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लखीमपुर हिंसा: एसआईटी की रिपोर्ट के बाद किसान नेता और विपक्ष हमलावर, कहा- केंद्रीय मंत्री को बर्खास्त कर भेजें जेल

गाँव कनेक्शन | Dec 14, 2021, 13:20 IST
लखीमपुर हिंसा मामले में जांच कर रही यूपी पुलिस की विशेष जांच एजेंसी (एसआईटी) ने कहा है कि 3 अक्टूबर को हुई हिंसा सोची समझी सुनियोजित साजिश थी। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद किसान संगठनों और विपक्षीदलों ने सरकार पर हमला बोलते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री को बर्खास्त करने की मांग तेज कर दी है
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लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। लखीमपुर हिंसा मामले की जांच कर रही पुलिस की एसआईटी की रिपोर्ट पर सहमति जताते हुए कोर्ट ने मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा टेनी और 12 अन्य आरोपियों के खिलाफ इरादतन हत्या और साजिश समेत अन्य धाराओं को जोड़ने की अनुमति दे दी है। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 3 अक्टूबर को हुआ तिकुनिया कांड लापरवारी एवं हादसा नहीं बल्कि एक जानबूझकर पूर्व सुनियोजित योजना के अनुसार की गई आपराधिक वारदात है, जिसमें 5 लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए। जांच अधिकारी ने इस संबंध में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा समेत अन्य 13 आरोपियों पर हत्या और हत्या साजिश की धाराएं जोड़ने की वकालत की थी। एसआईटी की जांच सामने आने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा और विपक्षी नेताओं ने सरकार पर हमला बोल दिया है।

लखीमपुर हिंसा के 3 महीने 10 दिन बाद यानि 13 दिसंबर को एसआईटी के मुख्य विवेचक ने लखीमपुर के मुख्य न्याययिक मजिस्ट्रेट को दिए प्रार्थना पत्र में कहा कि अब तक की जांच के बाद मामले में हादसे की धाराओं को हटाकर आईपीसी की इरादतन हत्या की धारा 307 समेत 326, 34 और शस्त्र अधिनियम की धारा 3/25/30 की धाराएं बढ़ाने की अनुमति मांगी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सभी अभियुक्तों के वारंट से भारतीय दंड संहिता की धारा 279, 338, 304A हटाने और भारतीय दंड संहिता की धारा 307, 326 जोड़ने और शस्त्र अधिनियम की धारा 3/25/30 संपठित की धारा 35 की बढ़ोतरी करने की अनुमति दी जाती है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा नरसंहार के आरोपी को बर्खास्त करो

एसआईटी की रिपोर्ट आने के बाद किसान नेताओं ने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी की मांग तेज कर दी है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, "एसआईटी की जांच रिपोर्ट, संयुक्त किसान मोर्चा और विरोध कर रहे किसानों के रुख की पुष्टि करती है कि लखीमपुर खीरी की घटना एक पूर्व नियोजित नरसंहार थी। इस बीच, घटना के मुख्य सूत्रधार अजय मिश्रा टेनी खुले-आम घूम रहे हैं, और केंद्र सरकार में अपनी पद पर बने हुए हैं। नवीनतम निष्कर्षों के आलोक में, एसकेएम मांग करता है कि मोदी सरकार इस "लखीमपुर खीरी में किसान हत्याकांड के साजिशकर्ता" को बचाना बंद करे, और उसकी बर्खास्तगी और गिरफ्तारी करे। इस मुद्दे पर एसकेएम अपना संघर्ष जारी रखेगा। भारत के किसान इस नरसंहार को तब तक नहीं भूलेंगे, जब तक पीड़ितों को न्याय नहीं मिल जाता।"

भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने कहा, एसआईटी की जांच रिपोर्ट में सच निकलकर आया है। लेकिन हम लोग पहले दिन से कह रहे हैं कि सोची समझी साजिश के तहत किसानों पर गाड़ियां चढ़ाकर उनकी हत्या की गई है। ऐसा कैसे हो सकता है कि बेटा इतनी बड़ी घटना की साजिश रचे और पिता को पता ना हो इसलिए अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त कर जेल भेजा जाए।"

प्रियंका, राहुल और अखिलेश यादव ने पीएम मोदी और सीएम योगी को घेरा

किसान संगठनों के साथ चुनावी महौल में विपक्ष को भी मौका सरकार को घेरने का मौका मिला है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने बयान में कहा कि, नरेंद्र मोदी जी जी किसानों को आपकी खोखली बातें नहीं सुननी हैं। प्रधानमंत्री होने के नाते अपनी संवैधानिक एवं नैतिक जिम्मेदारी निभाते हुए लखीमपुर किसान नरसंहार की साज़िश में गृह राज्यमंत्री की भूमिका की जाँच अविलम्ब शुरू करवाइये एवं उन्हें तुरंत बर्खास्त करिए।"

