'मुख्यमंत्री की कर्जमाफी की घोषणा के बावजूद पंजाब में जारी है रेल रोको आंदोलन'
Sarah Khan | Dec 28, 2021, 09:05 IST
प्रदर्शनकारी किसानों ने जोर देकर कहा कि राजनीतिक नेता कई सालों से उनके कर्ज माफ करने का आश्वासन देते आ रहे हैं। जब तक आधिकारिक तौर पर कर्ज माफ नहीं किया जाता है, वे अपना आंदोलन खत्म नहीं करेंगे। किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेताओं की नजर में सीएम चरणजीत सिंह चन्नी की घोषणा महज एक राजनीतिक नौटंकी है।
पंजाब में किसानों के रेल रोको आंदोलन के चलते आज लगातार आठवें दिन भी ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित रही। हालांकि मुख्यमंत्री चिरंजीत सिंह चन्नी, कर्ज में डूबे किसानों के लिए कर्ज माफी की घोषणा कर चुके हैं लेकिन इसके बावजूद प्रदर्शनकारी किसानों ने रेलवे ट्रैक का घेराव करना जारी रखा है।
पंजाब के मुख्यमंत्री के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा गया, "मुख्यमंत्री ने 1.09 लाख छोटे और सीमांत किसानों के 2 लाख रुपये तक के कर्ज माफ करने का ऐलान किया है। यह राशि 1200 करोड़ रुपये है। साथ ही, PSCADB (पंजाब स्टेट क्रॉप एग्रीकल्चर डेवलपमेंट बैंक लिमिटेड) से 2 लाख रुपये तक का कर्ज लेने वाले किसानों को भी कर्ज माफी योजना के दायरे में लाने की घोषणा की है।"
किसान मजदूर संघर्ष समिति (KMSC) के बैनर तले हजारों किसानों ने 20 दिसंबर को अमृतसर में 'रेल रोको' आंदोलन शुरू किया था। जो जल्द ही पंजाब के अन्य हिस्सों में भी फैल गया। प्रदर्शनकारियों ने देवीदासपुरा, तरन-तारन, होशियारपुर, फिरोजपुर, मोगा, फाजिल्का और जालंधर में रेलवे लाइनों को रोक दिया है, जिससे लगभग 128 ट्रेनों की आवाजाही बाधित हो गई है।
प्रदर्शनकारियों ने देवीदासपुरा, तरनतारन, होशियारपुर, फिरोजपुर, मोगा, फाजिल्का और जालंधर में रेलवे लाइन पर प्रदर्शन किया। फोटो: अरेंजमेंट
प्रदर्शनकारी किसानों कृषि ऋण माफी, दिल्ली सीमा पर विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने और मृतक के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग कर रहे हैं।
अमृतसर के सीमांत किसान रंजीत सिंह पिछले कई दिनों से रेलवे पटरियों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने गांव कनेक्शन से कहा, "सीएम का ये ऐलान बस पॉलिटिकल खेल है... चुनाव आने वाले हैं तो उसके लिए बस एक जुमला है ताकी लोग इन्हें वोट दें और ये पावर में आ सकें।"
लुधियाना के मान गांव के रहने वाले एक अन्य प्रदर्शनकारी गुरलाल सिंह कहते हैं कि वह अपने गांव वापस नहीं जाएंगे और तब तक वह रेलवे ट्रेक पर विरोध प्रदर्शन करते रहेंगे जब तक कि उनकी मांगों को स्वीकार नहीं किया जाता। सिर्फ स्वीकार ही नहीं बल्कि पूरी तरह से लागू नहीं किया जाता।
उन्होंने कहा, "28 से 30 सितंबर के बीच, हमने पंजाब में सभी उपायुक्तों के कार्यालयों का घेराव किया था। उस समय, हम पंजाब के डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा, कृषि मंत्री रणदीप सिंह नाभा और कुछ अन्य स्थानीय विधायकों से मिले थे। उन्होंने, हमारी मांगों को 10 दिनों के अंदर पूरा किया जाने का आश्वासन दिया था। तब से ढाई महीने हो चुके हैं लेकिन हमारी एक भी मांग पूरी नहीं हुई है। हमें अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए इन मंत्रियों को अभी और कितना समय दें।
