उत्तराखंड में बच्चों में भी बढ़ा कोरोना का संक्रमण, तीसरी लहर की आशंका के बीच कितना तैयार है राज्य?

महामारी के एक साल (मार्च 2020 से मार्च 2021) की तुलना में इस साल 1 अप्रैल से 19 मई के बीच राज्य में 0-9 और 10-19 साल के बच्चों में कोरोना के मामलों में क्रमशः 155 और 170 फीसदी की हुई बढ़ोतरी।

Deepak RawatDeepak Rawat   21 May 2021 9:13 AM GMT

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उत्तराखंड में बच्चों में भी बढ़ा कोरोना का संक्रमण,   तीसरी लहर की आशंका के बीच कितना तैयार है राज्य?

उत्तराखंड में बच्चों में कोरोना के लक्षण मिलने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप है। फोटो अरेंजमेंट

देहरादून (उत्तराखंड)। कोरोना महामारी की दूसरी लहर चल रही है और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इसकी तीसरी लहर आने की आशंका जाहिर करते हुए इससे बच्चों को खतरे की बात कही है। लेकिन दूसरी लहर में ही उत्तराखंड में कोरोना से संक्रमित होने वाले 9 साल तक के बच्चों की संख्या में तेज वृद्धि दर्ज की गई है। अचानक हुई यह बढ़ोतरी राज्य के चिकित्सा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के आधिकारिक आंकड़ों में दिख रही है, जिसका विश्लेषण गांव कनेक्शन ने किया था।

मार्च 2020 से मार्च 2021 की तुलना में इस साल 1 अप्रैल से 9 साल तक के बच्चों में कोरोना के मामलों में 155 प्रतिशत या कहें 1.5 गुना का उछाल आया है। मार्च 2020 और मार्च 2021 के बीच उत्तराखंड में बच्चों (0-9 वर्ष) में कोरोना के कुल मामलों की संख्या 2,131 थी। वहीं इस साल 1 अप्रैल से 19 मई तक राज्य में 3,313 नए मामले दर्ज किए गए। 49 दिनों में आए ये मामले पिछले एक साल के आंकड़ों में 155.46 प्रतिशत की बढ़ोतरी को दिखाते हैं।

10 से 19 वर्ष के आयु वर्ग में स्थिति समान रूप से गंभीर है। पिछले एक साल (मार्च 2020 से मार्च 2021) में राज्य में 8,609 कोरोना के मामले दर्ज किए गए। इस साल दूसरी लहर में यह आंकड़ा 19 मई तक बढ़कर 23,286 हो गया। ऐसे में मार्च 2020 से मार्च 2021 तक आए केस की तुलना में पिछले डेढ़ महीने में 170 प्रतिशत या 1.7 गुना की बढ़ोतरी हुई।

"यह सच है कि बच्चों में कोरोना संक्रमणों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन इनमें से अधिकांश बच्चों में बुखार, पेट में दर्द, भूख न लगना और कमजोरी जैसे हल्के लक्षण दिखाई देते हैं," बाल रोग विशेषज्ञ और उत्तराखंड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष डी. एस. रावत ने गांव कनेक्शन को बताया।

मार्च 2020 और मार्च 2021 के बीच उत्तराखंड में बच्चों (0-9 वर्ष) में कोरोना के कुल मामलों की संख्या 2,131 थी। वहीं इस साल 1 अप्रैल से 19 मई तक राज्य में 3,313 नए मामले दर्ज किए गए।

रावत ने कहा कि कुछ बच्चों में निमोनिया, एमआईसी (मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम) जैसे गंभीर लक्षण दिखाई दिए हैं। "पिछले साल कोरोना की पहली लहर में बहुत कम बच्चे इससे संक्रमित हुए थे, लेकिन वायरस के म्यूटेशन के चलते यह बच्चों के लिए खतरा पैदा कर सकता है," उन्होंने आगे कहा।

उत्तराखंड की कुल आबादी के मुकाबले 19 मई तक 7 फीसदी को कोविड का टीका लग चुका है। फोटो अरेंजमेंट


सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की 'तीसरी लहर' की चेतावनी के मद्देनजर बच्चों पर सबसे ज्यादा असर पड़ने की आशंका को ध्यान में रखते हुए कुछ राज्यों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है।

6 मई को सुप्रीम कोर्ट ने भी देश में तीसरी लहर पर विशेषज्ञों की राय पर ध्यान दिया था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को संबोधित करते हुए जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और एम. आर. शाह की पीठ ने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया था कि अगर बच्चों में वायरस का संक्रमण होता है, तो उनके इलाज के लिए व्यवस्था तैयार की जानी चाहिए।

बच्चों में कोरोना से निपटने के लिए उत्तराखंड कितना तैयार है ?

