वाराणसी: आधार कार्ड या कोई पहचान पत्र नहीं होने से विधवा आश्रमों में नहीं लग पा रही कोरोना वैक्सीन

कोरोना महामारी को रोकना है तो टीकाकरण ही एक उपाय बताया जा रहा। सरकार लोगों को आगे आकर टीका लगवाने के लिए प्रेरित भी कर रही है, लेकिन पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के विधवाश्रमों में रहने वाली बहुत सारी महिलाओं को टीके नहीं लग पा रहे क्योंकि उनके पास आधार या कोई पहचान पत्र नहीं है।

Anand kumarAnand kumar   26 Jun 2021 1:21 PM GMT

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वाराणसी: आधार कार्ड या कोई पहचान पत्र नहीं होने से विधवा आश्रमों में नहीं लग पा रही कोरोना वैक्सीन

आनंद कुमार और जागृति

वाराणसी (उत्तर प्रदेश)। वाराणसी के दुर्गाकुंड स्थित राजकीय आश्रम में रहने वाली 18 विधवाओं में से सिर्फ 9 को कोरोना का टीका लग पाया है, क्योंकि बाकी 9 के पास आधार या दूसरा कोई अनिवार्य पहचान पत्र नहीं है। इसी तरह आधार न होने से आशापुर में स्थित आशा भवन में रहने वाली 14 विधवाओं में से किसी को टीका नहीं लग पाया है।

"वृद्धाश्रम में 19 मई और 2 जून को कैम्प लगाकर विधवाओं को कोरोना वैक्सीन लगाई गई। 9 विधवा महिलाओं को वैक्सीन लगाई गई है, जिनके पास आधार कार्ड है। वहीं, 9 विधवा महिलाओं के पास आधार कार्ड नहीं होने के कारण उन्हें वैक्सीन नहीं लगी है।" राजकीय आश्रम ( राजकीय वृद्ध एवं आशक्त महिलाएं के लिए आवासीय गृह दुर्गाकुंड) के इंचार्ज देव शरण सिंह गांव कनेक्शन को बताते हैं।

वाराणसी के एक और आश्रम में रहने वाली 43 महिलाओं को टीका नहीं लग पा रहा था, क्योंकि उनके पास आधार कार्ड नहीं थे। अपना घर आश्रम के प्रबंधक स्वास्थ्य विभाग से लेकर नेताओं तक के चक्कर लगाए, जिसके बाद 22 जून को राज्यमंत्री नीलकंठ तिवारी की सहायता से कैंप लगा, जिसमें इन महिलाओं को कोरोना से बचाव के लिए टीका लग पाया।

अपनाघर आश्रम के प्रबंधक डॉ. के. निरंजन गांव कनेक्शन को बताते हैं, "आश्रम में 43 महिलाएं हैं। इनमें से 38 महिलाएं विधवा हैं। आश्रम में किसी भी विधवा के पास आधार कार्ड नहीं होने के कारण उन्हें वैक्सीन नहीं लग पा रही थी। जिसके बाद हमने सीएमओ से लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाए जिसके बाद नीलकंठ तिवारी जी (राज्यमंत्री) के सहयोग से टीकाकरण हो सका।"

वृद्धाश्रमों की महिलाओं को टीकाकरण में समस्या को लेकर गांव कनेक्शन से वाराणसी के मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ. डीबी सिंह ने कहा, "वृद्धाश्रम में बिना आधार कार्ड वाली विधवाओं को कोरोना का टीका लगाने के लिए व्यवस्था तैयार की जा रही है। शासन को प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। आदेश आने के बाद शासनादेश के अनुसार विधवाओं को कोरोना वैक्सीन लगेगी।" गांव कनेक्शन ने इस संबंध में जिलाधिकारी से भी कई बार संपर्क करने की कोशिश की लेकिन बात नहीं हो सकी, मैसेज और मेल का जवाब नहीं मिला है।

वाराणसी में सड़कों पर भिक्षा मांगने वाली कई महिलाओं ने कहा कि उनके पास आधार या पहचानपत्र नहीं है। आधार न होने से उन्हें विधवा पेंशन जैसी सुविधाएं भी नहीं मिलती हैं। फोटो- आनंद

सिर्फ घाटों और गलियों का ही नहीं हजारों विधवाओं और बेसहारा महिलाओं का ठिकाना भी है काशी

