लखीमपुर केस: नेपाल नहीं भागा था, अपने ही घर पर था आशीष मिश्रा

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ ​​'मोनू भैया' उत्तर प्रदेश पुलिस के पहले समन में शामिल नहीं हुए हैं। खबर थी कि वो नेपाल भाग गए हैं लेकिन उनके परिजनों ने इस बात का खंडन किया था।

Shivani GuptaShivani Gupta   8 Oct 2021 12:26 PM GMT

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लखीमपुर केस: नेपाल नहीं भागा था, अपने ही घर पर था आशीष मिश्रा

आरोपी आशीष मिश्रा। फोटो: सोशल मीडिया

लखनऊ ( उत्तर प्रदेश)। लखीमपुर खीरी हत्याकांड के मुख्य आरोपियों में से आशीष मिश्रा उर्फ ​​'मोनू भैया' के नेपाल भागने की खबरों को उनके पिता और परिजनों ने खंडन किया है। मोनू के पिता और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी ने लखनऊ में मीडिया से कहा कि मोनू घर पर ही है, वो और उनका बेटा जांच में पूरा सहयोग करेंगे। उन्होंने ये भी कहा था कि शनिवार को उनका बेटा सबूतों के साथ पुलिस के सामने पेश होकर अपना पक्ष रखेगा।

लखीमपुर खीरी हिंसा में चार किसानों, दो भाजपा कार्यकर्ताओं, उनके ड्राइवर और एक पत्रकार रमन कश्यप की मौत हो गई थी। इस मामले में पूछताछ के लिए आशीष को 8 अक्टूबर को, सुबह 10 बजे खीरी जिले में अपराध शाखा, रिजर्व पुलिस लाइन में आने के लिए कहा गया था।

इससे पहले गांव कनेक्शन ने इस संबंध में कुछ राजनीतिक सूत्रों से बात की। उनके अनुसार आशीष मिश्रा भागकर पड़ोसी देश नेपाल चले गए हैं। उत्तर प्रदेश में लखीमपुर खीरी भारत और नेपाल का सीमावर्ती जिला है।

एक विपक्षी दल के सूत्र ने बताया कि उत्तर प्रदेश (यूपी) सरकार ने जिस दिन उसके नाम का समन जारी किया था, उससे एक दिन पहले यानी 6 अक्टूबर को आरोपी नेपाल भाग गया था।

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कल यूपी सरकार से 8 अक्टूबर को एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था। इसमें लखीमपुर खीरी कांड से जुड़ी प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) में जिन आरोपियों का नाम दर्ज किया गया है, उनकी पूरी जानकारी देना शामिल है। और अगर उन्हें गिरफ्तार किया गया है, तो इनका विवरण देने के लिए भी कहा गया। शीर्ष अदालत ने लखमीपुर खीरी हत्याकांड के सिलसिले में उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। वह यूपी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं हैं।

जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं से आशीष मिश्रा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि नेपाल भाग जाने की कोई सूचना उनके पास नहीं है।

लखीमपुर खीरी हत्याकांड में भाजपा कार्यकर्ता आरोपी

केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा के खिलाफ हत्या और साजिश का आरोप लगाते हुए 4 अक्टूबर को उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई थी।

प्राथमिक रिपोर्ट में कहा गया है कि वह एसयूवी में बाईं ओर बैठे हुए थे और प्रदर्शन कर रहे किसानों को कुचलते हुए गाड़ी आगे निकल गई। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी से एक वायरल वीडियो में एक एसयूवी प्रदर्शन कर रहे किसानों के ऊपर दौड़ती हुई दिखाई दे रही है। ये किसान हाथ में काले झंडे लिए सड़क पर चल रहे थे




हालांकि, केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा और उनके बेटे आशीष मिश्रा ने इन सभी आरोपों का खंडन किया है। उनके अनुसार वह मौके पर मौजूद नहीं थे और न हीं वह कार चला रहे थे। अजय मिश्रा ने कहा, "लखीमपुर खीरी कांड वाली जगह पर मेरा बेटा मौजूद नहीं था, इसके वीडियो सबूत मौजूद हैं।"

आशीष मिश्रा के साथ, 15 से 20 'अज्ञात' व्यक्तियों पर भी आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की आठ धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

कौन है आशीष मिश्रा उर्फ ​​'मोनू भैया'?

जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत से लखीमपुर खीरी के आरोपी आशीष मिश्रा के बारे में यह सवाल पूछा गया तो उन्होंने गांव कनेक्शन से कहा, "एक स्थानीय अपराधी ... एक दबंग"

राजपूत ने 2000 की एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया इलाके में एक 23 साल के युवक की हत्या के मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा का नाम दर्ज है। 2004 में अजय मिश्रा को बरी कर दिया गया था। लेकिन पीड़ित के परिवार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक अपील दायर की और मामला अभी भी विचाराधीन है।

राजपूत ने कहा, "कांग्रेस आरोपी मंत्री को बर्खास्त करने और उनके बेटे आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी की मांग करती है।"

गांव कनेक्शन इन आरोपों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं करता है।

इस बीच, गांव कनेक्शन ने विपक्षी पार्टी के सदस्यों द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर लखीमपुर खीरी के भाजपा पार्टी कार्यकर्ताओं से भी संपर्क किया। पार्टी कार्यकर्ता शरद मिश्रा ने गांव कनेक्शन को बताया, "यहां आने वाले विपक्षी नेताओं को जमीनी हकीकत का पता नहीं है। अगर आप यहां के स्थानीय लोगों से पूछें तो वे बताएंगे कि असली गुंडा कौन है।"

शरद के मुताबिक आशीष मिश्रा लखीमपुर खीरी जिले में चुनाव पूर्व प्रचार अभियान चला रहे थे। आशीष को अगले साल 2022 में होने वाले उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए निघासन से टिकट मिलने की उम्मीद थी।

इस सिलसिले में निघासन में कुछ पोस्टर भी लगाए गए, जिन पर लिखा है, 'युवाओं की पुकार, मोनू भैया अबकी बार' ।

शरद बताते हैं, "वह भाजपा के एक सक्रिय कार्यकर्ता हैं। सांसद (अजय मिश्रा) और उनके बेटे के बारे में बयानबाजी करना गलत है। आशीष मिश्रा एक अच्छे स्वभाव वाले व्यक्ति हैं।"

शरद के मुताबिक आशीष लोगों की परेशानी सुनने के लिए जनता दरबार भी लगाते थे। भाजपा पार्टी के कार्यकर्ता ने बताया, "आशीष एक सकारात्मक सोच रखने वाले व्यक्ति हैं। वह लोगों से काफी अच्छे ढंग से बातें किया करते थे। एक जन प्रतिनिधि ऐसा अपराध नहीं कर सकता क्योंकि वह जानता है इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। जनता एक गैंगस्टर को नहीं बल्कि एक जनप्रतिनिधि को वोट देती है। "

फिलहाल आशीष मिश्रा कहां हैं इसकी कोई पुष्टि नहीं की गई।

अंग्रेजी में खबर पढ़ें

अनुवाद: संघप्रिया मौर्या

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