इस बीच, कृषि कर्ज माफी पंजाब में किसानों के बीच विवाद का एक प्रमुख कारण रहा है। फोटो: अरेंजमेंट
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि पंजाब सरकार पहले ही 5.63 लाख किसानों के 4 हजार 610 करोड़ रुपये के कर्ज माफ कर चुकी है। 1.34 लाख छोटे किसानों को 980 करोड़ रुपये की राहत मिली थी। वहीं 4.29 लाख सीमांत किसानों को 3 हजार 630 करोड़ रुपये की कर्ज माफी का फायदा मिला था।
प्रदर्शन कर रहे किसान रंजीत सिंह ने कहा कि सरकार को खोखले वादे करने से बचना चाहिए। वह कहते हैं, "उनके पास कर्जमाफी को लागू करने के लिए पर्याप्त धन भी नहीं है। वे कर्ज कैसे माफ करेंगे, इसके लिए उनके पास एक उचित नीति होनी चाहिए। ऐसे खोखले बयानों पर विश्वास करके किसान थक चुके हैं। अब समय आ गया है कि पंजाब के किसान राज्य सरकार को जवाबदेह ठहराए।"
सिंह ने आगे कहा, "2017 से लेकर 2020 तक राज्य सरकार किसानों से कर्ज माफ करने का वादा करती आ रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हुआ।"
इस बीच, कृषि ऋण माफी पंजाब में किसानों के बीच विवाद का एक प्रमुख कारण रहा है।
नई दिल्ली स्थित भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित, इंडेब्टदनेस अमंग फारमर्स एंड एग्रीकल्चरल लेबरर्स इन रूरल पंजाब (ग्रामीण पंजाब में किसानों और कृषि मजदूरों के बीच ऋणग्रस्तता) नामक एक अध्ययन ने 2017 में खुलासा किया कि राज्य में 85.7 प्रतिशत किसान परिवार कर्ज में डूबे हुए हैं।
ग्रामीण पंजाब में प्रति किसान परिवार पर 552,000 रुपये का कर्ज है जो कृषि निवेश और मशीनरी की खरीद पर खर्च किया गया था।
बढ़ती लागत और गेहूं व धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लगभग स्थिर होने के कारण, इन निवेशों से किसी भी तरह से आय में बढ़ोतरी नहीं हुई। जबकि पंजाब में 85 प्रतिशत कृषि क्षेत्र में गेंहू और धान की खेती होती है।
2017 के अध्ययन के अनुसार, पंजाब के किसानों का सामूहिक कर्ज, जो 1997 में 5 करोड़ 70 लाख रुपये था। 2002 में बढ़कर 9 हजार 886 करोड़ रुपये, 2005 में 210,640 मिलियन रुपये और 2015 में 350,000 मिलियन रुपये हो गया। कुल कृषि आय का 64 प्रतिशत कर्ज चुकाने में जाता है।
साथ ही, कृषि जनगणना 2015-16 के अनुसार, पंजाब में लगभग 14 प्रतिशत किसान, सीमांत किसान (एक हेक्टेयर से कम भूमि के मालिक) हैं, जबकि लगभग 19 प्रतिशत (दो हेक्टेयर से कम भूमि के मालिक) छोटे किसान हैं।
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अनुवाद: संघप्रिया मौर्या
पंजाब के मुख्यमंत्री के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा गया, "मुख्यमंत्री ने 1.09 लाख छोटे और सीमांत किसानों के 2 लाख रुपये तक के कर्ज माफ करने का ऐलान किया है। यह राशि 1200 करोड़ रुपये है। साथ ही, PSCADB (पंजाब स्टेट क्रॉप एग्रीकल्चर डेवलपमेंट बैंक लिमिटेड) से 2 लाख रुपये तक का कर्ज लेने वाले किसानों को भी कर्ज माफी योजना के दायरे में लाने की घोषणा की है।"
CM @CharanjitChanni announces to clear cases of debt waiver for loans up to ₹2 lakh of remaining 1.09 lakh small & marginal farmers worth ₹1200 crore. Also announces to include these farmers with loans up to ₹2 lakh of PSCADB under the ongoing farm debt waiver scheme.
