मध्य प्रदेश में लागू हुई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, जानिए क्या है नई शिक्षा नीति

नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद छात्र अगर ग्रेजुएशन विद रिसर्च कोर्स करते हैं तो उनका पोस्ट ग्रेजुएशन एक साल में हो जाएगा। इस कोर्ट में तीन साल तक पढ़ाई होगी और एक साल का रिसर्च होगा। कुल कोर्स चार साल का होगा। इसे करने के बाद आपका पोस्ट ग्रेजुएशन एक साल में पूरा हो जाएगा।

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मध्य प्रदेश में लागू हुई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, जानिए क्या है नई शिक्षा नीति

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राज्यपाल मंगुभाई छ. पटेल और शिक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का औपचारिक रूप से शुभारंभ किया।

मध्य प्रदेश में इस सत्र से नई शिक्षा नीति लागू कर दी गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति स्नातक प्रथम वर्ष के छात्रों पर लागू होगी। नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद क्रेडिट प्रणाली से रिजल्ट आएगा।

सत्र 2021-21 में जो स्नातक में दाखिला लेंगे, उनके लिए नई के नीति के हिसाब से पाठ्यक्रम होगा। अगले चरण में पहले और दूसरे साल के छात्रों पर यह लागू होगा। प्रदेश में नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद सर्टिफिकेट एक साल, डिप्लोमा दो साल और डिग्री तीन साल में मिल जाएगी।

अभी तक 10वीं तक बच्चे सारे सब्जेक्ट पढ़ते हैं। दसवीं बोर्ड के रिजल्ट आने के बाद उन्हें स्ट्रीम चुनना होता है। कोई साइंस, कोई ऑर्ट्स तो कोई कॉमर्स लेता है। ग्रेजुएशन में भी पढ़ाई के लिए एक सब्जेक्ट चुननी पड़ती है। नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद प्रदेश में 5+3+3+4 के पैटर्न को फॉलो किया जाएगा। इसके हिसाब से स्कूल के आखिर चार साल को एक सामान माना गया है। यानी 11वीं और 12वीं के बच्चे भी अब सारे विषय पढ़ेंगे। उन्हें स्ट्रीम चुनने की जरूरत नहीं पड़ेगी। साइंस स्ट्रीम से पढ़ रहा बच्चा, इतिहास भी पढ़ सकता है। इसके साथ वैकल्पिक विषयों को भी एक विषय के रूप में ही शामिल किया जाएगा।

नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद छात्र अगर ग्रेजुएशन विद रिसर्च कोर्स करते हैं तो उनका पोस्ट ग्रेजुएशन एक साल में हो जाएगा। इस कोर्ट में तीन साल तक आपकी पढ़ाई होगी और एक साल का रिसर्च होगा। कुल कोर्स चार साल का होगा। इसे करने के बाद आपका पोस्ट ग्रेजुएशन एक साल में पूरा हो जाएगा। वहीं, कोई छात्र तीन साल में ही पढ़ाई को छोड़ देना चाहता है, उसे रिसर्च नहीं करना है। इसके बावजूद उसे ग्रेजुएशन की डिग्री मिल जाएगी।

इसके साथ ही नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद छात्रों के पास कॉलेज बदलने की सुविधा भी होगा। अगर आपने एक शहर के किसी कॉलेज में दाखिला लिया हो, आपका मन कर रहा है कि अब हम दूसरे कॉलेज में पढ़ाई करेंगे तो आप करवा सकते हैं। इसके साथ ही आपका क्रेडिट भी ट्रांसफर हो जाएगा। नई शिक्षा नीति में छात्रों के पास ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा भी होगी।

स्कूली शिक्षा में एक और अहम बदलाव के रूप में 'मातृभाषा' को शामिल किया गया है। नई शिक्षा नीति के अनुसार अब बच्चे पहली से पांचवी तक की कक्षा या संभवतः आठवीं तक की कक्षा अपनी मातृभाषा के माध्यम में ही ग्रहण करेंगे।

10+2 पर आधारित हमारी स्कूली शिक्षा प्रणाली को 5+3+3+4 के रूप में बदला गया है। इसमें पहले 5 वर्ष अर्ली स्कूलिंग के होंगे। इसे अर्ली चाइल्डहुड पॉलिसी का नाम दिया गया है, जिसके अनुसार 3 से 6 वर्ष के बच्चों को भी स्कूली शिक्षा के अंतर्गत शामिल किया जाएगा।