उत्तराखंड की आबादी 10 मिलियन (10,116,752) से अधिक है और 6,80,310 लोगों (कुल आबादी का लगभग सात प्रतिशत) को अब तक टीके की दोनों खुराक दी जा चुकी है।

देहरादून स्थित सोशल डेवलपमेंट ऑफ कम्युनिटीज के संस्थापक अनूप नौटियाल राज्य में कोरोना की स्थिति पर तब से नजर रख रहे हैं, जब पिछले साल उत्तराखंड में पहला मामला दर्ज किया गया था।

नौटियाल ने गांव कनेक्शन को बताया, "जब बच्चों को कोरोना के संक्रमण से बचाने की बात आती है तो सरकार या स्वास्थ्य विभाग ने कोई एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) जारी नहीं की है।" वो पूछते हैं, "अगर उनका बच्चा संक्रमित है तो माता-पिता क्या करेंगे, क्या वे बच्चे के साथ अस्पताल में रहेंगे ? क्या व्यवस्था होगी ? "

गांव कनेक्शन ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), देहरादून के अध्यक्ष अमित सिंह से जानना चाहा कि उत्तराखंड कितना तैयार है, जब आने वाले महीनों में जब बच्चों में कोरोना के केस बढ़ेंगे?

अमित सिंह ने चेतावनी दी, "यहां के निजी अस्पतालों में बच्चों के इलाज की व्यवस्था है, लेकिन अगर स्थिति और खराब हुई तो सरकारी अस्पताल इसे संभाल नहीं पाएंगे।" उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए एक अलग चिकित्सा व्यवस्था की आवश्यकता होती है।

"अधिक एनआईसीयू (न्यू बॉर्न इंटेंसिव केयर यूनिट) और बाल चिकित्सा देखभाल इकाइयां (पीडियाट्रिक केयर यूनिट) स्थापित करने के साथ-साथ ज्यादा चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की आवश्यकता है, जिनकी संख्या अभी बहुत कम है। एसोसिएशन ने इसके बारे में प्रशासन को सूचित कर दिया है, " सिंह ने आगे कहा।

उत्तराखंड की आबादी 10,116,752 से अधिक है और 6,80,310 लोगों (7%) को अब तक टीके की दोनों खुराक दी जा चुकी है

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डॉक्टरों ने आगे से परिवार में किसी व्यक्ति के संक्रमित होने पर माता-पिता से बच्चों की जांच करने की अपील की।

इस बीच 'तीसरी लहर' में बच्चों को बचाने के लिए उत्तराखंड सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 18 मई को बाल रोग विशेषत्र डॉक्टरों की भर्ती करने की घोषणा की है।

उत्तराखंड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष डी. एस. रावत ने गांव कनेक्शन को बताया कि उन्होंने हाल ही में महानिदेशक (स्वास्थ्य) तृप्ति बहुगुणा के साथ राज्य में कोविड-19 की स्थिति के बारे में बात की थी।

रावत ने कहा, "डीजी (स्वास्थ्य) ने आश्वासन दिया कि डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) द्वारा हल्द्वानी और ऋषिकेश में 500 बेड के सेटअप लगाया जा रहा है और 100 अतिरिक्त बेड बच्चों की देखभाल के लिए होंगे।"

"इसके अलावा देहरादून के दून मेडिकल कॉलेज, गढ़वाल के श्रीनगर बेस अस्पताल और ऋषिकेश में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में पर्याप्त संख्या में कोविड वार्ड हैं और ये बच्चों के इलाज के लिए सुविधाओं से लैस हैं," उन्होंने आगे कहा।

एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) ऋषिकेश के प्रवक्ता वीरेंद्र नौटियाल ने संपर्क करने पर गांव कनेक्शन को बताया कि संस्थान एक कोविड अस्पताल है और यहां कोविड से संक्रमित बच्चों के इलाज के लिए अलग वॉर्ड हैं। वीरेंद्र नौटियाल ने कहा, " इसके साथ ही हमने बच्चों के साथ आने वाली उनकी मां के लिए व्यवस्था करने पर जोर दिया गया है।"

खबर अंग्रेजी में यहां पढ़ें-

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