(1/2) pic.twitter.com/8QbGsqR9ss
— CMO Punjab (@CMOPb) December 23, 2021
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प्रदर्शनकारी किसानों कृषि ऋण माफी, दिल्ली सीमा पर विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने और मृतक के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग कर रहे हैं।
अमृतसर के सीमांत किसान रंजीत सिंह पिछले कई दिनों से रेलवे पटरियों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने गांव कनेक्शन से कहा, "सीएम का ये ऐलान बस पॉलिटिकल खेल है... चुनाव आने वाले हैं तो उसके लिए बस एक जुमला है ताकी लोग इन्हें वोट दें और ये पावर में आ सकें।"
लुधियाना के मान गांव के रहने वाले एक अन्य प्रदर्शनकारी गुरलाल सिंह कहते हैं कि वह अपने गांव वापस नहीं जाएंगे और तब तक वह रेलवे ट्रेक पर विरोध प्रदर्शन करते रहेंगे जब तक कि उनकी मांगों को स्वीकार नहीं किया जाता। सिर्फ स्वीकार ही नहीं बल्कि पूरी तरह से लागू नहीं किया जाता।
उन्होंने कहा, "28 से 30 सितंबर के बीच, हमने पंजाब में सभी उपायुक्तों के कार्यालयों का घेराव किया था। उस समय, हम पंजाब के डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा, कृषि मंत्री रणदीप सिंह नाभा और कुछ अन्य स्थानीय विधायकों से मिले थे। उन्होंने, हमारी मांगों को 10 दिनों के अंदर पूरा किया जाने का आश्वासन दिया था। तब से ढाई महीने हो चुके हैं लेकिन हमारी एक भी मांग पूरी नहीं हुई है। हमें अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए इन मंत्रियों को अभी और कितना समय दें।
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एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि पंजाब सरकार पहले ही 5.63 लाख किसानों के 4 हजार 610 करोड़ रुपये के कर्ज माफ कर चुकी है। 1.34 लाख छोटे किसानों को 980 करोड़ रुपये की राहत मिली थी। वहीं 4.29 लाख सीमांत किसानों को 3 हजार 630 करोड़ रुपये की कर्ज माफी का फायदा मिला था।
'सरकार को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए'
सिंह ने आगे कहा, "2017 से लेकर 2020 तक राज्य सरकार किसानों से कर्ज माफ करने का वादा करती आ रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हुआ।"
कृषि ऋण माफी - एक लंबे समय से चली आ रही मांग
नई दिल्ली स्थित भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित, इंडेब्टदनेस अमंग फारमर्स एंड एग्रीकल्चरल लेबरर्स इन रूरल पंजाब (ग्रामीण पंजाब में किसानों और कृषि मजदूरों के बीच ऋणग्रस्तता) नामक एक अध्ययन ने 2017 में खुलासा किया कि राज्य में 85.7 प्रतिशत किसान परिवार कर्ज में डूबे हुए हैं।
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ग्रामीण पंजाब में प्रति किसान परिवार पर 552,000 रुपये का कर्ज है जो कृषि निवेश और मशीनरी की खरीद पर खर्च किया गया था।
बढ़ती लागत और गेहूं व धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लगभग स्थिर होने के कारण, इन निवेशों से किसी भी तरह से आय में बढ़ोतरी नहीं हुई। जबकि पंजाब में 85 प्रतिशत कृषि क्षेत्र में गेंहू और धान की खेती होती है।
2017 के अध्ययन के अनुसार, पंजाब के किसानों का सामूहिक कर्ज, जो 1997 में 5 करोड़ 70 लाख रुपये था। 2002 में बढ़कर 9 हजार 886 करोड़ रुपये, 2005 में 210,640 मिलियन रुपये और 2015 में 350,000 मिलियन रुपये हो गया। कुल कृषि आय का 64 प्रतिशत कर्ज चुकाने में जाता है।
साथ ही, कृषि जनगणना 2015-16 के अनुसार, पंजाब में लगभग 14 प्रतिशत किसान, सीमांत किसान (एक हेक्टेयर से कम भूमि के मालिक) हैं, जबकि लगभग 19 प्रतिशत (दो हेक्टेयर से कम भूमि के मालिक) छोटे किसान हैं।
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अनुवाद: संघप्रिया मौर्या