वर्तमान में 3 से 5 वर्ष की उम्र के बच्चे 10 + 2 वाले स्कूली शिक्षा प्रणाली में शामिल नहीं हैं और 5 या 6 वर्ष के बच्चों का प्रवेश ही प्राथमिक कक्षा यानी की कक्षा एक में प्रवेश दिया जाता है। हालांकि इन छोटे बच्चों के प्री स्कूलिंग के लिए सरकारों ने आंगनबाड़ी की पहले से व्यवस्था की थी, लेकिन इस ढांचे को और मजबूत किया जाएगा। नई शिक्षा नीति में कहा गया है कि बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (Early Childhood Care and Education -ECCE) की एक मजबूत बुनियाद को शामिल किया गया है जिससे आगे चलकर बच्चों का विकास बेहतर हो।


इस तरह शिक्षा के अधिकार (RTE) का दायरा बढ़ गया है। यह पहले 6 से 14 साल के बच्चों के लिए था, जो अब बढ़कर 3 से 18 साल के बच्चों के लिए हो गया है और उनके लिए प्राथमिक, माध्यमिक और उत्तर माध्यमिक शिक्षा अनिवार्य हो गई है।

5+3+3+4 के प्रारूप में पहला पांच साल बच्चा प्री स्कूल और कक्षा 1 और 2 में पढ़ेगा, इन्हें मिलाकर पांच साल पूरे हो जाएंगे। इसके बाद 8 साल से 11 साल की उम्र में आगे की तीन कक्षाओं कक्षा-3, 4 और 5 की पढ़ाई होगी। इसके बाद 11 से 14 साल की उम्र में कक्षा 6, 7 और 8 की पढ़ाई होगी। इसके बाद 14 से 18 साल की उम्र में छात्र 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई कर सकेंगे।

क्या है राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020

इसमें भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुसार पाठ्यक्रमों में समावेश होगा। जैसे मानवीय मूल्य, योग, महिला सशक्तिकरण और नैतिकता।

स्नातक के स्तर पर रिसर्च को प्रोत्साहित किया जाएगा।

च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम।

कला, वाणिज्य और विज्ञान के विषयों में मिश्रित चयन की स्वतंत्रता।

व्यावसायिक और योग्यता संवर्धन पाठ्यक्रमों में अध्ययन के अवसर।

इंटर्नशिप, अप्रेन्टिसशिप, फील्ड प्रोजेक्ट, कम्युनिटी एंगेजमेंट एंड सर्विसेस का फर्स्ट ईयर में समावेश।

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना/ओपेन यूनिवर्सिटी के माध्यम से व्यावसायिक एवं योग्यता संवर्धन पाठ्यक्रम में ऑनलाइन अध्ययन की सुविधा।

एक कॉलेज में कई विषयों की पढ़ाई की सुविधा।

एनसीसी, एनएसएम और शारीरिक शिक्षा को पाठ्यक्रम के रूप में अध्ययन की सुविधा।

सकल नामांकन अनुपात में वृद्धि करने का लक्ष्य।

शिक्षा की पहुंच, समानता और गुणवत्ता पर विशेष ध्यान।

विद्यार्थियों में रचनात्मक सोच, तार्किक निर्णय और नवाचार की भावना को प्रोत्साहन देना।

डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा।

एक विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय और एक कॉलेज से दूसरे कॉलेज में स्थानांतरण पर क्रेडिट ट्रांसफर की सुविधा होगी।

क्या है क्रेडिट प्रणाली

नई शिक्षा नीति में अकादमिक संरचना के अनुसार मेजर विषय पर 54 क्रेडिट, माइनर विषय पर 28 क्रेडिट, वैकल्पिक विषय पर 18 क्रेडिट, कौशल संवर्धन पाठ्यक्रम पर 12 क्रेडिट, आधार पाठ्यक्रम पर 24 क्रेडिट और फील्ड प्रोजेक्ट-इंटर्नशिप आदि पर 24 क्रेडिट मिलेंगे। कुल 160 क्रेडिट प्वाइंट होंगे।

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