समग्र शिक्षा योजना का विस्तार : पढ़िए क्या है योजना और किसे मिलेगा इसका लाभ

समग्र शिक्षा योजना के तहत सभी बालिका छात्रावासों में इन्सिनेरेटर और सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने वाली वेंडिंग मशीनें लगायी जाएंगी, साथ ही इस योजना से से पूर्व -प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक तक के स्कूलों के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाएगा, अब से पहले तक पूर्व-प्राथमिक को इससे बाहर रखा गया था।

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समग्र शिक्षा योजना का विस्तार : पढ़िए क्या है योजना और किसे मिलेगा इसका लाभ

समग्र शिक्षा योजना स्कूली शिक्षा के लिए एक एकीकृत योजना है, जिसमें पूर्व-विद्यालय से लेकर बारहवीं कक्षा तक के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। (Photo: Wikipedia Commons)

समग्र शिक्षा योजना को पांच साल के लिए और बढ़ा दिया गया है, 1 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2026 तक यह योजना जारी रहेगी। इस योजना में 11 लाख 60 हजार विद्यालय, 15 करोड़ 60 लाख से अधिक छात्र और सरकार व सरकार से सहायता प्राप्त विद्यालयों के 57 लाख शिक्षक (पूर्व-प्राथमिक से वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक) शामिल हैं।

क्या है समग्र शिक्षा योजना

समग्र शिक्षा योजना स्कूली शिक्षा के लिए एक एकीकृत योजना है, जिसमें पूर्व-विद्यालय से लेकर बारहवीं कक्षा तक के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। यह योजना स्कूली शिक्षा को एक निरंतरता मानती है और यह शिक्षा के लिए सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी -4) के अनुसार है।

यह योजना न केवल शिक्षा के अधिकार (आरटीई)अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए सहायता प्रदान करती है, बल्कि इसको यह सुनिश्चित करने के लिए भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सिफारिशों के साथ जोड़ा गया है कि सभी बच्चों की एक समान और समावेशी कक्षा के माहौल के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच हो और जिसमें उनकी विविध पृष्ठभूमि, बहुभाषी आवश्यकताओं, विभिन्न शैक्षणिक योग्यताओं का भी ध्यान रखा गया हो और जो उन्हें सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार भी बनाएं।

किसे मिलेगा इसका लाभ, क्या हुए हैं बदलाव

इस योजना में केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों/विकास एजेंसियों के साथ तालमेल की एक प्रभावी व्यवस्था होगी। व्यावसायिक शिक्षा का विस्तार कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय और कौशल के लिए वित्तपोषण प्रदान करने वाले अन्य मंत्रालयों के साथ मिलकर किया जाएगा। न केवल स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए बल्कि स्कूल से बाहर रह गए बच्चों के लिए भी सुविधाओं का सर्वोत्कृष्ट उपयोग सुनिश्चित करने के लिए स्कूलों और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) और पॉलिटेक्निकों के मौजूदा बुनियादी ढांचे का उपयोग किया जाएगा।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने के लिए कुशल प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण और 'प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल व शिक्षा' (ईसीसीई) शिक्षकों के लिए सेवाकालीन शिक्षक प्रशिक्षण का प्रावधान।

सरकारी स्कूलों में पूर्व-प्राथमिक वर्गों के लिए शिक्षण अधिगम सामग्री (टीएलएम), स्वदेशी खिलौने और खेल, खेल आधारित गतिविधियों के लिए प्रति बालक/बालिका 500 रुपये तक का प्रावधान।

निपुण भारत, मौलिक साक्षरता और संख्या ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन है और टीएलएम के प्रावधान के साथ योजना के तहत यह सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया है कि प्रत्येक बच्चा कक्षा ग्रेड III और ग्रेड V के बीच पढ़ने, लिखने और अंकगणित में वांछित सीखने की क्षमता प्राप्त कर लेता है। इसके अंतर्गत 500 रुपये प्रति बच्चा प्रति वर्ष, 150 रुपये प्रति शिक्षक, शिक्षक नियमावली और संसाधनों के लिए, 10-20 लाख रुपये प्रति जिला मूल्यांकन के लिए निर्धारित किया गया है।

पूर्व –प्राथमिक (प्री-प्राइमरी) से उच्चतर माध्यमिक (सीनियर सेकेंडरी) तक के स्कूलों के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, अब से पहले तक पूर्व – प्राथमिक (प्री-प्राइमरी) को इससे बाहर रखा गया था।

सभी बालिका छात्रावासों में भस्मक (इनसिनेरेटर) और सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने वाली वेंडिंग मशीनें।

सभी वर्तमान वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में स्ट्रीम के बजाय नए विषयों को जोड़ना।

परिवहन सुविधा को 6,000 रुपये प्रति वर्ष की दर से माध्यमिक स्तर तक बढ़ा दिया गया है।

स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर के 16 से 19 वर्ष की आयु बच्चों को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान (एनआईओएस)/ राज्य मुक्त विद्यालय (एसओएस) के माध्यम से उनके माध्यमिक/उच्चतर माध्यमिक स्तर की शिक्षा को पूरा कराने के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, दिव्यांग बच्चों को प्रति कक्षा 2,000 रुपये तक की सहायता प्रदान की जाएगी।

