'स्वास्थ्य सुविधाओं पर भरोसे की कमी बन रही ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्रों में कोविड-19 से निपटने में बाधा'

योगेश कालकोंडे एक जनस्वास्थ्य शोधकर्ता हैं, जो महाराष्ट्र के ग्रामीण आदिवासी क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। गांव कनेक्शन को दिए गए इंटरव्यू में वह भारत के दूरदराज के इलाकों में कोविड-19 से निपटने में सामने आ रही चुनौतियों पर अपने अनुभव और विचारों को साझा किया।

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo

देश के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में कोविड-19 महामारी से निपटने में सामने आ रही चुनौतियों के बारे में दर्शकों को जानकारी देने के उद्देश्य से, जनस्वास्थ्य विशेषज्ञ योगेश कालकोंडे ने सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति निवासियों में विश्वास की कमी जैसे मुद्दों पर बात की, जो इस संकट से उबरने के लिए किए जा रहे प्रभावशाली उपायों में बाधा बने हुए हैं।

भारत के सबसे बड़े ग्रामीण मीडिया प्लेटफॉर्म गांव कनेक्शन की डिप्टी मैनेजिंग एडिटर निधि जाम्वाल के साथ एक इंटरव्यू में कालकोंडे कहते हैं, कोविड- 19 से निपटने के लिए ग्रामिणों के साथ प्रभावशाली तरीके से कम्युनिकेट करना जरुरी है। कालकोंडे एक न्यूरोलॉजिस्ट और जनस्वास्थ्य शोधकर्ता हैं।

वह कहते हैं, "किसी भी स्वास्थ्य पेशेवर के लिए कोरोना महामारी से निपटना एक चुनौती है। ऐसी घटना 100 साल में एक बार होती है। यह एक नई बीमारी है और इसका इलाज उस जानकारी पर आधारित है जिसे लगातार अपडेट किया जा रहा है।"


वह गांव कनेक्शन को बताते हैं, "ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में ये चुनौतियां और भी मुश्किल हैं। स्वास्थ्य पेशेवर को यहां रह रहे लोगों के साथ जुड़ना होगा। यह काफी जरूरी है। समस्या से निपटने के लिए इस बीमारी के प्रति उनके डर को समझना होगा। पर्याप्त आंकड़े न होने और सरकारी तंत्र पर लोगों के भरोसे की कमी हालातों को और मुश्किल बना देती है।"

डॉक्टर कालकोंडे आदिवासी और ग्रामीण आबादी के बारे में विश्वसनीय जानकारी जुटाने की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए कहते है, जब संकट इतने बड़े हों तो सरकार से कुछ भी करवाने मुश्किल हो जाता है। कालकोंडे बताते हैं "जैसा कि कहा जाता हैकिसी काम को करने से पहले उसकी स्थिति का जायजा लेना जरुरी है। जिन लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लाभ मिलने हैं उनके बारे में विस्तृत जानकारी हासिल किए बिना स्वास्थ्य तंत्र के कदम प्रभावी नहीं हो सकते।"


जब से कोविड-19 महामारी ने देश के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में पैर पसारना शुरु किया, तभी से गांव कनेक्शन इन क्षेत्रों की स्थितिको लेकर लगातार रिपोर्ट करता आया है।

टीकाकरण को लेकर हिचकिचाहट और स्थानीय आबादी को टीके लगाने के लिए राजी करने की सरकारी मुहिम गांव कनेक्शन की रिपोर्ट का प्रमुख हिस्सा रही हैं।

#Tribal area #Rural India Covid-19 #vaccination #story 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.