हैलोवीन से कम नहीं है इस गाँव में लगने वाला मेला, जहाँ पुरुष रचते हैं स्वांग

Ramji Mishra | Oct 21, 2024, 13:52 IST
करवा चौथ के दिन जब देश के कई राज्यों में महिलाएँ अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं, उसी दिन इस गाँव के पुरुष कई तरह की में वेषभूषा बनाकर मेले में शामिल होते हैं।
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किसी ने पुआल का मुकुट पहना है तो कहीं लड़कों का समूह साड़ी पहनकर नाच रहा है, तो कोई बुजुर्ग लाठी लिए घूम रहा है, आपको लग रहा होगा कि आखिर कहाँ आ गए। ये है पैलाकीसा गाँव का नकल मेला, जहाँ पूरे गाँव में आपको नकल करते लोग दिखाई देंगे।

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के पैलाकीसा गाँव में इस मेले का इंतजार साल भर किया जाता है, गाँव का हर कोई मेले में शामिल होता है। पैलाकीसा गाँव के रहने वाले 45 साल के इंद्रजीत मौर्या गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "हमारे गाँव में लगभग सभी जातियों के लोग हैं, नकल मेले में सबको भाग लेना होता है, यह हमारे गाँव की परम्परा का हिस्सा है; यह बहुत प्राचीन परम्परा है लेकिन यह कब और क्यों शुरू हुआ ये कोई नहीं जानता; हम लोग बस उस अनोखी परंपरा को निभाते चले आ रहे हैं।"

village fair karwa chauth festival sitapur uttar pradesh halloween (5)
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वो आगे कहते हैं, "मेले के आयोजन के दौरान सभी पुरुषों को यहाँ होने वाली नकल में हिस्सा लेना होता है, महिलाएँ नक़ल देखती हैं; मनोरंजन करना नृत्य करना और तरह तरह की वेषभूषा बनाना सिर्फ पुरुषों को करना होता है; यहाँ रामलीला का कार्यक्रम भी होता है, नकल पर पूरा मेला टिका है; जब गाँव के लोग नकल करते हुए गाँवों के बाहर तक आते हैं तो रामलीला उतने समय के लिए रोक दी जाती है, इस मेले को देखने कई किलोमीटर दूर बसे गाँव से भी लोग आते हैं; वह यहाँ की नक़ल देखना चाहते हैं।"

लगभग चार हज़ार की आबादी वाले इस गाँव का हर कोई इस मेले में सहयोग करता है। साल भर अगर किसी की आपसी लड़ाई हो तो भी मेले में सबको शरीक होना ज़रूरी होता है।

village fair karwa chauth festival sitapur uttar pradesh halloween (6)
village fair karwa chauth festival sitapur uttar pradesh halloween (6)
लगभग 58 बसंत देख चुकी शिव देवी पुरानी यादों में खो जाती हैं और कहती हैं, "मैं जब से ब्याह कर आई हूँ, तबसे इस मेले को ऐसे ही देखती हूँ, हम सबको इसका साल भर इंतजार रहता है; हम गाँवों के लोग अलग-अलग बिरादरी से हैं लेकिन मेला सभी लोग मिलकर करते हैं, मैं सुनती आई हूँ कि अगर मेला ना हो तो गाँव में विपत्ति आ सकती हैं।"

गाँव के पुराने लोग बताते हैं, पहले ये मेला करवा चौथ के दिन लगता था, जिसकी वजह से महिलाएँ इसको कम देख पाती थी, अब ये करवा चौथ के अगले दिन भी आयोजित होने लगा है; लेकिन नकल मुख्य रूप से करवा चौथ से ही शुरू करते है। ये मेला अगले दिन तक चलता है।

village fair karwa chauth festival sitapur uttar pradesh halloween (4)
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67 साल के छंगा लाल बताते हैं, "नकल का अर्थ क्या है यह देखना है तो आपको यहाँ आकर देखना चाहिए, हर पुरुष नक़ल जरूर करेगा; अब कुछ लोग महिला के वस्त्र पहनकर चेहरे छिपा कर नकल में हिस्सा लेते हैं, बहुत लोग रात के अंधेरे में कालिख लगाकर पहचान छुपाते हुए इसमें हिस्सा ले लेते हैं लेकिन शामिल सबको होना है।"

पैलाकीसा से लगभग चार किलोमीटर दूर रजवापुर गाँव के रहने वाले एक युवा साहित्यकार सुमित बाजपेई 'माध्यान्दिन' इस नकल मेले के बारे में समझाते हैं, "नकल का अर्थ होता है स्वांग रचना, यह अद्भुत मेला है; आसपास के गाँव के लोग भी मेले की नकल को देखकर काफी रोमांचित हो उठते हैं, आज से लगभग 22 से 23 साल पहले मेरे बचपन में इस नकल में लोग बहुत अच्छा स्वांग करते थे।"

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वो आगे कहते हैं, "मेरी दादी बताया करती थीं कि पहले गाँव में ताउन जिसे प्लेग कहते हैं खूब फैला करता था, गाँवों के लोगों में मान्यता रहती थी कि आसपास के देवताओं को प्रसन्न करने के लिए कुछ स्वांग रचा जाए या कोई आयोजन हो, तभी से इसकी शुरुआत हुई, हालांकि पैलाकीसा की नकल कब और कैसे शुरू हुई इसका कोई प्रमाण सहित ठीक ठीक समय बता पाना मुश्किल है।"

"भारत के गाँव अनोखी परम्पराओं से भरे हैं; साल बाद होने वाला यह कार्यक्रम भारतीय लोक संस्कृति की एक प्यारी सी झलक देता है," सुमित बाजपेई ने आगे कहा।

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