उत्तराखंड की 6 प्रदूषित नदियों का एक बार फिर होगा पुनरुद्धार

परियोजना के तहत उत्तराखंड की प्रदूषित हो चुकी भेला, ढेला, किच्छा, कोसी, नंधौर, पिलाखर और काशीपुर नदियों को फिर से जीवंत किया जाएगा।

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उत्तराखंड की 6 प्रदूषित नदियों का एक बार फिर होगा पुनरुद्धार

उत्तराखंड के रामनगर में एक छोटी नदी। फोटो: दिवेंद्र सिंह

उत्तराखंड में छोटी-छोटी नदियां मिलकर बड़ी नदियों को बनाती हैं, अगर छोटी नदी ही प्रदूषित रहेगी तो बड़ी नदियां भी प्रदूषित होंगी। ऐसे में उत्तराखंड की 6 प्रदूषित नदियों के पुनरुद्धार के लिए नई परियोजनाओं की मंजूरी मिल गई है।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने 16 जुलाई को एनएमसीजी की 36वीं कार्यकारी समिति की बैठक की अध्यक्षता की और उत्तराखंड की 6 प्रदूषित नदियों के पुनरूद्धार के लिए नई परियोजनाओं को मंजूरी दी।

इन नदियों के प्रदूषित हिस्सों के लिए उत्तराखंड राज्य मिशन के प्रस्तावों की एनएमसीजी द्वारा समीक्षा की गई और इन्हें अंतिम रूप दिया गया और इन योजनाओं पर विचार के लिए आज चुनाव आयोग के पास भी प्रस्ताव को भेजा गया। स्वीकृत की गई परियोजनाओं के तहत "इंटरसेप्शन एंड डायवर्जन (आई एंड डी) और 6 एसटीपी का कार्य शामिल है।

प्रदूषित हो चुकी भेला, ढेला, किच्छा, कोसी, नंधौर, पिलाखर और काशीपुर नदियों को फिर से जीवंत किया जाएगा। सीवेज (आई एंड डी) योजना (ढेला नदी) चरण -1 के तहत उत्तराखंड के जिला उधम सिंह नगर में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 199.36 करोड़ रुपये की लागत वाले कुल 17 नालों में बहने वाली पानी को रोककर 6 एसटीपी की ओर परिवर्तित किया जाएगा। इन एसटीपी की कुल 30.30 एमएलडी की ट्रीटमेंट क्षमता है।

परियोजना कुमाऊं क्षेत्र में 6 प्रदूषित नदियों को कवर करेगी। शेष 3 प्रदूषित हिस्सों में से गंगा परियोजना के तहत हरिद्वार के जगजीतपुर स्थित हिस्सों को पहले से ही चालू कर दिया गया है और शेष दो हिस्सों पर नमामि गंगे परियोजना के तहत कार्य पहले से ही चल रहा हैं। इन परियोजनाओं के शामिल होने के साथ, उत्तराखंड राज्य की नदियों के सभी प्रदूषित हिस्सों को प्रदूषण उन्मूलन परियोजनाओं के तहत कवर कर लिया गया है। परियोजना का एक और महत्वपूर्ण और प्रगतिशील हिस्सा व्यापक रूप से कीचड़ प्रबंधन व्यवस्था और इन सभी एसटीपी में सेप्टेज का सह-ट्रीटमेंट है।

देश में नदियों के प्रदूषित हिस्सों की पहचान करने वाली सीपीसीबी की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड राज्य में कुल 9 प्रदूषित हिस्से थे और उनमें से 6 हिस्से जिला उधम सिंह नगर में विभिन्न सहायक नदियों या भेला, ढेला, किच्छा जैसी छोटी नदियों पर थे। नंधौर, पिलंखा और कोसी और 02 (दो) हिस्से रिस्पना-बिंदल और सुसवा पर थे। जिन्हें आई एंड डी रिस्पना-बिंदल परियोजना में शामिल किया जा रहा है जो नमामि गंगे कार्यक्रम हिस्सा हैं। जबकि 01 (एक) हिस्सा,डाउनस्ट्रीम जगजीतपुर मुख्य नदी गंगा पर था जो पहले से ही जगजीतपुर एसटीपी परियोजना का हिस्सा है।

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