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर सरकार को घेरा है। उन्होंने 14 दिसंबर को कहा, "धर्म की राजनीति करते हो, आज राजनीति का धर्म निभाओ, यूपी में गए ही हो, तो मारे गए किसानों के परिवारों से मिलकर आओ। अपने मंत्री को बर्खास्त ना करना अन्याय है, अधर्म है!" उन्होंने इससे पहले ट्वीट में लिखा कि "मोदी जी, फिर से माफ़ी माँगने का टाइम आ गया… लेकिन पहले अभियुक्त के पिता को मंत्री पद से हटाओ। सच सामने है!"

वहां यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, "जांच के बाद यह साबित हो गया है कि मंत्री और उनके बेटे ने साजिश रची थी। अब सरकार और भाजपा को गृह मंत्री पर इस्तीफा देने का दबाव बनाना चाहिए"

ये है ंआरोपी

आशीष मिश्रा उर्फ मोनू. लवकुश, आशीष पांडे, शेखर भारती, अंकित दास, लतीफ उर्फ काले, शिशुपाल, नंदन सिंह बिष्ट, सत्यम त्रिपाठी उर्फ सत्य प्रकाश त्रिपाठी, सुमित जायसवाल, धर्मेंद्र बंजारा, रिंकू राना, उल्लास कुमार त्रिवेदी उर्फ मोहित त्रिवेदी जिला कारागार लखीमपुर में बंद हैं।

तीन अक्टूबर की दोपहर लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में क्या हुआ था?

लखीमपुर खीरी के तिकुनियां में 3 अक्टूबर को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के गांव में यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या का कार्यक्रम था, जिसमें तिकुनिया इलाके में डिप्टी सीएम का हेलीकॉप्टर उतरना था, लेकिन केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के एक बयान से नाराज किसानों ने सुबह से ही हेलीपैड पर कब्जा कर रखा था। जिसके बाद डिप्टी सीएम ने प्रोग्राम बदलकर सड़क मार्ग से जाने का फैसला किया। किसान संगठन तिकनुया तिराहे पर ही प्रदर्शन थे। आरोप है कि इसी दौरान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे अपने कुछ साथियों के साथ प्रदर्शनकारी किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी, फायरिंग की, जिसमें 4 किसानों की मौत हो गई। जिसके बाद की हिंसा भड़क उठी। प्रदर्शनकारी किसानों ने गाड़ियों से उतरने वाले तीन लोगों की लाठी डंडों से पिटाई कर दी। जिसमें बीजेपी के 2 कार्यकर्ताओं और एक ड्राइवर की मौत हो गई। इस संबंध में कई वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुए लेकिन ज्यादातर में सामने आ रहा था कि गाड़ियां चढाई गई हैं। हालांकि उस दौरान केंद्रीय मंत्री ने अपने बयान में कहा कि घटना के वक्त उनका बेटा गाड़ियों में नहीं था और गाड़ियां डिप्टी सीएम की अगवानी के लिए जा रही थीं, इस दौरान प्रदर्शकारियों ने पत्थरबाजी की। जिसके बाद गाड़ी अनियंत्रित हो गई और हादसा हुआ। लेकिन जांच रिपोर्ट में दुर्घटना की थ्योरी गलत साबित हुई है। यहां कई सबूत आशीष मिश्रा के खिलाफ मिले हैं। आशीष मिश्रा टेनी 9 अक्टूबर से लखीमपुर की जेल में बंद है। इस मामले आशीष मिश्रा समेत 13 लोग जेल में बंद हैं।

हुई है क्रास एफआईआर

जांच एजेंसी ने इस संबंध में वायरल वीडियो, फोटो, मोबाइल की लोकेशन आदि के आधार पर सैकड़ों लोगों से पूछताछ की है। इस संबंध में कार में सवार आरोपियों की तरफ से भी रिपोर्ट दर्ज कराई गई हैं। इस संबंध में बीजेपी कार्यकर्ता शुभम मिश्रा के पिता की तरफ से लखीमपुर कोतवाली में दी गई तहरीर में भी लिखा गया है कि शुभम ड्राइवर हरिओम के साथ मुख्य अतिथि की अगवानी के लिए जा रहा था इसी दौरान तिकुनिया में कुछ अराजक तत्वों ने गाड़ी पर हमला किया। और लाठी डंडों से तलवारों से हमला किया, जिसमें डाइवर, शुभम मिश्रा और श्याम सुंदर की मौत हो गई। जबकि स्थानीय प्रदर्शनकारियों का कहना था कि गाड़ियां जानबूझकर कर इधर लाई गईं और हमला किया गया।

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