पंचायत चुनाव 2021: लोगों की भीड़ क्या बढ़ा सकती है कोरोना का संक्रमण?

देश के अलग-अलग शहरों से चुनाव लड़ रहे अपने रिश्तेदारों और जानकारों को वोट देने अपने घरों को पहुंच रहे हैं लोग। कोरोना के इस पीक में यूपी के शहरों में और बढ़ सकते हैं मामले।

Divendra SinghDivendra Singh   15 April 2021 1:56 PM GMT

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पंचायत चुनाव 2021: लोगों की भीड़ क्या बढ़ा सकती है कोरोना का संक्रमण?

लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। तारीख - 14 अप्रैल .. वक्त- सुबह के 6 बजे ..जगह - चारबाग बस स्टेशन .. लोगों की भीड़ किसी तरह बस पर बैठना चाहती है। उसी भीड़ में 55 वर्षीय मोहनलाल भी शामिल हैं, जो हरियाणा में चौकीदार की नौकरी करते हैं और पंचायत चुनाव के लिए अपने गांव जा रहे हैं। मोहनलाल की तरह ही कितने लोग पंचायत चुनाव में अपने जानकार और रिश्तेदारों को वोट देने के लिए अपने-अपने घर ऐसे समय में आए हैं, जब कोरोना दोबारा बेकाबू हो रहा है। ऐसे में अनजाने में ही सही कोरोना की चेन बढ़ने का खतरा बढ़ गया है।

मोहनलाल रायबरेली जिले के डलमऊ के रहने वाले हैं। कोरोना संक्रमण में आप इस भीड़ में घर जा रहे हैं, इस सवाल पर मोहनलाल गाँव कनेक्शन को बताते हैं, "रहना गाँव में ही है इसलिए वोट तो देना ही होगा। चार दिन की छुट्टी लेकर आया हूं। पिछले साल जब कोरोना बढ़ा तब गाँव वापस आ गया था, फिर किसी तरह से नौकरी लगी थी, इसलिए वोट देकर फिर से चला जाऊंगा।"

रायबरेली जाने के लिए बस का इंतजार करते मोहनलाल। फोटो: दिवेद्र सिंह

उत्तर प्रदेश में 15 से 29 अप्रैल तक चार चरणों में मतदान होने हैं। 15 अप्रैल को पहले चरण में यूपी के सहारनपुर, गाजियाबाद, रामपुर, बरेली, हाथरस, आगरा, कानपुर नगर, झांसी, महोबा, प्रयागराज, रायबरेली, हरदोई, अयोध्या, श्रावस्ती, संतकबीर नगर, गोरखपुर, जौनपुर और भदोही जैसे 18 जिलों में मतदान हो गया है।

मोहनलाल ने बताया कि सुबह चार बजे के करीब ट्रेन ने चारबाग स्टेशन पर पहुंचा दिया था, लेकिन अब रायबरेली तक जाने के लिए बसें ही नहीं मिल रहीं हैं। मोहनलाल के जिले में भी पहले चरण का मतदान हुआ है।

वहीं मुंबई से अपने गाँव जा रहे अनिल कुमार (28 वर्ष) को भी चारबाग बस अड्डे से गोरखपुर के लिए बस पकड़नी थी, उनके साथ उनकी पत्नी मीरा और एक साल की बच्ची भी थी। पिछले कई घंटों से बस के इंतजार में बैठे अनिल बताते हैं, "जितनी भी बसें आ रहीं हैं, इतनी ज्यादा भरी हुई हैं कि कई घंटे से इंतजार कर रहा हूं। एक जानकार प्रधानी का चुनाव लड़ रहे हैं, उन्हीं को वोट देने जाना है।"

अपने परिवार के साथ गोरखपुर जाने के लिए बस का इंतजार करते अनिल कुमार। फोटो: दिवेंद्र सिंह

कोरोना संक्रमण से डर नहीं लगता, इस सवाल पर अनिल कुमार कहते हैं, "बंबई (मुंबई) में तो और ज्यादा कोरोना है, टिकट नहीं मिला तो चालू डिब्बे (जनरल टिकट) में बैठकर आए हैं, वोट देने के बाद अगर सब कुछ सही रहा तो वापस चले जाएंगे।"

2 लाख प्रतिदिन पहुंचे रोजाना का आंकड़ा

गुरुवार 15 अप्रैल को भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटों में 2,00,739 नए कोरोना मरीज मिले। इसके साथ ही देश में कुल संक्रमण मामले अब 1,40,74,564 हो गये हैं। बीते 24 घंटों में 1,038 लोगों ने कोरोना की वजह से दम तोड़ दिया।