वाराणसी सिर्फ घाटों और गलियों का शहर नहीं है। शिव की नगरी काशी हजारों विधवाओं और बेसहारा महिलाओं का शहर भी है। साल 2011 की जनगणना के अनुसार वाराणसी में करीब 38,000 विधवाएं रहती हैं। राजकीय वृद्धाश्रम-दुर्गाकुंड, मदर टेरेसा आश्रम-शिवाला, नेपाली आश्रम- ललिता घाट, अपना घर आश्रम, मुमुक्षु भवन, मुक्ति भवन, आशा भवन, बिरला आश्रम और मां सर्वेश्वरी वृध्दाश्रम बनारस के प्रसिद्ध वृद्धाश्रम हैं। इनके अलावा सैकड़ों वृद्धाश्रम और भी हैं। लेकिन एक बड़ी आबादी को इन आश्रमों में भी जगह नहीं मिल पाती। उनकी जिंदगी का गुजारा मंदिरों, घाटों और गलियों में भीख मांगकर होता है।

ज्यादातर विधवाओं को उनके घर वाले मोक्ष की आड़ में काशी के आश्रमों में छोड़ जाते हैं तो कुछ को उनके बेटे-बेटियां घर से बाहर का दरवाजा दिखाकर अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाते हैं। पिछले कई सालों से ये महिलाएं समाज की मुख्य धारा से दूर एक गुमनाम जिंदगी जी रहीं हैं। कोरोना काल में ये विधवाएं भी कोरोना की मार से बची नहीं हैं।

कोरोना काल में मंदिर बंद हुए, लॉकडाउन लग इनकी जिंदगी की मुश्किलें और बढ़ गईं। अपनों की सताई इन हजारों महिलाओं में से ज्यादातर के साथ समस्या ये भी है कि इनमें से ज्यादातर के पास कोई पहचान पत्र नहीं है। जिसके चलते राजकीय वृद्धाश्रम और आशा भवन जैसे विधवा आश्रमों में रहने वाली विधवाओं और महिलाओं का कोविड टीकाकरण नहीं हो पा रहा, उन्हें किसी सामाजिक सुरक्षा वाली योजना का लाभ नहीं मिल पाता है। सिर्फ आश्रमों में ही बाहर रह रहे इन विधवा और बेसहारा महिलाओं के टीकाकरण के लिए अभी कोई सार्थक पहल नहीं हुई है। सड़कों गलियों और मंदिरों के बाहर भीख मांगकर गुजारा करने वाली महिलाओं की स्थिति और बद्तर है।

अपना घर आश्रम वाराणसी

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में न्यूरोलॉजी विभाग में कार्यरत डॉ. विजय नाथ मिश्रा और उनकी टीम सड़क पर रहने वाले ऐसे लोगों पर 28 जून से एक एंटीजन टेस्ट सर्वे करने वाले हैं। डॉक्टर मिश्रा गांव कनेक्शन को बताते हैं, "ये जो मूविंग पाॅपुलेशन है इन्हें किसी भी तरीके से वैक्सीनेट करना ही सोसाइटी के लिए फायदेमंद है। भले ही इनके पास आधार कार्ड नहीं हों।"

वो आगे कहते हैं, "थ्योरीटिकली देखें तो ये कोरोना की तीसरी लहर में ये बड़े कैरियर हो सकते हैंख् लेकिन प्रैक्टिकली कितने ये कहना मुश्किल है। हालांकि, इस पर सोमवार से हमारी एंटीबाॅडी सर्वे शुरू होने जा रहा है। जिसमें हम लोग लगभग तीन सौ महिलाओं और पुरुषों पर स्टडी करेंगे। ये वो लोग होंगे जो सड़को पर रहते हैं या भीख मांगते हैं। अगर सर्वे के दौरान हमें एंटी बाॅडीज नहीं मिलती हैं तो जाहिर है वे कैरियर तो होंगे ही।"

डॉ. विजय नाथ मिश्रा, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (न्यूरोलॉजी विभाग)

काशी विश्वनाथ मंदिर के बाहर भिक्षा मांगने वाली मंजू देवी को न टीका लगा है और ना ही उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी है। उन्हें विधवा पेंशन और राशन भी नहीं मिलता। वे कहती हैं, "हमको राशन मिलता है और न ही विधवा पेंशन, क्योंकि हमारे पास आधार कार्ड नहीं है। आधार कार्ड बनवाने जाते हैं तो प्रूफ मांगते हैं और हमारे पास कोई प्रूफ नहीं है। कोई काम भी करने जाते हैं तो आधार मांगते हैं मजबूरन हमें ये काम करना पड़ता है।"

अपना घर आश्रम के संचालक डॉ. के. निरंजन के मुताबिक सिर्फ टीकाकरण ही नहीं इससे पहले कोरोना की जांच में भी आधार न होना बड़ी बाधा बना था। विधवा महिलाओं की आरटीपीसीआर जांच नहीं हो पाई थी। बाद में कैम्प लगाकर आश्रम में रह रहे लोगों की कोरोना जांच हुई। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री और डीएम को पत्र भी लिखा था।