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को राज्य में बाल अधिकारों और सुरक्षा के संरक्षण के लिए 50 रुपये प्रति प्राथमिक विद्यालय के लिए वित्तीय सहायता।

यदि किसी स्कूल के कम से कम 2 छात्र राष्ट्रीय स्तर पर खेलो इंडिया स्कूल खेलों में पदक जीतते हैं तो उस स्कूल को 25,000 हजार रूपये तक का अतिरिक्त खेल अनुदान।

बस्ता रहित (बैगलेस) दिनों, स्कूल परिसरों में स्थानीय हस्त शिल्पियों के साथ उनके हुनर को सीखना (इंटर्नशिप), पाठ्यक्रम और शैक्षणिक सुधार आदि के प्रावधान शामिल हैं।

योजना में भाषा शिक्षक की नियुक्ति का एक नया घटक जोड़ा गया है- शिक्षकों को वेतन सहायता के अलावा शिक्षकों के प्रशिक्षण के घटक और द्विभाषी पुस्तकें और शिक्षण सामग्री जोड़ी गई है।

सभी कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) को बारहवीं कक्षा तक उन्नत करने का प्रावधान।

कक्षा IX से XII (कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) टाइप IV) के लिए मौजूदा अलग-थलग पड़े बालिका छात्रावासों (गर्ल्स हॉस्टल) के लिए वित्तीय सहायता को 40 लाख रुपये प्रति वर्ष किया गया (पहले यह राशि 25 लाख रुपये प्रति वर्ष थी) ।

'रानी लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा संरक्षण' के तहत आत्मरक्षा कौशल विकसित करने के लिए 3 महीने का प्रशिक्षण और इसके लिए राशि 3,000 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये प्रति माह की गई।

विशेष देखभाल की जरुरत वाली (सीडब्ल्यूएसएन) लड़कियों के लिए पूर्व-प्राथमिक से वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक छात्र घटक के अलावा 10 महीने के लिए 200 रुपये प्रति माह की दर से अलग से छात्रवृत्ति का प्रावधान।

सरकारी स्कूलों के अलावा सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों को भी व्यावसायिक शिक्षा के तहत सहायता और नामांकन और मांग से जुड़ी नौकरी की भूमिकाओं/अनुभागों की अनुदान/संख्या।

पड़ोस के अन्य स्कूलों के लिए हब के रूप में कार्यरत स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा के लिए कक्षा सह कार्यशाला का प्रावधान। स्पोक के रूप में कार्यरत विद्यालयों के लिए परिवहन एवं मूल्यांकन लागत का प्रावधान किया गया है।

डिजिटल बोर्ड, स्मार्ट कक्षाओं (क्लासरूम) आभासी कक्षाओं (वर्चुअल क्लासरूम) और डीटीएच चैनलों के प्रसारण के लिए सहायता सहित सूचना संवाद और प्रशिक्षण (आईसीटी) प्रयोगशाला, स्मार्ट क्लासरूम का प्रावधान भी किया गया है।

कैसे करेगी योजना काम

इस योजना को राज्य स्तर पर एक एकल राज्य कार्यान्वयन समिति (एसआईएस) के माध्यम से केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया गया है। राष्ट्रीय स्तर पर, शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली एक शासी परिषद/संस्था और सचिव, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की अध्यक्षता वाला परियोजना अनुमोदन बोर्ड (पीएबी) है।

शासी परिषद/संस्था को योजना के समग्र रूपरेखा के भीतर वित्तीय और कार्यक्रम संबंधी मानदंडों को संशोधित करने व कार्यान्वयन के लिए विस्तृत दिशानिर्देशों को स्वीकृति देने में सक्षम बनाया जाएगा। इन संशोधनों में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए नवाचारों और हस्तक्षेपों को शामिल किया जाएगा।

योजना की पहुंच बढ़ाने के क्रम में, बच्चों पर केंद्रित सभी पहलों का लाभ एक निश्चित समयसीमा के भीतर आईटी आधारित प्लेटफॉर्म पर डीबीटी के माध्यम से सीधे विद्यार्थियों को उपलब्ध कराया जाएगा।

इस योजना में गुणवत्तापूर्ण, समावेशी और समान शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए शिक्षकों, टीचर एजुकेटर्स, विद्यार्थियों, अभिभावकों, समुदाय, स्कूल प्रबंधन समितियों, एससीईआरडी, डाइट, बाइट, ब्लॉक रिसोर्स पर्सन, क्लस्टर रिसोर्स पर्सन, स्वयंसेवकों जैसे स्कूलपरिवेश से जुड़े सभी हितधारकों को जोड़कर 11 लाख 60 हजार स्कूलों,15 करोड़ 60 लाख विद्यार्थियों और सरकारी व सहायता प्राप्त स्कूलों (प्री-प्राइमरी से उत्तर माध्यमिक स्तर तक) के 57 लाख शिक्षकों को शामिल किया गया है।

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