सरकार की रिपोर्ट के अनुसार अब देश में कोरोना की वजह से मरने वालों की कुल संख्या 1,73,123 तक पहुंच गई है। पिछले छह महीने में एक दिन में जान गंवाने वालों का यह सबसे बड़ा आंकड़ा है। इससे पहले, पिछले साल 17 अक्तूबर को सबसे ज्यादा 1,032 लोगों की मौत हुई थी। वहीं एक दिन पहले बुधवार को 1.85 लाख से ज्यादा नए मरीज मिले थे और 1027 लोगों की संक्रमण से मौत हुई थी।

पंचायत चुनाव के 3 चरण हैं अभी बाकी

पंचायत चुनाव दूसरे चरण में 19 अप्रैल को मुजफ्फरनगर, बागपत, गौतमबुद्ध नगर, बिजनौर, अमरोहा, बदायूं, एटा, मैनपुरी, कन्नौज, इटावा, ललितपुर, चित्रकूट, प्रतापगढ़, लखनऊ, लखीमपुर खीरी, सुल्तानपुर, गोंडा, महाराजगंज, वाराणसी और आजमगढ़।

तीसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को शामली, मेरठ, मुरादाबाद, पीलीभीत, कासगंज, फिरोजाबाद, औरैया, कानपुर देहात, जालौन, हमीरपुर, फतेहपुर, उन्नाव, अमेठी, बाराबंकी, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, देवरिया, चंदौली, मिर्जापुर और बलिया में होगा।

चारबाग बस अड्डे पर लोगों की भीड़।

चौथे चरण का चुनाव 29 अप्रैल को बुलंदशहर, हापुड़, संभल, शाहजहांपुर, अलीगढ़, मथुरा, फर्रुखाबाद, बांदा, कौशांबी, सीतापुर, अंबेडकरनगर, बहराइच, बस्ती, कुशीनगर, गाजीपुर, सोनभद्र और मऊ जिले में मतदान होगा।

प्रतापगढ़ में 19 अप्रैल को दूसरे चरण का चुनाव होना है, यहां के जिलाधिकारी डॉ. नितिन बंसल ने गाँव कनेक्शन को बताया, "15 अप्रौल को मुख्यमंत्री का आदेश आया है कि जितने भी प्रवासी आएंगे उनकी जांच की जाएगी, जिनमें लक्षण दिखेगा उन्हें क्वारंटाइन सेंटर पर रखा जाएगा। इस बार चुनाव का समय भी बढ़ा दिया गया, इस बार सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान होगा, जिससे भीड़ कम हो। लोगों को जागरूक जिया जा रहा कि वे मास्क लगायें। इसके अलावा जिनमें लक्षण होंगे उन्हें आखिर में वोट देने को कहा गया है।"

संक्रमित कैसे दे सकते हैं वोट

कोरोना वायरस संक्रमण के कारण होम क्वारंटीन या फिर अस्पताल में भर्ती लोग भी मतदान कर सकते हैं, बशर्ते कोरोना संक्रमित व्यक्ति के परिजनों ने वोटिंग से एक दिन पहले जिले के रिटर्निंग ऑफिसर को लिखित में जानकारी दी हो। राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश के अनुसार हर जगह पर मतदान से पहले संक्रमित वोटर को पीपीई किट पहनाकर वोट डलवाया जाएगा। इस दौरान सेक्टर मजिस्ट्रेट को भी पीपीई किट पहनना अनिवार्य होगा। संक्रमित के वोट डालने के बाद उस पूरे कमरे को सैनिटाइज किया जाएगा।

लखनऊ की मोहनलालगंज लोकसभा सीट से भाजपा सांसद कौशल किशोर ने भी कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पंचायत चुनाव की तारीख आगे बढ़ाने की अपील की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है, "भारत निर्वाचन आयोग एवं राज्य निर्वाचन आयोग उत्तर प्रदेश से मेरी अपील है कि लखनऊ में कोरोना बड़ी तेजी से फैल रहा है। लखनऊ में पंचायत के चुनाव भी हो रहे हैं। लोगों को प्रचार प्रसार के लिए जाना पड़ता है, मिलना पड़ता है। इसी से कोरोना के फैलने का सबसे ज्यादा खतरा है। लोगों की जान खतरे में है। लगभग सभी लोगों को आइसोलेट होना जरूरी है। कोरोना के कहर से बचने के लिए लखनऊ में होने वाले पंचायत चुनाव के मतदान की तिथि कम से कम एक महीना बढ़ाना जरूरी है। लोगों की जान बचाना जरूरी है, चुनाव तत्काल जरूरी नहीं है।"

