गूगल यूट्यूब से आइडिया लेना और गारा सीमेंट से घर बनाना ये हैं गाँव के मॉर्डन आर्किटेक्ट

गाँव कनेक्शन | Sep 30, 2023, 14:07 IST
शहरों में बड़ी-बड़ी इमारतों को देखते होंगे, जिनको बनाने के लिए महँगे आर्किटेक्ट पहले डिजाइन तैयार करते हैं। लेकिन कुछ लोग शायद नहीं जानते होंगे कि गाँव के सभी मकान या दुकान वो राजमिस्त्री बना देते हैं जो आर्किटेक्ट की कोई पढ़ाई तो दूर स्कूल में कदम तक नहीं रखे होते हैं।
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गाँवों में जब आप अलग-अलग तरह के घरों को देखते हैं तो कभी आपके मन में ख़याल आता है कि इन घरों को कौन बनाता है। आखिर इन घरों को बनाने वाले कहाँ से नए-नए तरीके सीखते हैं।

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के मिस्त्री गंगा सागर गूगल, फेसबुक और व्हाट्सएप से नया घर बनाने का आइडिया लेते रहते हैं। गंगा सागर गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "एक बार कहीं देखा फिर उसके बाद अपना दिमाग लगाते हैं।"

शहरों में जहाँ लोग आर्किटेक्ट से नक्शा बनवाते हैं, वहीं गाँव में सब मिस्त्री ही बनाते हैं। गंगा सागर आगे कहते हैं, "गाँव में जिस तरह की ज़मीन होती है, उसी हिसाब से मकान बनाते हैं। मालिक को एक पन्ने पर सब बनाकर बता देते हैं कि कहाँ पर कमरा होगा, कहाँ पर आँगन और कहाँ पर लैट्रीन-बाथरूम, अगर उन्हें पसंद आ गया तो काम शुरू कर देते हैं।"

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उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर के बारापुर गाँव के 57 वर्षीय भारत लोधी पिछले कई साल से मिस्त्री का काम कर रहे हैं। ईंट की दीवार पर कन्नी से मसाला रखते हुए वो कहते हैं, "मिस्त्री का काम सारी ज़िंदगी सीखते रहते हैं।"

भारत के अनुसार जिस तरह से किसी कढ़ाई में नए-नए डिजाइन बनती हैं, उसी तरह घर बनाने का काम भी होता है। "पहले मजदूरी का काम करते हैं फिर मिस्त्री का काम करने लगते हैं, "भारत ने कहा।

लेकिन कई पीढ़ियों से मिस्त्री का काम कर रहे इन लोगों की कुछ परेशानियाँ भी हैं। समय से मज़दूरी नहीं मिल पाती है। शाहजहाँपुर के मिस्त्री पुत्तूलाल अपनी परेशानी बताते हुए कहते हैं, "गाँव में ऐसा ही है, कोई 4 सौ मज़दूरी देता है, तो कोई 5 सौ भी देता है। कभी जल्दी मिलती है तो देर भी हो जाती है।"

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"कोई गेहूँ बेच कर देता हैं कोई गन्ना बेचकर पैसे देता हैं गाँव में तो ऐसा ही पैसा मिलता हैं। "पुत्तूलाल ने आगे कहा।

अभी तक आपने राजमिस्त्रियों के काम को सिर्फ पुरुषों को करते हुए देखा होगा। लेकिन झारखंड में इस काम को महिलाएँ भी करती हैं, जिन्हें रानी मिस्त्री कहते हैं।

शहर की चकाचौंध से कोसों दूर वंचित तबके की सपना देवी अपने क्षेत्र की सफल रानी मिस्त्री हैं जो शौचालय का निर्माण करती हैं। हाथ में कन्नी पकड़े ये बड़ी फुर्ती से शौचालय निर्माण की दीवार में ईंट के ऊपर गारा लगा रही थीं। सपना देवी के लिए पुरुष बाहुल्य क्षेत्र में पुरुषों के काम को चुनौती देकर रानी मिस्त्री बनना इतना आसान नहीं था।

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सपना देवी ने हाथ में कन्नी दिखाते हुए कहा, "जब से इन हाथों ने औजार उठाया है पति की चार दिन मार खाई। पति कहता था कि ये काम हमारा है, जो तुम्हारा काम है वो काम करो। आज भी मार खाकर आयी हूँ पर शौचालय बनाना नहीं छोडूंगी। पहले दिनभर लकड़ी बीनकर 100 रुपए भी कमाना मुश्किल होता था लेकिन रानी मिस्त्री बनने के बाद अब खुद के पैसे कमा लेते हैं।" सपना देवी बोकारो जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर जरीडीह ब्लॉक के अराजू ग्राम पंचायत के कमलापुर गाँव की रहने वाली हैं।

इनपुट: मिर्जापुर से बृजेंद्र दुबे और शाहजहाँपुर से रामजी मिश्रा

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