वाराणसी में स्कूल खुलवाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं दिव्यांग छात्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में दुर्गाकुंड स्थित हनुमान प्रसाद पोद्दार अंधविद्यालय के छात्र कक्षा 9 से 12 तक की कक्षाएं बंद किए जाने के कारण अपने स्कूल प्रशासन के खिलाफ अब सड़कों पर खुलकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

Akash PandeyAkash Pandey   17 July 2021 12:57 PM GMT

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वाराणसी में स्कूल खुलवाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं दिव्यांग छात्र

प्रदर्शन करते श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय के दिव्यांग छात्र। सभी फोटो: अरेंजमेंट

वाराणसी के गंगा घाट से लेकर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय तक पिछले कई दिनों से दिव्यांग छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं, ये सभी छात्र श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय के छात्र हैं, जिसे बंद करने का फरमान जारी हो गया है।

मिर्जापुर के श्रीपुर के रहने वाले विकास (22 वर्ष) भी हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय में दसवीं कक्षा में पढ़ते हैं। विकास बताते हैं, "विद्यालय प्रशासन पिछले दो सालों से लगातार बच्चों की बदमाशी और खस्ताहाल आर्थिक स्थिति का हवाला देकर विद्यालय को बंद करने की कोशिश कर रहा है।"

पिछले साल 17 जून 2020 को हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय की कार्यकारिणी बैठक में कक्षा नौवीं से बारहवीं तक की पढ़ाई बंद करने का फैसला लिया गया। इसके पीछे विद्यालय प्रशासन विद्यालय की खस्ताहाल आर्थिक स्थिति का हवाला दिया गया है। उसके बाद से ही लगातार छात्र इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार से इनको अधिक फंड मिलने के बाद भी ये लोग स्कूल बंद करना चाहते हैं, क्योंकि उस स्कूल को ये लोग बिजनेस के उद्देश्य के लिए उपयोग करना चाहते हैं।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सामने प्रदर्शन करते दिव्यांग छात्र। सभी फोटो: अरेंजमेंट

गोरखपुर के महईता गांव के रहने वाले गणेश यादव (21 वर्ष) भी कक्षा दसवीं के छात्र हैं। गणेश कहते हैं, "विद्यालय प्रशासन ने कोरोना जैसी आपदा को अवसर बनाते हुए हम जैसे दिव्यांग बच्चों के जीवन को अंधकारमय कर दिया।"

विद्यालय की स्थापना सन् 1972 में गीता प्रेस के ट्रस्टी हनुमान प्रसाद पोद्दार की स्मृति में की गई थी। शुरूआत में यह विद्यालय सिर्फ पांचवीं तक था, विद्यालय को जूनियर हाईस्कूल की मान्यता 1984 में, हाईस्कूल की मान्यता 1990 में और इंटरमीडिएट तक की मान्यता 1993 में मिली।

बिहार के बेगुसराय जिले के रामौली गांव के रहने वाले रामकुमार (17 वर्ष) बताते हैं, "आठवीं तो पास कर लिया हूं लेकिन नौवीं का अभी कहीं कोई ठिकाना नहीं है। उत्तर प्रदेश में चार सरकारी स्कूल हैं लेकिन बिहार और झारखंड में एक भी नहीं हैं। ऐसे में इस स्कूल का बंद होना हम लोगों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। हम पढ़ाई करके अपने पैरों पर खड़ा हो सकते हैं, इसके अलावा हम कुछ नहीं कर सकते लेकिन हमसे हमारी पढ़ाई ही छीनी जा रही है।"

श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय

दरअसल हनुमान प्रसाद अंध विद्यालय एक ट्रस्ट द्वारा संचालित होता है जिसका नाम है हनुमान प्रसाद पोद्दार स्मृति सेवा ट्रस्ट। इस ट्रस्ट के सभापति बनारस के मशहूर व्यापारी कृष्ण कुमार जालान हैं और दो उपसभापति अशोक कुमार अग्रवाल और जगदीश झुनझुनवाला हैं। इन 18 ट्रस्टी लोगों में सभी व्यापारी हैं और एक मात्र विद्यालय के प्रधानाचार्य जोकि पदेन ट्रस्टी हैं। छात्र इस ट्रस्ट पर जानबूझकर अपने फायदे के लिए विद्यालय को बंद कराने का आरोप लगा रहे हैं।

विद्यालय के पूर्व छात्र और उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर जिले के रजापुर सरैया गांव के रहने वाले शशिभूषण पांडेय (25 वर्ष) कहते हैं, "विद्यालय प्रशासन और ट्रस्ट के लोग लगातार झूठ बोल रहे हैं। सरकार इनको लगातार फंड देती है लेकिन कागज में गड़बड़ी के चलते फंड लूट से मिलता है। ट्रस्ट में बैठे लोगों का उद्देश्य है कि उस विद्यालय को बंद करके वहां पर कोई व्यापारिक काम शुरू किया जाएगा। किसी तरह का कोई मुनाफा वाला कारोबार किया जाएगा।"

दिव्यांग छात्रों के समर्थन में दूसरे लोग भी आ रहे हैं।

हनुमान प्रसाद पोद्दार अंधविद्यालय के प्रधानाध्यापक के एम द्विवेदी कहते हैं, "हमने इन लोगों को इतना प्यार दिया और ये लोग अब आंदोलन कर रहे हैं। पिछले तीन साल से सरकार से पैसे नहीं आ रहे हैं। वित्तीय संकट गहरा हो गया है. 2018-19 में आधा पैसा आया था . उसके बाद से कोई पैसा नहीं आया. हमारे यहाँ कागजों में कोई गड़बड़ी नहीं है. तीन साल से स्कूल को एक भी रूपए नहीं प्राप्त हुआ है. बच्चों के सभी आरोप सरासर गलत हैं.

हनुमान प्रसाद पोद्दार स्मृति सेवा ट्रस्ट के महामंत्री श्याम सुंदर प्रसाद का कहना है कि बच्चे सिर्फ नेतागिरी कर रहे हैं. हमरा ट्रस्ट निजी ट्रस्ट है. ये हम तय करेंगे कि हमें कितनी सेवा देनी। बच्चे जोर-जबरदस्ती कर रहे हैं। हम जब तक सेवा कर सकते थे किए। बच्चों द्वारा जो भी आरोप लगाया जा रहा है कि उस जमीन का व्यापारिक उपयोग किया जाएगा, कागजी गड़बड़ियां की जा रही हैं आदि सारे आरोप बेबुनियाद और निराधार हैं।

आंदोलन का नेतृत्व कर रहे शशिभूषण बताते हैं कि हमारी रणनीति बहुत साफ है कि हम शांतिपूर्ण तरीके से, अहिंसात्मक और गांधीवादी तरीके से तबतक लड़ेंगे जबतक हमारी मांगे नहीं मान ली जाती हैं. हम सिर्फ पढ़-लिखकर ही अपना भविष्य संवार सकते हैं और यदि हमारे भविष्य के साथ और हमारी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जाएगा तो हम लड़ेंगे।"


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