दो भाइयों ने शुरू किया होम स्टे का व्यवसाय, जिससे पहाड़ों पर रुक सके पलायन
Robin Singh Chauhan 5 Oct 2019 6:25 AM GMT
ऊकीमठ, रुद्रप्रयाग(उत्तराखंड)। पहाड़ों पर हर साल गाँव के गाँव खाली हो रहे हैं, वहीं कुछ ऐसे भी युवा हैं जो नौकरी करने के बाद गाँव लौट आए और अपने गाँव में रोजगार शुरू किया। इससे उन्हें तो फायदा हो ही रहा है, साथ ही दूसरों को भी रोजगार मिल रहा है।
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के ऊकीमठ के दो भाईयों ने अपने पैतृक घर को होम स्टे में बदल दिया है। पारंपरिक वास्तु से बने अपने मकान की मरम्मत करवाने के बाद उसे पर्यटकों के रहने लायक बनाया। कई साल तक वर्ल्ड बैंक के साथ मिलकर एनवायरमेंटलिस्ट की नौकरी करने के बाद डॉ कैलास पुष्पबाण ने काम खत्म होने के बाद शहरों की तरफ रुख नहीं किया। बल्कि पहाड़ों की संस्कृति, सभ्यता और खान-पान को लोगों तक पहुंचाना है।
डॉ कैलाश पुष्पबाण बताते हैं, "हमारा जो सत्तर साल से भी पुराना है उसी में हमने 2007 में होम स्टे का काम शुरू किया है, अब तो देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। उन्हें हम अपने गाँव की सभ्यता और संस्कृति के साथ जो हमारे गाँव में जैविक खेती होती है, उसके बारे में उन्हें बताते हैं। हम उन्हें जंगल वॉक, विलेज वॉक, बर्ड वॉच के लिए ले जाते हैं, साथ ही ट्रैकिंग पर भी ले जाते हैं।"
वो आगे बताते हैं, "यहां पर जो पर्यटक आते हैं उन्हें हम पहाड़ी व्यंजन भी खिलाते हैं, जैसे कि कोदो की रोटी, झंगोरे की खीर हम उन्हें परोसते हैं, जिसे वो बड़े चाव से खाते हैं। बाकी जो पौड़ी में कई सारे गाँव खाली हो गए हैं, वहां के बारे में भी हमने सोचा है कि उनकी मरम्मत कर उन्हें होम स्टे बना दें। इसकी सबसे खास बात ये है कि आप सीमित संसाधनों में लोगों को ठहरा सकते हैं, लोग यहां आना भी चाहते हैं।
पलायन आयोग के मुताबिक उत्तराखंड में 2011 की जनगणना के बाद से अब तक 734 गांव पूरी तरह खाली हो गए हैं, वहीं 565 ऐसे गांव हैं जिनकी जनसंख्या 50 प्रतिशत से कम हो गई है। अगर गाँव में होमस्टे को ऐसे ही बढ़ावा मिलता रहे तो कुछ हद तक पलायन रुक सकता है।
भरत सिंह पुष्पबाण कहते हैं, "इससे हमारा तो फायदा है ही साथ ही आसपास के लोगों को भी रोजगार मिल रहा है, हमारे यहां गाँव के कई लोगों के रोजगार भी मिला है। हम यहां पर लोगों को यहां का परंपरागत खाना खिलाते हैं। लोगों को यहां आना बहुत अच्छा लगता है। सबसे पहले हमने ये शुरू किया था अब और लोग भी होमस्टे शुरू कर रहे हैं।
पर्यटन विभाग भी कर रहा मदद
पयर्टन विभाग होम स्टे के माध्यम से गांवों में ही स्थानीय स्तर पर रोजगार देने जा रहा है। । राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने पलायन को रोकने एंव पर्यटन को उद्योग के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से दीनदयाल उपाध्याय गृह आवास (होम स्टे) विकास योजना नियमावली 2018 लागू की गई। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण/पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटन जनित स्वरोजगार को बढ़ावा देने तथा पलायन को रोकना है।
ये भी पढ़ें : उत्तराखंड में जल्द ही बनकर तैयार हो जाएगा, प्रदेश का सबसे लंबा सस्पेंशन पुल 'डोबरा-चांठी'
More Stories