायक अजय कुमार मिश्रा के गांव के पास ही है।

उनके चेहरे पर गुस्से और दुःख का मिला जुला भाव है, होशियार सिंह कहते हैं, "भारत में 70 फीसदी किसान हैं और कोई किसानों को ये कहता है कि 'हम तुमको देख लेंगे', ऐसे में हम किसान कैसे रुकेंगे, किसान चुप रहेंगे? तो किसान चुप नहीं रहेंगे। विधायक का 10 दिन पहले का बयान है, जिसमें इन्होंने कहा था कि हम इन्हें (किसानों) लखीमपुर से भगा देंगे, पलिया से भगा देंगे।"

"इसीलिए हम यहां आए थे, हज़ारों किसानों ने इसे घेर रखा था। डिप्टी सीएम समझदार हैं, उन्हें यहां नहीं आना चाहिए था। हम कई दिनों से उनके आने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। क्योंकि जिस देश में 70 फीसदी किसानों की आबादी होगी वहां कोई कैसे कह देगा कि वो हमें भगा देगा, इसीलिए हम यहां आए थे," होशियार सिंह ने कहा।

होशियार सिंह आगे कहते हैं, "हम प्रदर्शन कर रहे थे कि उसी बीच अजय मिश्रा का लड़का आया, उन गाड़ियों में कई लोग बाहर भी लटके हुए थे, गाड़ी इतनी स्पीड में थी कि किसी को वीडियो बनाने का मौका नहीं मिला। आगे यहां से 500 मीटर दूर गाड़ियों की टक्कर भी हो गई और लोगों पर गाड़ी चढ़ा दी, जिससे कई लोगों की मौत हो गई। उन्हें भागते हुए 18 साल के लड़के ने उन्हें भागते हुए पकड़ लिया था, जिससे पिस्टल से मार दिया, जिससे उसकी भी मौत हो गई।" गाँव कनेक्शन स्वतंत्र रूप से इन आरोपों की पुष्टि नहीं कर सकता है। मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने पत्रकारों से दावा किया है कि उनका बेटा घटनास्थल पर नहीं था।

लखीमपुर खीरी में भारी मात्री में पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है, जिससे किसी भी पार्टी का नेता यहां तक न पहुंच पाए।

किसान नेता राकेश टिकैत कुछ ही घंटों में अपने साथियों के साथ लखीमपुर पहुँच गए। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता टिकैत समेत दस किसानों ने बैठक की जिसमें लखीमपुर के जिलाधिकारी और एसपी भी शामिल हुए। बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में फैसला लिया गया है एफआईआर की कॉपी मांगी है उसी के बाद ही आगे बात की जाएगी।

"हमारी मांग है कि मंत्री को बर्खास्त किया जाए, मंत्री के बेटे को गिरफ्तार किया जाए और मंत्री को मुख्य साजिशकर्ता मानते हुए 120बी के तहत कार्यवाही की जाए और मृतक किसानों के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा और सरकारी नौकरी दी जाए और न्याय दिया जाए। तब तक तो शवों का अंतिम संस्कार किया जाएगा और न ही पोस्टमार्टम होगा," उन्होंने कहा। राकेश टिकैत सहित कई किसान नेता धरने पर बैठ गए हैं। हिंसा में मारे गए भाजपा करकर्ताओं और ड्राइवर की मौतों को उन्हों "आत्मरक्षा" बताया। "बाकी लोग जो मारे गए हैं वो आत्मरक्षा में मारे गए हैं, क्योंकि हमलावर यहां आ गए थे, बाकी लोगों की मौत का भी हमें दुख है।"

वायरल हुए एक विडियो में खून से सने एक व्यक्ति को दिखाया गया है जिसे डंडे लिए युवकों ने घेर रखा है। यह व्यक्ति मंत्री का ड्राइवर माना जा रहा है, जिसकी पीट पीट कर हत्या कर दी गयी। वाइरल हुए कई अन्य वीडियो में कई व्यक्ति लाठियों से घास पर पड़े एक व्यक्ति को पीटते देखे गए, और पास में एक और व्यक्ति का मृतप्राय शरीर दिख रहा है। एक अन्य विडियो में एक व्यक्ति के सीधे सर पर एक और युवक लाठी से बार बार प्रहार कर रहा है।

"पूरे कार्यक्रम के दौरान, ग्यारह बजे से कार्यक्रम समाप्त होने तक, मेरा बेटा वहीं पर उपस्थित था। मैं दूसरी जगह पर गया था, मेरा वहाँ होने का कोई मक़सद नहीं था ना कोई औचित्य था, और जिस तरह से उन्होंने घटनाएँ की हैं, तो अगर मेरा बेटा भी वहाँ पर होता तो उसकी ये पीट पीट कर हत्या कर देते," मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने एएनआई द्वारा ट्वीट किए गए एक वीडियो में कहा।


