गाँव की औरतें महिला आरक्षण बिल को बड़ा कदम क्यों बता रही हैं

गाँव कनेक्शन | Sep 22, 2023, 03:57 IST
महिला आरक्षण बिल का संसद से पास होना गाँव की महिलाओं को अभी से बड़ी जीत लग रही है, उन्हें यकीन है कि इससे पंचायत से संसद तक की उनकी राह और आसान हो जाएगी।
Women Reservation Bill
सूरत की रीताबेन फूलवाला कल से टेलीविजन सेट पर टक टकी लगाए महिला आरक्षण बिल के संसद से पास होने का इंतज़ार कर रही थीं। राज्यसभा से जैसे ही इसे हरी झंडी मिली वो ख़ुशी से झूम उठीं ।

रीताबेन गुजरात के सूरत में सेठ श्री प्राणलाल हीरालाल बचकानीवला विद्या मंदिर की प्रधानाध्यापिका हैं।

"मत पूछिए हम बहुत खुश हैं, ये एक अच्छा कदम हैं, जो महिलाएँ डिर्जव करती हैं उन्हें आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। महिलायें जब घर चला सकती हैं तो देश भी चला सकती हैं।" रीताबेन ने गाँव कनेक्शन से कहा।

"स्थानीय निकायों में महिलाओं को आरक्षण मिलने के बाद लोक सभा और विधान सभाओं में 33 फीसदी का आरक्षण बड़ी बात है। हालाँकि इसके कानून बनने के बाद भी फायदा मिलने में कुछ समय ज़रूर लगेगा लेकिन शुरुआत तो हुई"। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा।

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देश के किसी भी राज्य में महिला विधायक 15 फीसदी से ज़्यादा नहीं हैं। सबसे ज़्यादा छत्तीसगढ़ में 14. 44 फीसदी है। मिजोरम में तो एक भी नहीं है। रीताबेन का मानना है कि अगर 33 फीसदी महिलाएँ लोकसभा और विधान सभा में आती हैं तो इस बदलाव का सकरात्मक असर ज़रूर दिखेगा।

देश के बड़े शहरों में महिला आरक्षण बिल को लेकर जो भी बहस छिड़ी हो गाँवों में ये 27 साल बाद की कामयाबी बताया जा रहा है।

महाराष्ट्र के पुणे में आंबेगाँव तालुका की मृणाल नंदकिशोर गांजाले कहती हैं, "ये बहुत अच्छी बात है, महिला इम्पावर पर काम किया जा रहा है महिलाएं आगे बढें, वैसे मेरा मानना हैं कि महिलाएं हर जगह बराबर काम कर रहीं हैं इसलिए भागीदारी 50 प्रतिशत होनी चाहिए, मैं समता समानता पर विश्वास रखती हूँ लेकिन अभी शुरुआत हो चुकी है तो आगे और भी अच्छा होगा। "

नंदकिशोर गांजाले पुणे में महाळुंगे गाँव के जिला परिषद प्राथमिक विद्यालय में प्रिंसिपल हैं।

जब गाँव कनेक्शन ने उनसे पूछा आपके यहाँ क्या बदलाव होगा तो वे तुरंत बोलीं, "इसका सबसे बड़ा फायदा और बदलाव गाँव में ही दिखेगा। महिला सरपंच तक पहुंचने का ख्वाब देखने वाली औरते अब संसद में भी बैठ सकेगीं।"

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"आज सॉफ्टवेयर की दुनिया में 21 फीसदी महिलाएं हैं। इसरो में मंगल मिशन हो,चंद्रयान मिशन हो या आदित्य -L1 हो, इन सबमें महिला वैज्ञानिकों का बड़ा सहयोग है, इनमें से कई गाँव से जुड़ी हैं।" उन्होंने गाँव कनेक्शन से कहा।

महिला आरक्षण बिल के कानून बनने के बाद भी इसके लाभ में देरी पर सबकी अलग अलग राय है।

सरकार ने हालाँकि साफ़ कर दिया है कुछ संवैधानिक व्यवस्थाएं हैं और उनके ज़रूरी काम जिसे करने का एक तरीका होता है। महिलाओं को आरक्षण देना है लेकिन किस सीट पर आरक्षण दिया जाए, किस पर न दिया जाए इसका फैसला सरकार नहीं कर सकती है बल्कि अर्ध न्यायिक निकाय करती है। इसके लिए दो चीज महत्वपूर्ण है -जनगणना और परिसीमन।

इसके बाद सार्वजनिक सुनवाई होगी फिर सीट नंबर निकलेगा। बिल के कानून बनते ही 2029 में आरक्षित महिलाएं सांसद बन कर आए जाएंगी।

मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम के गाँव में टीचर सारिका घारू कहती हैं, "अगर महिलाओं को समान अधिकार मिले तो तरक्की खुद हो जाएगी, शुरुआत तो हुई। जहाँ जहाँ महिलाओं को मौका दिया गया है वो बेहतरीन काम कर रही हैं ।

कुछ महिलाओं का कहना है कि जिन भी राज्यों में महिला विकास या कल्याण के लिए अच्छा काम हो रहा है उस मॉडल को अपनाना चाहिए।

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के रतसर ग्राम पंचायत की पूर्व प्रधान स्मृति सिंह कहती हैं, "एक लंबे इंतज़ार के बाद महिला आरक्षण विधेयक नारी शक्ति वंदन अधिनियम को संसद में मंजूरी मिल गई है। यह महिला जगत के लिये एक ऐतिहासिक और ग़ौरवशाली होने के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण की दिशा मे युगांतकारी कदम है।" "हमें खुशी है की हमारे जैसे हजारों-लाखों महिलाओं को भी हक मिलेगा, "स्मृति ने आगे कहा।

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