वे बताते हैं, "इन लोगों के पास आधार कार्ड नहीं है। ज्यादातर महिलाएं ऐसे आती हैं जिनके पास आधार कार्ड या कोई पहचान पत्र नहीं होता है। बाद में जिला प्रशासन के सहयोग से मैंने अपनी आईडी पर आश्रम में रह रहीं विधवा महिलाओं का कोरोना जांच करवाई थी। सरकार के पास ऐसी कोई गाइडलाइन नहीं है, जिससे इस तबके की कोरोना जांच बिना आधार कार्ड के हो पाए।"

उन्होंने आगे गांव कनेक्शन को बताया, "बड़ी दुर्भाग्य की बात है कि आश्रम में रहने वाली ज्यादातर विधवाओं का आधार कार्ड नहीं है। इसके चलते उन्हें विधवा पेंशन समेत अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता।"


बिना आधार कार्ड वाली विधवाओं को किन-किन प्रमाण पत्रों के आधार पर कोरोना का टीका लगाया जाएगा? इस पर सीएमओ डॉ. डीबी सिंह कहते हैं, "शासनादेश में कोरोना वैक्सीनेशन के लिए प्रमाण पत्रों का जिक्र होगा।" 13 मई को उत्तर प्रदेश सरकार ने वैक्सीन लगावने के लिए आधार की अनिवार्यता को खत्म कर दिया था। इसके अलावा 15 मई को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने एक आदेश में कहा कि वैक्सीनेशन के लिए आधार अनिवार्य नहीं है।

वाराणसी की इन हजारों विधवाओं में से कितनी विधवाओं को अभी तक कोरोना का टीका लग गया है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए गांव कनेक्शन ने वाराणसी नगर आयुक्त गौरांग राठी और वाराणसी सीएमओ डॉ. डी.बी सिंह से बात की। दोनों ने कहा कि उनके पास इसका कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।"

कोरोना जांच और टीकाकरण कराने में दिक्कतें

कोरोना दूसरी लहर में कई विधवाएं कोरोना की चपेट में भी आईं। दुर्गाकुंड स्थित राजकीय वृद्धाश्रम में 2 विधवाएं कुछ दिनों पहले कोरोना से संक्रमित हो गई थीं। राजकीय वृद्धाश्रम के इंचार्ज देव शरण सिंह ने बताया कि दोनों महिलाएं कोरोना से ठीक हो गई हैं और अभी उनका ध्यान रखा जा रहा है। कोरोना का हवाला देते हुए इंचार्ज देव शरण सिंह ने हमें राजकीय वृद्धाश्रम में विधवाओं से मिलने की अनुमति नहीं दी।

उन्होंने गांव कनेक्शन को बताया, "आश्रम में 2 विधवाओं के संक्रमित होने के बाद सभी विधवाओं का आरटीपीसीआर जांच हुई थी। जांच में कोई संक्रमित नहीं मिला था। दोनों विधवाओं को अन्य विधवा महिलाओं से अलग कर दिया गया था।"

26 जून तक भारत सरकार के डाटा के अनुसार देशभर में 31.17 करोड़ से ज्यादा लोगों को टीके लग चुके हैं। इनमें से 9 करोड़ की आबादी 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग की है।

अमरावती जैसी कई विधवा महिलाओं को पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा, क्योंकि उनके पास आधार कार्ड नहीं है। अगर आधार कार्ड है तो जागरुकता के अभाव में उन्हें पेंशन योजना के बारे में नहीं पता है।

बीएचयू के डॉ. मिश्रा आगे कहते हैं, "ऐसे बहुत से लोग हैं जिनके लिए बूथ जाना संभव नहीं है। खासकर, जो बुजुर्ग चल नहीं सकते या जो लोग लम्बे समय से बीमार हैं और वे बिस्तर पर हैं। इसके अलावा जो वांडरिंग पापुलेशन हैं जैसे बनारस में भिक्षा मांगने वाले लोग। उनके पास ना तो मोबाइल और ना ही आधार है, उनके पास वैक्सीनेशन के लिए जाना चाहिए। इसके लिए 'वैक्सीन एट योर डोर', 'वैक्सीन एट रोड ', 'वैक्सीन एट घाट'" होना चाहिए। क्योंकि अगर यहां इन्फेक्शन फैलता है तो सिर्फ बनारस के लिए ही खतरा नहीं है ये पूरे देश-विदेश के लिए खतरा है क्योंकि यहां भारी मात्रा में पर्यटक आते हैं।"

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