कांग्रेस पार्टी नेता प्रियंका गांधी गाड़ी से लखीमपुर की ओर रवाना हुईं और उन्हें जब बीच रास्ते में रोका गया तो वे पैदल ही सड़क पर चल दीं। सोशल मीडिया पर कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो से ये स्पष्ट नहीं था कि वे कितनी दूर पैदल चलीं। एक और वीडियो में दिखाया गया कि उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया है। उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से इस पर कोई बयान अभी उपलब्ध नहीं है।

"या तो आप एक अरेस्ट का वॉरंट निकालिए, हथकड़ी लगाओ, चलो -- मुझे बिलकुल मंज़ूर है। लेकिन बग़ैर किसी वॉरंट के, बग़ैर किसी ऑर्डर के, यहाँ पे भीड़ नहीं है, हम दो लोग हैं, बताओ किस आधार पर मुझे रोक रहे हो?" प्रियंका गांधी को एक वाइरल वीडियो में पुलिस अधिकारियों से कहते देखा गया।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट करके कहा: "जनपद लखीमपुर खीरी में घटित हुई घटना अत्यंत दुःखद एवं दुर्भाग्यपूर्ण है। उत्तर प्रदेश सरकार इस घटना के कारणों की तह में जाएगी तथा घटना में शामिल तत्वों को बेनकाब करेगी व दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करेगी।"

निघासन में होशियार सिंह आगे कहते हैं, "हमने टेनी (अजय कुमार मिश्रा) को ही वोट दिया था, क्योंकि हमारी इनसे कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है। इनके पिता के नाम पर हर साल 2 अक्टूबर को दंगल होता है, हर साल हम दंगल देखने जाते हैं, क्योंकि हमारी इनसे कोई जाति दुश्मनी नहीं है, हमारी लड़ाई तो केंद्र सरकार और कृषि कानूनों को लेकर है। लेकिन टेनी ने किसानों को ललकारा इसलिए हम विरोध कर रहे थे, हर बार दंगल में कोई न कोई नेता या मंत्री आता है, इस बार केशव प्रसाद मौर्या आया आ रहे हैं, जिनके विरोध में हम प्रदर्शन कर रहे थे।"

लखीमपुर में किसानों की मौत के विरोध में लखीमपुर ही नहीं, शाहजहांपुर, पीलीभीत, सीतापुर जैसे जिलों के साथ ही उत्तराखंड के किसान भी शामिल हो गए हैं।

हिंसा में बहराइच जिले के नानपारा के मकरोनिया गांव के 20 साल के गुरविंदर सिंह की भी मौत हो गई, उनका परिवार कई साल पहले लखीमपुर से बहराइच में बस गया था, वो भी प्रदर्शन में शामिल होने आए थे, लेकिन कहां पता था ये उनका आखिरी दिन होगा।

गुरविंदर सिंह के ताबूत के पास बैठे मस्कीम सिंह कहते हैं, "ये हमारा भतीजा है, जिसकी उम्र 20 साल है, ये बहराइच में रहता है, हम लोग यहीं रहते हैं आज ही यह प्रदर्शन में शामिल होने आया था। उसको गाड़ी से टक्कर मारी गई उसका सर फट गया, वो तो भाइयों की लड़ाई में शामिल होने आया था।" इतना कहकर वो चुप हो गए आगे और धीरे से कहा, "अभी कुछ बात करने का सही समय नहीं है।"

लाशों के इर्दगिर्द बैठे किसानों की भीड़ में शामिल जगदीप सिंह परधान की कुल्हा टूटा हुआ है, वो शाहजहांपुर के पुवायां के पोखरापुर से आये हैं, उनकी आवाज में रोष भी और गुस्सा भी, तेज आवाज में कहते हैं, "मेरे आने का कारण ये है क्योंकि इंसानियत का कत्ल हो रहा है, इस बीजेपी सरकार के गुंडों ने इंसानियत का कत्ल किया है। इसी वजह से हम यहां आए हैं।"

पास के गांव से आए अखिलेश वर्मा (35 वर्ष) हिंसा के समय घटना स्थल पर ही मौजूद थे, वो कहते हैं, "यहां पर हज़ार के करीब किसान इकट्ठा हुए थे, जिन्होंने हेलिपैड पर कब्जा रखा था वहां ट्रैक्टर भी खड़ा कर दिया था, इसलिए दूसरे रास्ते से डिप्टी सीएम को लाया गया। किसानों के प्रदर्शन की वजह से दंगल भी नहीं हो पाया। जब दंगल नहीं हो पाया तो टेनी मिश्रा के परिवार में लोगों को लगा कि इससे उनकी बेइज्जती हो गई इसलिए कई लोग किसानों को धमकाने के लिए आये।"

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