साल 2020 में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए प्रवासी मजदूरों के लिए क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए थे, लेकिन इस बार जब संक्रमण ज्यादा बढ़ रहा है तो लोग सीधे घरों में जा रहे हैं। हालांकि के यूपी के सीएम कार्यालय के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है कि कोविड-19 के प्रसार के दृष्टिगत विभिन्न राज्यों से प्रवासी श्रमिकों की वापसी संभावित है। सभी जनपदों में कोविड प्रोटोकॉल के अनुरूप क्वारंटाइन सेंटर संचालित किए जाएं। इन सेंटरों में चिकित्सा सुविधाओं के साथ भोजन/शयन आदि की उचित व्यवस्था की जाए।

तीसरी सरकार अभियान के संचालक डॉ. चंद्रशेखर प्राण पंचायत चुनाव में लोगों की भागीदारी को समझाते हुए कहते हैं, "पंचायत के चुनाव में लोग सबसे ज्यादा बाहर से आते हैं, क्योंकि ये व्यक्तिगत संबंध पर होता है। यहां दो-चार वोट का भी महत्व होता है। हर बार की तरह इस बार भी लोग बाहर से गाँव आ रहे हैं। इसका परिणाम अच्छा नहीं होगा। प्रधान के चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण ये होता है कि खड़ा कौन है। गाँव में गुट होते हैं, ये गुट जाति के, पुरवे के, खानदान के होते हैं। इन गुटों के कारण जो रिश्ता है, जिसे सामुदायिकता कहते हैं, वो सामुदायिक संबंध बहुत गहरे होते हैं। ये चुनाव प्रतिष्ठा का भी विषय बन जाता है।"

"दूसरा ये कि जो प्रधान उम्मीदवार है वो लोगों के हाथ-पाव भी जोड़ता है और आने वाले का टिकट भी उपलब्ध कराता है। अभी उदाहरण के लिए बताएं तो मेरे गाँव के बहुत सारे लोग कानपुर में रहते हैं, अब जिस दिन चुनाव हो रहा है, उस दिन पता चल रहा है किसी उम्मीदवार ने पांच-छह गाड़ियां उन्हें गाँव लाने के लिए बुक की है। जब मैंने पूछा तो उन्होंने कहा कि यही तो एक खर्चा हो रहा है और कोई खर्च तो है नहीं। हमारे जो वोट बाहर पड़े हैं उनको गाड़ी से लाया जाएगा और फिर वापस पहुंचाया जाएगा, "डॉ प्राण ने आगे कहा।

हरदोई जिले में पहले चरण के मतदान में न सोशल डिस्टेंंसिंग दिखी न ही मास्क। फोटो: गाँव कनेक्शन

महाराष्ट्र के मुंबई के बोरीवली में कोचिंग क्लासेस चलाने वाले हिमांशु त्रिपाठी आठ अप्रैल को ही अपने गाँव वोट देने के लिए आ गए हैं। हिमांशु प्रयागराज के मऊआइमा के रहने वाले हैं, जहां पहले चरण का चुनाव हो गया है। हिमांशु बताते हैं, "चाचा बीडीसी का चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए मैं पत्नी और बेटे के साथ आठ अप्रैल को ही आ गया था। परिवार की बात है, इसलिए इस समय में भी आना पड़ा। हमने सोचा था कि चुनाव के बाद मुंबई वापस चले जाएंगे, लेकिन अब मुंबई में लॉकडाउन लग गया तो अब यहीं पर ही कुछ दिन रहेंगे।"

शहरों से गाँव आ रहे लोगों से कोरोना संक्रमण का कितना खतरा है, इस बारे में स्वास्थ्य अधिकार कार्यकर्ता, रवि दुग्गल कहते हैं, "जिस तरह से कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है, ऐसे में कुंभ, पंचायत चुनाव की वजह से और बढ़ सकता है। अगर कोई व्यक्ति संक्रमित होता है तो वो आगे तीन और व्यक्तियों को संक्रमित करेगा, इस तरह से संक्रमण की चैन बनती जाती है। भीड़ ऐसी बीमारियों के संक्रमण को बढ़ावा देती हैं, अब जब लोग बाहर से आएंगे, उनमें से कुछ को संक्रमण होगा ही, उससे दूसरे भी संक्रमित हो सकते हैं।"

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